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SBI के ऑर्डर पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर, कहा - अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों को फ्रॉड घोषित करना गलत नहीं

HC on SBI Order : बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के उस आदेश को सही बताया है, जिसमें अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों को फ्रॉड घोषित किया गया है.

HC on SBI Order : बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के उस आदेश को सही बताया है, जिसमें अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों को फ्रॉड घोषित किया गया है.

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FE Hindi Desk
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अनिल अंबानी को झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खातों को फ्रॉड घोषित करने के SBI के फैसले पर लगाई मुहर. (File Photo : Reuters)

SBI Order on Anil Ambani, Reliance Communications has no infirmity: बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें उद्योगपति अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों को फ्रॉड घोषित किया गया था. अदालत ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह सही और "तर्कसंगत" है और इसमें किसी भी तरह की कानूनी गलती नहीं है. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस  नीला गोखले की खंडपीठ ने अनिल अंबानी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने एसबीआई के इस आदेश को चुनौती दी थी.

नियमों के मुताबिक हुआ फैसला : हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपने आदेश में कहा कि 13 जून 2025 को SBI द्वारा जारी आदेश में किसी तरह की “कमी या खामी” नहीं है. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि बैंक ने अनिल अंबानी को लिखित आपत्ति दर्ज करने का पर्याप्त मौका दिया था.

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अदालत ने यह भी बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ‘मास्टर डायरेक्शंस ऑन फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट’ के तहत बैंक को सिर्फ रिप्रेजेंटेशन (representation) यानी लिखित पक्ष रखने का अवसर देना होता है, पर्सनल हियरिंग यानी व्यक्तिगत सुनवाई जरूरी नहीं है.

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नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन हुआ : कोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांतों का सही तरीके से पालन हुआ है. अदालत ने कहा, “न्याय के सिद्धांतों को एक तयशुदा ढांचे में नहीं बांधा जा सकता. इस मामले में अनिल अंबानी को लिखित रूप में अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिला, इसलिए निष्पक्षता से जुड़ी सभी आवश्यकताएं पूरी हुईं.”

न्यायालय ने यह भी दर्ज किया कि अंबानी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा भेजे गए शो कॉज नोटिस का जवाब तो दिया, लेकिन बाद में कोई अंतिम जवाब नहीं दिया. जब बैंक को उनकी ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उसने नियमों के तहत खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया.

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अनिल अंबानी की दलीलें कोर्ट में नहीं टिकीं 

अनिल अंबानी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उन्हें पर्सनल हियरिंग का मौका नहीं मिला और जरूरी दस्तावेज भी नहीं दिए गए, इसलिए आदेश अवैध है. उन्होंने यह भी कहा कि वह कंपनी के फुल टाइम के डायरेक्टर (whole-time director) नहीं थे, इसलिए उनका खाता फ्रॉड घोषित नहीं किया जाना चाहिए.

लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी कंपनी के खाते को फ्रॉड घोषित किया जाता है, तो उसके प्रमोटर्स (promoters) या डायरेक्टर्स (directors), जिनके पास कंपनी का नियंत्रण होता है, वे भी जवाबदेह होते हैं. अदालत ने माना कि अंबानी का रिलायंस कम्युनिकेशंस पर नियंत्रण था.

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SBI ने कोर्ट में क्या दी दलील

एसबीआई ने अदालत को बताया कि आरबीआई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक किसी उधारकर्ता को पर्सनल हियरिंग (personal hearing) यानी निजी तौर पर सुनवाई का मौका देने की कोई बाध्यता नहीं है. बैंक ने बताया कि उसने अंबानी को नोटिस भेजा, दस्तावेज उपलब्ध कराए और लिखित जवाब देने का मौका भी दिया.

अदालत ने कहा, “न्याय के सिद्धांत यह मांग करते हैं कि उधारकर्ता को नोटिस मिले, दस्तावेजों की जानकारी दी जाए और उसे अपना पक्ष लिखित रूप में रखने का मौका मिले. यहां यही किया गया है. इसलिए आदेश में कोई गलती नहीं.”

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2,929 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा

SBI ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने लोन की शर्तों का उल्लंघन करते हुए बैंक के फंड्स का गलत इस्तेमाल किया. इस कथित गड़बड़ी के चलते बैंक को 2,929.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

इसी साल की शुरुआत में SBI ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद सीबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी के ठिकानों पर तलाशी भी ली थी.

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अदालत ने कहा – एसबीआई का आदेश पूरी तरह वैध

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “एसबीआई का निर्णय एक विचारपूर्ण और नियमों के अनुरूप फैसला है. इसमें किसी तरह की कानूनी खामी नहीं है.” अदालत ने यह भी जोड़ा कि बैंक ने सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया और अंबानी को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर दिया.

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