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Sebi New Circular : सेबी ने टॉप 500 कंपनियों के स्टॉक्स के लिए T+0 सेटलमेंट साइकल लागू करने का फैसला किया है. (File Photo : Reuters)
Sebi New Circular on T+0 Settlement Cycle: भारतीय शेयर बाजार के नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए टॉप 500 कंपनियों के स्टॉक्स के लिए T+0 सेटलमेंट साइकल को लागू करने का फैसला किया है. मंगलवार को जारी ताजा सर्कुलर के मुताबिक सेबी का यह फैसला 31 दिसंबर, 2024 से लागू हो जाएगा. इस नई व्यवस्था का उद्देश्य शेयर बाजार में ट्रेडिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया को तेज और अधिक असरदार बनाना है. इसके साथ ही, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरीज़ को आवश्यक तकनीक और प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का निर्देश भी दिया है. ताकि संस्थागत निवेशक भी इस सिस्टम में बिना किसी रुकावट के भाग ले सकें.
क्या है T+0 सेटलमेंट साइकल?
T+0 सेटलमेंट साइकल का मतलब है कि ट्रेडिंग के दिन ही लेन-देन का निपटान (सेटलमेंट) हो जाता है. वर्तमान में, अधिकांश स्टॉक्स के लिए T+1 सेटलमेंट साइकल लागू है, जिसमें लेन-देन के एक दिन बाद सेटलमेंट होता है. T+0 प्रणाली से ट्रेडर्स और निवेशकों को उनके पैसे और शेयर तुरंत मिल जाएंगे, जिससे कैश फ्लो और निवेश प्रबंधन में सुधार होगा.
टॉप 500 स्टॉक्स के लिए नई व्यवस्था
सेबी के नए सर्कुलर के अनुसार, T+0 सेटलमेंट साइकल को शीर्ष 500 कंपनियों पर लागू किया जाएगा. इसके तहत:
31 दिसंबर, 2024 से यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लागू होगी.
शुरुआत में, शीर्ष 500 में से निचली 100 कंपनियों को शामिल किया जाएगा.
हर महीने, निचली 100 कंपनियों को जोड़ते हुए यह व्यवस्था अंततः शीर्ष 500 कंपनियों तक पहुंच जाएगी.
सेबी ने सभी स्टॉक ब्रोकरों को इस नई प्रणाली में भाग लेने की अनुमति दी है और उन्हें T+0 और T+1 सेटलमेंट साइकल के लिए अलग-अलग ब्रोकरेज चार्ज करने का अधिकार दिया है, बशर्ते कि यह नियामकीय सीमा के भीतर हो.
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कैसे बढ़ाई गई T+0 सिस्टम की पहुंच?
T+0 सेटलमेंट साइकल की सफलता तय करने के लिए, मार्च 2024 में इसे केवल गैर-कस्टोडियन क्लाइंट्स के लिए लागू किया गया था. इसके बाद, सितंबर 2024 में, इस प्रणाली का विस्तार करते हुए 25 स्टॉक्स से शीर्ष 500 कंपनियों तक इसकी पहुंच बढ़ाई गई. सेबी ने इस प्रणाली के बीटा संस्करण के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया.
T+0 सेटलमेंट साइकल के फायदे
T+0 प्रणाली से निवेशकों को उनके फंड और स्टॉक्स तुरंत उपलब्ध होंगे. इससे उनके कैश फ्लो और लिक्विडिटी में सुधार होगा. तेज सेटलमेंट प्रक्रिया से क्लीयरिंग और सेटलमेंट जोखिमों में कमी आएगी. इस व्यवस्था से बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा. T+0 सेटलमेंट साइकल भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक मानकों के करीब ले जाएगा. इससे न केवल खुदरा निवेशकों को लाभ होगा, बल्कि संस्थागत निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ेगी.
बाजार की कार्यक्षमता में होगा सुधार
T+0 प्रणाली लागू करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें सभी बाजार सहभागियों, जैसे ब्रोकर, एक्सचेंज और डिपॉजिटरीज़, के बीच तालमेल आवश्यक है. सेबी ने इस बात को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त समय और संसाधन उपलब्ध कराए हैं ताकि कोई व्यवधान न हो. T+0 प्रणाली से बाजार की कार्यक्षमता में सुधार होगा. T+0 सेटलमेंट साइकल भारतीय शेयर बाजार में एक ऐतिहासिक कदम है, जो लेन-देन प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाएगा. यह कदम निवेशकों के लिए पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाने के साथ-साथ बाजार को अंतरराष्ट्री प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा.
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