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Suzlon Energy : 5 साल में 2000% रिटर्न वाले स्‍टॉक में ब्रोकरेज ने टारगेट घटाकर किया 66 रुपये, क्‍या है वजह?

Energy Stock : रिटेल निवेशकों के बीच एनर्जी सेक्‍टर के पॉपुलर स्‍टॉक सुजलॉन एनर्जी पर ब्रोकरेज हाउस जेएम फाइनेंशियल ने Buy रेटिंग बनाए रखी है, लेकिन टारगेट प्राइस को 78 रुपये से घटाकर 66 रुपये कर दिया है.

Energy Stock : रिटेल निवेशकों के बीच एनर्जी सेक्‍टर के पॉपुलर स्‍टॉक सुजलॉन एनर्जी पर ब्रोकरेज हाउस जेएम फाइनेंशियल ने Buy रेटिंग बनाए रखी है, लेकिन टारगेट प्राइस को 78 रुपये से घटाकर 66 रुपये कर दिया है.

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Sushil Tripathi
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Suzlon Energy : डाइवर्सिफिकेशन की कमी से वित्त वर्ष 2028 के बाद सुजलॉन एनर्जी को अपनी ग्रोथ की गति बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है. (Pixabay)

Suzlon Energy New Target Price : रिटेल निवेशकों के बीच एनर्जी सेक्‍टर के पॉपुलर स्‍टॉक सुजलॉन एनर्जी पर ब्रोकरेज हाउस जेएम फाइनेंशियल ने Buy रेटिंग बनाए रखी है, लेकिन टारगेट प्राइस को 78 रुपये से घटाकर 66 रुपये कर दिया है. ब्रोकरेज का मानना है कि वित्त वर्ष 2028 (FY28) के बाद सुजलॉन एनर्जी को अपनी ग्रोथ की गति बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि कंपनी के पास बड़े पैमाने पर डाइवर्सिफिकेशन की कमी है (यानी, सिर्फ पवन ऊर्जा के अलावा और कोई बड़ा नया कारोबार नहीं है).

अभी कंपनी का स्‍टॉक 54 रुपये के आस पास ट्रेड कर रहा है. हालांकि करंट प्राइस से टारगेट 66 रुपये देखें तो शेयर में 22 फीसदी की ग्रोथ यहां से भी संभव है. स्टॉक ने 5 साल में 2000 फीसदी का एबसॉल्यूट रिटर्न दिया है. हालांकि 1 साल में यह 27 फीसदी कमजोर हुआ है. 3 साल का रिटर्न 101 फीसदी सीएजीआर है.

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ब्रोकरेज का कहना है कि विंड एनर्जी, ग्रीन एनर्जी के लिए निश्चित तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन, ब्रोकरेज को वित्त वर्ष 2028 के बाद सालाना 7-8 गीगावाट (GW) की क्षमता जोड़ने की गति बने रहने पर संदेह है. मैन्‍युफैक्‍चरर्स अपने भविष्य को लेकर आशावादी हैं और अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं. जैसे कि एनविजन (3GW), सुजलॉन (3.1GW से 4.5GW), और आईनॉक्स (1.9GW से 2.5GW). इंडस्‍ट्री की प्रमुख कंपनी सुजलॉन को डाइवर्सिफिकेशन न होने के कारण वित्त वर्ष 2028 के बाद ग्रोथ बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ सकता है. 

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चीन का खतरा कितना गंभीर?

चीन से आने वाले प्रमुख विंड एनर्जी  कंपोनेंट (ब्लेड, टावर, गियरबॉक्स और जनरेटर) और डेटा सेंटर्स का अनिवार्य स्थानीयकरण चीनी कंपनियों के द्वारा किए गए मूल्य लाभ को कम कर देगा. ब्रोकरेज का मानना है कि Suzlon, जिसके पास सबसे अधिक एकीकृत घरेलू निर्माण क्षमता है, सरकार की नीति का सबसे बड़ा लाभार्थी है.

प्रोजेक्ट पूरे करने में चुनौती 

ब्रोकरेज का कहना है कि भारत में विंड एनर्जी क्षमता को हर साल 7-8 गीगावाट (GW) तक ही सीमित रखा जा सकता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि बिजली ट्रांसमिशन की कनेक्टिविटी, जमीन का अधिग्रहण और राइट आफ वे (RoW) जैसी समस्याएं लगातार बनी हुई हैं. बेहतर स्थिति में यह क्षमता 10 GW तक जा सकती है, लेकिन सामान्य स्थिति में 7-8 GW ही रहने की संभावना है.

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ग्रोथ में कमी का खतरा

जेएम फाइनेंशियल का मानना है कि वित्त वर्ष 2028 (FY28) के बाद सुजलॉन के लिए ग्रोथ की गति बनाए रखना मुश्किल होगा, क्योंकि कंपनी के पास बड़े स्तर पर कारोबार बदलने का कोई रास्ता नहीं है.

ब्रोकरेज का अनुमान है कि FY26, FY27 और FY28 में कंपनी 2.5 GW, 3.1 GW और 3.5 GW के प्रोजेक्ट ही पूरे कर पाएगी. इसी अवधि में EBITDA (मुनाफे) की ग्रोथ भी सालाना आधार पर घटती जाएगी, FY26 में 60%, FY27 में 34%, और FY28 में सिर्फ 17%.

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सेक्टर में असंतुलन और ग्रिड पर दबाव

आजकल टेंडर में सोलर और BESS (बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम) का हिस्सा बहुत ज़्यादा है, जिससे सेक्टर में असंतुलन आ गया है. सोलर पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण बिजली के ग्रिड की स्थिरता से जुड़े मुद्दे बढ़ रहे हैं, जिससे बिजली कटौती और शून्य टैरिफ की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.

हालांकि ब्रोकरेज को उम्मीद है कि सरकार हाइब्रिड प्रोजेक्टों में पवन ऊर्जा को शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव कर सकती है, लेकिन फिलहाल टेंडर का रुझान सोलर की तरफ झुका हुआ है.

(Disclaimer : कंपनी के स्‍टॉक पर सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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