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Indian IT Sector : टैरिफ वार बढ़ने के चलते बढ़ी हुई मैक्रो अनिश्चितता के कारण आईटी सेक्टर पर दबाव बना हुआ है. (Freepik)
IT Services Sector Outlook : ग्लोबल लेवल पर निश्चितता और सबसे बड़े बाजार अमेरिका में सुस्ती की आशंकाओं को देखते हुए ब्रोकरेज हाउस और एक्सपर्ट आईटी सेक्टर (IT Sector) की भारतीय कंपनियों की ग्रोथ को लेकर अलर्ट हैं. उनका मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 के कमजोर प्रदर्शन के बाद फाइनेंशियल ईयर 2026 के लिए भी आईटी कंपनियों के लिए आउटलुक कमजोर हो सकता है. मौजूदा स्थिति में कंपनियों द्वारा स्पेंडिंग पर लगाम लगाने की आशंका को देखते हुए नियर टर्म में आईटी रिकवरी की उम्मीदें कम हो गई हैं. अगले 3 से 6 महीनों में कंपनियों की अर्निंग में कमी और मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के गाइडेंस में गिरावट जैसी निगेटिव खबरें भी आ सकती हैं. अधिकांश बड़ी आईटी कंपनियों से जनवरी-मार्च तिमाही के रेवेन्यू में मामूली गिरावट या स्थिर प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही है.
स्पेंडिंग पर फिर से रोक लगने का अनुमान
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक लिबरेशन डे टैरिफ के नतीजों ने भारतीय आईटी सर्विसेज स्टॉक्स को नुकसान पहुंचाया है, जिससे यह सेक्टर दबाव में आ गया है. जबकि टैरिफ का पूरा असर सामने आने में समय लगेगा, लेकिन आईटी कंपनियों द्वारा स्पेंडिंग पर फिर से रोक लगने का अनुमान है. अनुमान है कि अगले 3-6 महीने निगेटिव खबरें सुनने को मिलेंगी, जिनमें अर्निंग में कटौती और वित्त वर्ष 26 के गाइडेंस में संभावित कटौती शामिल है. यह झटका कोविड और जीएफसी दोनों से मिलता-जुलता है.
जिस तरह जीएफसी ने BFSI खर्चों को बढ़ा दिया, और कोविड ने क्लाउड को एक महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में स्थापित किया, उसी तरह मौजूदा डिसरप्शन जेनएआई के लिए भी ऐसी ही भूमिका निभा सकता है. फिलहाल निकट अवधि में अस्थिरता बनी हुई है. वैल्युएशन अब शुरुआती कोविड लेवल की तरह है, जो उन लोगों के लिए अवसर प्रदान करता है जो आगे की ओर देख सकते हैं. ब्रोकरेज का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 26e के लिए लार्ज-कैप में 1-4% कांस्टेंट करेंसी ग्रोथ की उम्मीद है. 4Q नतीजों के बाद सेक्टर को लेकर और क्लेरिटी आएगी. ब्रोकरेज हाउस ने पोर्टफोलियो के लिए TECHM और HCLT जैसे शेयरों पर नजर रखने की सलाह दी है.
अनिश्चितता बढ़ने से रिकवरी में देरी
ब्रोकरेज हाउस मिरे एसेट शेयरखान का कहना है कि अनिश्चितता बढ़ने से रिकवरी में देरी हो रही है. पिछले एक साल में निफ्टी आईटी इंडेक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन हाल ही में अपना बेहतर प्रदर्शन खो दिया है. टैरिफ वार बढ़ने के चलते बढ़ी हुई मैक्रो अनिश्चितता के कारण आईटी सेक्टर पर दबाव बना हुआ है. जिससे आईटी रिकवरी में देरी होने का खतरा बढ़ गया है. फिलहाल अब मैनेजमेंट द्वारा दिए जाने वाले गाइडेंस पर नजर रहेगी. लंबी अवधि के एवरेज स्तरों के आसपास सेक्टर के वैल्युएशन के साथ, ब्रोकरेज का मानना है कि हाल के करेक्शन ने मिड से लॉन्ग टर्म के लिए वैल्युएशन को उचित बना दिया है. मिड से लॉन्ग टर्म के लिए TCS, Infosys, HCL Tech, Tech Mahindra, LTIM, Persistent Systems, Coforge और Mastek पर नजर रख सकते हैं.
जेनरेटिव AI पर फोकस
कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि कंपनियां अपने ‘अस्तित्व से संबंधित व्यय’ और जेनरेटिव एआई पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं. निकट अवधि में चुनौतियां रहने के बावजूद फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में मैक्रो इकोनॉमिक स्थिरता और एआई से मांग में बढ़ोतरी के कारण स्थिति बेहतर हो सकती है. फिलहाल इस हफ्ते टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा जैसी बड़ी आईटी कंपनियां अपने तिमाही नतीजे जारी करेंगी. जिसके बाद कुछ ज्यादा क्लेरिटी आएगी. एचडीएफसी सिक्योरिटीज का भी रुख आईटी सेक्टर पर सतर्क है और ब्रोकरेज का मानना है कि अमेरिका में 60 देशों से आयात पर शुल्क बढ़ाए जाने और आर्थिक सुस्ती आने की आशंका से कंपनियों का खर्च कम होगा और डील पूरी होने की अवधि भी लंबी होंगी.
(Disclaimer: स्टॉक पर सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार भी नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)