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PM Mudra Scheme : खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो सरकार की मुद्रा स्कीम के तहत डेयरी प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा सकते हैं. (AI Generated)
Pradhan Mantri Mudra Yojana, Loan for Dairy Business : दूध दही जैसे प्रोडक्ट का बिजनेस हर सीजन में सुपर हिट है. इसकी डिमांड कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है, बल्कि डिमांड के हिसाब से कई बार सप्लाई कम पड़ जाती है. शहर हो या गांव, लोगों के रोजमर्रा के जीवन में डेयरी प्रोडक्ट अहम हिस्सा है. ऐसे में आप भी अगर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो सरकार की मुद्रा स्कीम के तहत डेयरी प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा सकते हैं. मुद्रा स्कीम के तहत सरकार ने इस बिजनेस के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी बनाई है, जिसे पढ़कर आप अपनी लागत और मुनाफे का अंदाजा लगा सकते हैं.
मुद्रा योजना के तहत 70% सपोर्ट
केंद्र सरकार मुद्रा योजना के तहत उन लोगों की मदद कर रही है, जो खुद का छोटा मोटा कारोबार शुरू करना चाहते हैं. इस योजना के तहत जिन कारोबार को शुरू करने में बैंक आसानी से लोन दे रहे हैं, उनमें डेयरी प्रोडक्ट का भी बिजनेस शामिल है. सरकार की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार यह कारोबार शुरू करने में जो भी खर्च आता है, उसका 30 फीसदी ही कारोबार शुरू करने वाले को खुद के पास दिखाना होता है. बाकी 70 फीसदी का लोन आसानी से हो जाता है.
कितने तरह के प्रोडक्ट
पैकेट बंद दूध, पैकेज्ड दही, पैकेज्ड छाछ, पनीर, बटर मिल्क, घी, आइसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क व अन्य कई प्रोडक्ट. बेहतर है कि बिजनेस ऐसी जगह शुरू करें, जहां से मार्केट में सप्लाई करना और मार्केट का विस्तार करना आसान हो.
यूनिट के लिए कितने बड़े एरिया की जरूरत
प्रॉसेसिंग एरिया : 500 वर्ग फुट
रेफ्रिजरेशन रूम : 150 वर्ग फुट
वाशिंग एरिया : 150 वर्ग फुट
ऑफिस एरिया : 100 वर्ग फुट
टॉयलेट : 100 वर्ग फुट
कुल : 1000 वर्ग फुट
मशीनरी और इक्विपमेंट पर खर्च
मशीनरी और इक्विपमेंट पर खर्च 5.50 लाख रुपये के आस पास अनुमानित है. इसमें क्रीम सेपरेटर, पैकिंग मशीन, बॉटल कैपिंग मशीन, केन कूलर, रेफ्रिजरेटर, वेइंग स्केल्स, फिलर्स, डिस्पेंसर, प्लास्टिक ट्रे, हीटिंग वेसेल आदि शामिल हैं.
फिक्स्ड कैपिटल : 10.50 लाख रुपये
टोटल फिक्स्ड कैपिटल 10.50 लाख रुपये होगा. इसमें मान लिया गया है कि लैंड और सिविल वर्क लीज पर है.
इनमें प्लांट मशीनरी, लैब इक्विपमेंट, ट्रांसपोर्ट व्हीकल, ऑफिस इक्विपमेंट, इलेक्ट्रिफिकेशन पर कास्ट, कंपनी फॉर्मेशन का खर्च सेल्स टैक्स रजिस्ट्रगेशन का खर्च आदि शामिल है.
वर्किंग कैपिटल : 6 लाख रुपये
इसमें सैलरी, रॉ मटेरियल का खर्च, पैकेजिंग मटेरियल पर खर्च, बिजली व पानी जैसे यूटिलिटीज का खर्च और आकस्मिक खर्च आदि शामिल हैं.
प्रोजेक्ट पर कुल खर्च
फिक्स्ड कैपिटल और वर्किंग कैपिटल दोनों मिलाकर इस प्रोजेक्ट पर 16.50 लाख रुपये खर्च होगा. बता दें कि हमने यहां कुछ साल पहले के हिसाब से खर्च दिखाया है, जो महंगाई बढ़ने के साथ बढ़ सकता है.
फाइनेंस और खर्च का ब्रेक-अप
खुद के पास से निवेश: 4.93 लाख रुपये
टर्म लोन: 7.35 लाख रुपये
वर्किंग कैपिटल लोन: 4.16 लाख रुपये
6 लाख सालाना नेट प्रॉफिट
अगर ऊपर लिखे गए योजना और रॉ मटेरियल के साथ मैन्युफैक्चरिंग स्टार्ट हो तो रोज 500 लीटर दूध की प्रॉसेसिंग हो सकेगी. इससे जितना प्रोडक्ट तैयार होगा, उससे सालाना टर्न ओवर 82 लाख रुपए तक हो सकता है.इसकी कुल प्रोडक्शन कास्ट 74 लाख रुपए होगी, इस लिहाज से सालाना 8.36 लाख रुपए आय होगी. इसमें से टैक्स आदि का खर्च (25%) काटने के बाद 6.27 लाख रुपए सालाना नेट प्रॉफिट होगा. इस लिहाज से हर महीने 50 हजार रुपए से ज्यादा इनकम हो सकती है.
रोज प्रॉसेसिंग : 500 लीटर दूध
सालाना टर्न ओवर : 82 लाख रुपए
कुल प्रोडक्शन कास्ट : 74 लाख
कुल सालाना इनकम : 8.36 लाख रुपए
टैक्स व अन्य का खर्च : 25%
नेट इनकम सालाना : 6.27 लाख रुपये
मंथली इनकम नेट : 50,000 रुपये
नोट : हमने सरकार द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर खर्च और मुनाफे की जानकारी दी है. प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार 16 लाख के खर्च पर सालाना नेट प्रॉफिट 6 लाख रुपये का अनुमान है. यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट कुछ साल पहले बनाई गई थी. अगर अब महंगाई के हिसाब से कास्ट बढ़ेगा तो उसी रेश्यो में प्रोडक्ट कास्ट और प्रॉफिटेबिलिटी भी बढ़ेगी. कहने का मतलब है कि अगर कुल प्रोजेक्ट कास्ट 33 लाख रुपये होता है तो सालाना मुनाफा उसी रेश्यो में 12 लाख रुपये होगा.