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How Fiscal Deficit was managed: वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे के आंकड़े को लक्ष्य से कम रखकर सबको चौंका दिया. (Photo : PTI)
Budget 2024: Modi Govt achieved fiscal deficit target but how:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पेश अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) में राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के जो आंकड़े पेश किए, वे घोषित लक्ष्य से बेहतर रहे हैं. 1 फरवरी 2023 को पेश बजट में उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी (GDP) के 5.9 फीसदी तक सीमित रखने का टारगेट तय किया था. लेकिन ताजा संशोधित अनुमान में उन्होंने इसे जीडीपी के 5.8 फीसदी तक सीमित रखने की उम्मीद जाहिर की है, जो घोषित लक्ष्य और ताजा अनुमानों से बेहतर है.
क्यों थी फिस्कल डेफिसिट बढ़ने की आशंका
बजट से कुछ दिन पहले तक ऐसी आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं कि सरकार ने जिस तरह मुफ्त अनाज योजना को आगे बढ़ाने समेत कई लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं, उनकी वजह से घाटा लक्ष्य से कुछ अधिक (जीडीपी के 6 फीसदी तक) हो सकता है. ऐसे अनुमान लगाने वालों में इंटरनेशल मॉनेटरी फंड (IMF) जैसे कुछ संस्थान और कई आर्थिक जानकार शामिल थे. उनके इन अनुमानों के पीछे एक दलील यह भी थी कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की नॉमिनल जीडीपी उम्मीद से कम रहने के आसार हैं, लिहाजा उसमें फिस्कल डेफिसिट का अनुपात बढ़ जाएगा.
दरअसल, पिछले बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का सरकार का अनुमान इस उम्मीद पर आधारित था कि 2023-24 में देश की नॉमिनल जीडीपी 301.8 लाख करोड़ रुपये रहेगी. लेकिन 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान (First Advance Estimates) में नॉमिनल जीडीपी 296.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अंदाजा लगाया गया है. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के फर्स्ट एडवांस एस्टिमेट में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट भी 8.9 फीसदी रहने की बात कही गई थी, जबकि पिछले साल पेश बजट में इसके 10.5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया था.
आमदनी और खर्च का संतुलन
जनवरी के पहले हफ्ते में जारी NSO के फर्स्ट एडवांस एस्टिमेट को ही बजट का आधार माना जाता है. लिहाजा इन चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए फिस्कल डेफिसिट 6 फीसदी या उससे ज्यादा होने के अनुमान लगाए जा रहे थे. लेकिन वित्त मंत्री ने जब बजट में घाटे के संशोधित अनुमान पेश किए तो बिलकुल अलग ही स्थिति दिखाई देने लगी. इतना तो साफ है कि राजकोषीय घाटे को कम रखने के बुनियादी तौर पर से दो ही रास्ते हो सकते हैं - 1. आमदनी बढ़ाना और 2. खर्च को कम करना. सरकार ने भी इन दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया है. आइए देखते हैं कि सरकार की आय कहां बढ़ी या घटी है और खर्च में बचत कहां की गई है.
राजस्व में हुआ इजाफा
बजट दस्तावेजों के मुताबिक सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति (Revenue Receipts) बजट अनुमान में 26,32,281 करोड़ रुपये रखी गयी थी, लेकिन संशोधित अनुमान में यह रकम उससे काफी अधिक, 26,99,713 करोड़ रुपये रही है. कर्जों की वसूली भी 23,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान की जगह संशोधित अनुमान में 26,000 करोड़ रुपये रही है. लेकिन अन्य प्राप्तियां (Other Receipts) 61,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान की जगह 30,000 करोड़ रुपये ही रही हैं.
यहां कम हुआ खर्च
पिछले कई बजट से मोदी सरकार कैपिटल एक्सपेंडीचर बढ़ाने पर फोकस कर रही है. पिछले साल भी बजट पेश करते समय सरकार ने 10,00,961 करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडीचर (Capex) का टारगेट रखा था. लेकिन बजट में पेश संशोधित अनुमानों के मुताबिक यह लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा और कैपेक्स का वास्तविक आंकड़ा 9,50,246 करोड़ रुपये ही रहने की उम्मीद है. यानी इस मद में सरकार ने अपना खर्च 50,715 करोड़ रुपये बचाया है, जो राजकोषीय घाटे में आई गिरावट से थोड़ा ही कम है. लेकिन सरकार को कई और आइटम्स पर बजट प्रस्ताव के मुकाबले ज्यादा रकम खर्च भी करनी पड़ी है, जिसे एडजस्ट करने और राजकोषीय घाटा लक्ष्य कम रखने के लिए कुछ और खर्चों में भी कटौती की गई है. मिसाल के तौर पर :
शिक्षा पर 1,16,417 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव था, लेकिन अब 1,08,878 करोड़ रुपये ही खर्च किए जाएंगे.
हेल्थ पर 88,956 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था, लेकिन संशोधित अनुमान 79,221 करोड़ रुपये के खर्च का है.
अनुसूचित जातियों (SC) की अंब्रेला स्कीम पर बजट में 9,409 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था, लेकिन अब 6,780 करोड़ रुपये ही खर्च किए जाएंगे.
अनुसूचित जनजातियों (ST) की अंब्रेला स्कीम का बजट 4,295 करोड़ रुपये से घटाकर 3,286 करोड़ रुपये किया गया है.
इन तमाम उपायों के जरिए ही सरकार फिस्कल डेफिसिट को बजट में घोषित 17,86,816 करोड़ रुपये की जगह 17,34,773 करोड़ रुपये पर लाने में सफल रही. करीब 52 हजार करोड़ रुपये की इसी कटौती के चलते नॉमिनल जीडीपी के उम्मीद से कम रहने के बावजूद राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 फीसदी से लक्ष्य की जगह 5.8 फीसदी पर आ गया.