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2014 से अब तक मोदी सरकार के कार्यकाल में सब्सिडी के ढांचे में बड़े बदलाव हुए हैं. Photograph: (File Photo : Reuters)
Budget 2025 : Trends in Subsidy Numbers : अर्थशास्त्री हों या राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले नागरिक, आम मिडल क्लास लोग हों या कॉरपोरेट दुनिया में टॉप पर बैठे एग्जीक्यूटिव, सब्सिडी एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें आम तौर पर सबकी कोई न कोई राय रहती है. कुछ लोग मानते हैं कि सरकारें सब्सिडी देकर आम करदाताओं से मिले पैसों का गलत इस्तेमाल करती हैं, तो कोई इसे देश में आर्थिक गैर-बराबरी कम करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मदद करके आगे बढ़ाने का सही तरीका मानता है. लोगों की ओपिनियन कुछ भी हो, बजट में सब्सिडी के महत्व की अनदेखी कोई भी नहीं कर सकता. ऐसे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब इस शनिवार को अपना बजट भाषण पेश कर रही होंगी, तो सब्सिडी के ताजा आंकड़ों पर सबका ध्यान ज़रूर रहेगा. लेकिन उन आंकड़ों के आधार पर अगर आप अपनी कोई राय बनाना चाहते हैं या सरकार की आर्थिक नीति के रुझान को समझना चाहते हैं, तो आपको सब्सिडी से जुड़े पिछले आंकड़ों के बारे में पता होना चाहिए.
सब्सिडी के पिछले आंकड़े : 10 साल का रुझान
केंद्र सरकार ने पिछले 10 साल के दौरान सब्सिडी पर कितना खर्च किया है, इस पर नजर डालने पर कुछ रुझान साफ तौर पर दिखाई देंगे.
वित्त वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक सरकार का कुल सब्सिडी बिल लगातार तेजी से घटा.
वित्त वर्ष 2014-15 में कुल सब्सिडी बिल 2,49,015.6 करोड़ रुपये था, जो उसके बाद लगातार तीन साल तक घटा.
वित्त वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार का कुल सब्सिडी बिल 2,41,833.17 करोड़ रुपये, 2016-17 में 2,04,024.6 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1,91,209.75 करोड़ रुपये रह गया.
वित्त वर्ष 2018-19 सरकार का कुल सब्सिडी बिल थोड़ा बढ़कर 1,96,768.75 करोड़ और वित्त वर्ष 2019-20 में कुछ और बढ़कर 2,28,341.46 करोड़ रुपये हो गया.
वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड 19 महामारी के कारण सब्सिडी बिल अचानक तेजी से बढ़कर 7,07,706.52 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा.
कोविड 19 के काबू में आने के बाद सरकार ने एक बार फिर सब्सिडी को घटाना शुरू किया.
वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट अनुमान में इसके 4,13,465.8 करोड़ रुपये तक सीमित रहने की उम्मीद जाहिर की गई.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान में कुल सब्सिडी बिल को थोड़ा और घटाकर 3,81,175 करोड़ रुपये पर लाने की उम्मीद जाहिर की गई.
केंद्र सरकार का सब्सिडी बिल (करोड़ रुपये में)
वित्त वर्ष | फूड सब्सिडी | फर्टिलाइजर सब्सिडी | फ्यूल सब्सिडी | कुल सब्सिडी |
2014-15 | 1,17,671.16 | 71,075.62 | 60,268.82 | 2,49,015.6 |
2015-16 | 1,39,419 | 72,415.17 | 29,999 | 2,41,833.17 |
2016-17 | 1,10,172.96 | 66,312.93 | 27,538.71 | 2,04,024.6 |
2017-18 | 1,00,281.69 | 66,467.57 | 24,460.49 | 1,91,209.75 |
2018-19 | 1,01,327 | 70,604.8 | 24,836.95 | 1,96,768.75 |
2019-20 | 1,08,688.35 | 81,124.33 | 38,528.78 | 2,28,341.46 |
2020-21 | 5,41,330.14 | 1,27,921.74 | 38,454.64 | 7,07,706.52 |
2021-22 | 2,88,968.54 | 1,53,758.1 | 3,422.6 | 4,46,149.24 |
2022-23 | 2,72,802.38 | 2,51,339.36 | 6,817.37 | 5,30,959.11 |
2023-24 BE | 1,97,350 | 1,75,099.92 | 2,257.09 | 3,74,707.01 |
2023-24 RE | 2,12,332 | 1,88,893.8 | 12,240 | 4,13,465.8 |
2024-25 BE | 2,05,250.01 | 1,63,899.8 | 11,925.01 | 3,81,174.82 |
BE: Budget Estimates; RE: Revised Estimates.Source : Budget Documents
सरकार के कुल एक्सपेंडीचर में घटा सब्सिडी का शेयर
पिछले 10 साल में केंद्र सरकार का सब्सिडी पर होने वाला कुल व्यय भले ही कई बार बढ़ा हो, लेकिन उसके कुल एक्सपेंडीचर में सब्सिडी का शेयर कम ही हुआ है.
वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान केंद्र सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा 16.3% था, जो वित्त वर्ष 2018-19 तक घटकर 9.6% रह गया.
वित्त वर्ष 2020-21 में सरकारी खर्च में सब्सिडी का हिस्सा बढ़कर 22% हो गया था, लेकिन ऐसा कोविड 19 महामारी की वजह से हुआ था.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट अनुमानों के मुताबिक कुल सरकारी खर्च में सब्सिडी का हिस्सा घटकर 6% के आसपास रहने की उम्मीद है.
सब्सिडी कहां बढ़ी, कहां हुई कटौती
2014 से अब तक मोदी सरकार के कार्यकाल में सब्सिडी के ढांचे में बड़े बदलाव हुए हैं. सरकारी सब्सिडी कहीं घटी है, तो कहीं बढ़ी है. मिसाल के तौर पर पिछले एक दशक में फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी तेजी से बढ़ी है, जबकि फ्यूल (पेट्रोल-डीजल, एलपीजी) पर दी जाने वाली सब्सिडी घटी है.
वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार के कुल सब्सिडी बिल में उर्वरक का हिस्सा 26.4%, खाद्य सब्सिडी का हिस्सा 36.1% और पेट्रोलियम सब्सिडी का शेयर 33.5% था.
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान खाद्य सब्सिडी का हिस्सा 47.7 % और फर्टिलाइजर का शेयर 44% हो गया, जबकि फ्यूल सब्सिडी की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 1.2% रह गयी.
फ्यूल सब्सिडी में कमी होने की वजह से ही फूड सब्सिडी में भारी इजाफे के बावजूद सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा काबू में रहा है.
वित्त वर्ष 2014-15 में फ्यूल पर कुल सब्सिडी 60,268.82 करोड़ रुपये थी.
वित्त वर्ष 2023-24 के रिवाइज्ड बजट एस्टिमेट्स (RE) में फ्यूल पर कुल सब्सिडी की रकम सिर्फ 12,240 करोड़ रुपये रही.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट एस्टिमेट्स (BE) में पेट्रोलियम सब्सिडी 11,925 करोड़ रुपये रखी गई है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान में 12,240 करोड़ रुपये थी.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट एस्टिमेट्स (BE) में उर्वरक सब्सिडी 1,64,000 करोड़ रुपये रखी गई है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान में 1,88,894 करोड़ रुपये थी.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट एस्टिमेट्स (BE) में फूड सब्सिडी 2,05,250 करोड़ रुपये रखी गई है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान में 2,12,332 करोड़ रुपये थी.