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Budget 2025 : पुरानी टैक्स रिजीम को पूरी तरह बंद करने से सिर्फ टैक्सपेयर्स ही नहीं, कई सेक्टर भी प्रभावित हो सकते हैं : (Image : Financial Express)
Budget 2025 :1 फरवरी 2025 को देश का नया बजट पेश होने वाला है. उससे पहले एक बार फिर से ऐसी अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि क्या सरकार नए बजट में पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) को बंद करने का एलान कर सकती है? दरअसल सरकार ने नई टैक्स रिजीम 2020 में पेश की थी, जिसमें टैक्स दरें कम रखी गई हैं, लेकिन उसमें ज्यादातर टैक्स छूटों (Tax Deduction and Exemption) का लाभ नहीं मिलता है. नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को पेश किए जाने के बाद से साल-दर-साल सरकार ने उसे लगातार बेहतर और ज्यादा आकर्षक बनाने की कोशिश भी की है. लेकिन पुरानी टैक्स रिजीम में मोटे तौर पर नई राहत नहीं दी गई है. ऐसे में यह सवाल बहुत सारे लोगों के महत्वपूर्ण है कि क्या सरकार वाकई बजट 2025 (Union Budget 2025) में पुरानी टैक्स रिजीम को बंद करने जैसा कदम उठा सकती है?
नई टैक्स रिजीम की लोकप्रियता बढ़ी है
2020 में लागू हुई नई टैक्स रिजीम को शुरुआत में ज्यादा समर्थन नहीं मिला. लेकिन पिछले चार बजट में सरकार ने इसे सरल और आकर्षक बनाने के लिए लगातार कई कदम उठाए. इसमें टैक्स स्लैब्स में बदलाव, बेसिक छूट सीमा में बढ़ोतरी और स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का लाभ देने जैसे प्रावधान शामिल है. इन बदलावों की वजह से नई टैक्स रिजीम की लोकप्रियता बढ़ी और बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स ने उसे अपनाया.
नई टैक्स रिजीम का मकसद
नई टैक्स रिजीम लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को आसान बनाना और टैक्स सेविंग करने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन्स पर टैक्सपेयर्स की निर्भरता को कम करना है. इसी कोशिश के तहत 2023-24 से नई टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट ऑप्शन बना दिया गया. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में 72% टैक्सपेयर्स ने नई टैक्स रिजीम को अपनाया है. लेकिन न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है, जिन्हें रिटर्न फाइल करते समय कोई टैक्स नहीं भरना पड़ता है. लेकिन जिन लोगों को वाकई टैक्स भरना होता है, उनमें बड़ी संख्या ऐसे टैक्सपेयर्स की है, जो अब भी ओल्ड रिजीम पर ही टिके हुए हैं. क्योंकि पुरानी टैक्स व्यवस्था में वे न सिर्फ टैक्स बचा पाते हैं, बल्कि टैक्स से जुड़े प्रोत्साहनों (Incentive) की वजह से अपने भविष्य की जिम्मेदारियों के लिए बचत और निवेश भी करते हैं.
पुरानी टैक्स रिजीम के फायदे
पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स जीवन बीमा, हेल्थ इंश्योरेंस, पीपीएफ, एनपीएस, ईएलएसएस जैसे कई इनवेस्टमेंट ऑप्शन्स और और हाउस प्रॉपर्टी जैसे एसेट्स में निवेश करने पर टैक्स छूट मिलती है. इसके अलावा मकान किराये, बच्चों के एजुकेशन, बीमारियों के इलाज, एलटीए जैसे कई खर्चों पर भी टैक्स में छूट मिलती है. लिहाजा यह उन टैक्सपेयर्स के लिए अधिक फायदेमंद है जिनकी आय का बड़ा हिस्सा इन खर्चों या निवेश में जाता है. यही वजह है कि वे लोग अब भी पुरानी टैक्स रिजीम में बने हुए हैं.
पुरानी टैक्स रिजीम बंद करने में क्या है अड़चन
ऊपर बताए गए फायदे देने वाली पुरानी टैक्स रिजीम को अगर पूरी तरह बंद कर दिया जाता है, तो इसका असर सिर्फ इस स्कीम के तहत टैक्स लाभ पाने वालों पर ही नहीं पड़ेगा. उनके निवेश की वजह से रियल एस्टेट, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड जैसे जिन सेक्टर्स को बिजनेस मिलता है, उन्हें भी नुकसान हो सकता है. एलटीए की वजह से टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को कारोबार मिलता है. इसके अलावा सरकार की टैक्स बचाने वाली स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में होने वाले निवेश पर भी असर पड़ सकता है. इकॉनमी की ओवरऑल सेंविग्स रेट पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा, जो टैक्सपेयर्स पुराने होम लोन चुका रहे हैं, या बीमा के प्रीमियम भर रहे हैं, उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं. इन तमाम वजहों को ध्यान में रखते हुए बजट 2025 में पुरानी टैक्स रिजीम को पूरी तरह से खत्म किए जाने की संभावना कम लग रही है. हां, सरकार अगर वाकई सिंगल टैक्स रिजीम की तरफ बढ़ना चाहती है, तो इसके लिए लंबे समय में स्टेप-बाई-स्टेप कदम उठाने की दिशा में कोई संकेत दिया जा सकता है. और ऐसा करते समय नई टैक्स रिजीम में कुछ नई टैक्स छूट जोड़कर उसे थोड़ा और फायदेमंद बनाने की घोषणा हो, तो भी हैरानी नहीं होगी.
बजट 2025 में क्या हो सकता है?
बजट 2025 में टैक्सपेयर्स के लिए कुछ बड़े ऐलान हो सकते हैं. हो सकता है पुरानी टैक्स रिजीम को पूरी तरह समाप्त करने की जगह नई टैक्स रिजीम को और आसान और आकर्षक बनाने के लिए कदम उठाए जाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा टैक्सपेयर्स उसे अपनाने लगे और धीरे-धीरे पुरानी टैक्स रिजीम की अहमियत कम हो जाए. लेकिन फिलहाल एक झटके में ओल्ड टैक्स रिजीम को बंद किए जाने के आसार कम ही लग रहे हैं.