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Indian Economic Outlook: भारत में 2024 का साल अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई उम्मीदों और चुनौतियों के साथ शुरू हो रहा है. क्या हैं ये उम्मीदें और चुनौतियां, जो नए साल में देश के आर्थिक सफर को आकार दे सकती हैं? (Image : Pixabay)
Indian Economic Outlook for 2024 : भारत में नए साल की शुरुआत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई उम्मीदों और चुनौतियों के साथ हो रही है. 2023 में कई वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया. शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया, जीडीपी ग्रोथ अच्छी रही और हर महीने जीएसटी कलेक्शन के आंकड़ों भी बेहतर इकनॉमिक ग्रोथ के संकेत देते रहे. लेकिन इन खुशनुमा आंकड़ों के बीच कुछ बातें चिंता की वजह भी बनी रहीं, जो नए साल में भी चुनौती पेश करती रहेंगी. मिसाल के तौर पर महंगे लग्जरी प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की डिमांड और बिक्री में तेजी देखने को मिली, लेकिन सस्ते, आम लोगों के इस्तेमाल की वस्तुओं की मांग दबी हुई नजर आई. एग्रीकल्चर सेक्टर की तस्वीर उतनी चमकदार नहीं रही है. साथ ही खाने-पीने की जरूरी चीजों की ऊंची कीमतों और महंगाई दर से जुड़ी चिंताओं ने हर तबके को आर्थिक खुशहाली के इस जश्न में बराबरी से शामिल होने से रोक रखा है. 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के सफर में ये दोनों ही पहलू शामिल हैं.
पॉजिटिव सरप्राइज से भरे विकास अनुमान
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2023-24 के लिए अपने रियल जीडीपी के विकास अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च, 2024 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के दौरान 6.5% की वास्तविक विकास दर (GDP Growth) हासिल होने की उम्मीद जाहिर की है. कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल और रियल एस्टेट सर्विसेज जैसे सेक्टर शानदार ग्रोथ रेट दिखा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीते साल के दौरान सामने आईं तमाम अड़चनों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने ज्यादातर चुनौतियों का अच्छी तरह सामना किया है, जिसमें घरेलू बाजार के प्रदर्शन ने मुख्य भूमिका निभाई है.
एक्सपोर्ट के मोर्चे पर बरकरार हैं चुनौतियां
कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे अहम सेक्टर काफी अच्छी ग्रोथ दिखा रहे हैं. लेकिन ग्लोबल डिमांड में कमजोरी की वजह से 2023 के पूरे साल के दौरान गुड्स एक्सपोर्ट के मामले में प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है. आईटी की अगुवाई वाले सर्विसेज सेक्टर में आगे चलकर कुछ नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं अब भी कई मुश्किलों से गुजर रही हैं. जियो-पोलिटिकल टकराव और शिपिंग लाइन्स पर अटैक जैसी घटनाएं भी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलें खड़ी करती हैं.
चुनावी साल का असर
इस साल की पहली छमाही का बड़ा हिस्सा लोकसभा चुनावों की गहमागहमी से भरा रहने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ कर चुकी हैं कि चुनावी वर्ष में पेश होने वाले अंतरिम बजट में कोई बड़े एलान होने के आसार नहीं हैं. इसके लिए जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट का इंतजार करना पड़ सकता है. इसका असर इकॉनमी पर भी पड़ सकता है. प्राइवेट इनवेस्टमेंट में बड़े पैमाने पर इजाफा होना भी जरूरी है ताकि सरकार पब्लिक एक्सपेंडीचर बढ़ाने की जगह राजकोषीय घाटे को कम करने पर ज्यादा ध्यान दे सके.
ब्याज दरों में कटौती की चर्चा और ग्लोबल आर्थिक माहौल
2024 की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कटौती की काफी उम्मीद की जा रही है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला बंद कर दिया है. बैंक ऑफ अमेरिका की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि नए साल के दौरान सारी दुनिया में मोटे तौर पर ब्याज दरों में कटौती का रुझान ही दिखाई देने वाला है. भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों और जीएसटी दरों की रूपरेखा पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है. दुनिया भर में संरक्षणवादी नीतियों की ओर बढ़ता झुकाव और चुनावी माहौल ट्रेड डील्स और वैश्विक आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है.
महंगाई का रुझान और डिमांड की स्थिति
महंगाई दर में रुक-रुक कर होने वाली बढ़ोतरी के बावजूद, भारत में इंफ्लेशन एक साल पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में दिख रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2024 की पहली छमाही में औसत रिटेल इंफ्लेशन 5.2% रहने और जुलाई से सितंबर 2024 की तिमाही में घटकर 4% तक आ जाने का अनुमान लगाया है. आरबीआई के अनुमानों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में यह दर एक बार फिर से बढ़कर 4.7% हो सकती है. हालांकि फूड इंफ्लेशन की दरें लगातार चिंता की वजह बनी हुई हैं और जरूरी चीजों की सप्लाई पर पड़ने वाला दबाव भी घरों के बजट को प्रभावित कर सकता है. फार्म सेक्टर का कमजोर प्रदर्शन और रूरल डिमांड पर उसका असर भी एक चुनौती है, जिसकी वजह से कंजम्प्शन पैटर्न में गैर-बराबरी देखने को मिल सकती है.
कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2024 का साल ग्रोथ प्रोजेक्शन, अधिकांश सेक्टर्स के प्रदर्शन और पॉलिसी से जुड़ी उम्मीदों के मामले में संभावनाओं से भरा है. लेकिन इन संभावनाओं को असलियत में बदलने के लिए न सिर्फ ग्लोबल लेवल पर, बल्कि घरेलू स्तर पर भी उन चुनौतियों से पार पाना जरूरी है, जो नया साल हमारे सामने पेश कर सकता है.