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एक सर्वे के अनुसार प्रशांत किशोर के चुनाव न लड़ने का फैसला एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है. Photograph: (PTI)
Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में एक बार फिर नई हलचल देखने को मिल रही है. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ( Prashant Kishor) ने दावा किया है कि अगर जनता “आस्था की छलांग” लगाती है, तो उनकी नवगठित पार्टी जन सुराज आगामी विधानसभा चुनाव में 150 से अधिक सीटें जीत सकती है. जन सुराज पार्टी ने राज्य की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर खुद किसी भी सीट से चुनावी मैदान में नहीं उतर रहे हैं. उनका यह कदम कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बन गया है — क्या यह रणनीति का हिस्सा है या व्यक्तिगत निर्णय? हालांकि, एक हालिया सर्वेक्षण ने इशारा किया है कि जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) के मैदान में उतरने से सत्तारूढ़ एनडीए को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है, जबकि महागठबंधन को कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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जेवीसी सर्वे के अनुसार, बिहार चुनाव पर प्रशांत किशोर के फैसले का गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है. सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों का मानना है कि उनके चुनाव मैदान से दूर रहने का निर्णय राज्य के चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा. लगभग 46% उत्तरदाताओं ने कहा कि प्रशांत किशोर द्वारा चुनाव न लड़ने का फैसला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. वहीं, करीब 36% लोगों का मानना है कि यह निर्णय महागठबंधन को लाभ पहुंचा सकता है. केवल 18% उत्तरदाता ऐसे थे जिन्होंने माना कि प्रशांत किशोर की चुनावी भूमिका या उनकी अनुपस्थिति से चुनाव पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.
जेवीसी सर्वे: बिहार में फिर एनडीए की वापसी तय, जन सुराज को केवल एक सीट
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जारी किए गए जेवीसी सर्वे के मुताबिक, सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बढ़त मिलने के संकेत हैं, जबकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को केवल एक सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है. सर्वे के अनुसार, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को कुल 120 से 140 सीटें मिल सकती हैं, जिससे उसे सरकार बनाने का मौका मिलेगा. गठबंधन के भीतर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 70 से 81 सीटें, जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU को 42 से 48 सीटें, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को 5 से 7 सीटें मिलने की उम्मीद है. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HUM) को दो सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक या दो सीटें मिल सकती हैं. वहीं, महागठबंधन (ग्रैंड एलायंस) को 93 से 112 सीटें मिलने का अनुमान है. इसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को 69 से 78 सीटें, कांग्रेस को 9 से 17 सीटें और भाकपा (माले) को 12 से 14 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. इसके अलावा, भाकपा (CPI) को एक सीट और भाकपा (मार्क्सवादी) यानी CPI(M) को एक से दो सीटें मिल सकती हैं.
हालांकि जेवीसी सर्वे ने एनडीए को स्पष्ट बढ़त और जन सुराज पार्टी को सीमित सफलता का अनुमान दिया है, लेकिन चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार चुनाव में असली मुकाबला एनडीए और उनकी जन सुराज पार्टी के बीच होगा.
प्रशांत किशोर ने सोमवार को एएनआई से कहा, “हम हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. महागठबंधन तीसरे स्थान पर है. मुकाबला एनडीए और जन सुराज के बीच है. पिछले 5 दिनों में तेजस्वी यादव ने जो घोषणाएँ की हैं, उनका कोई मतलब नहीं है. वे यह सब इसलिए कह रहे हैं ताकि प्रासंगिक बने रहें और चुनावी दौड़ में शामिल दिखें. लेकिन कोई उन पर ध्यान नहीं दे रहा है.”
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव बनाम प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव दोनों के सबसे मुखर आलोचकों में से एक बनकर उभरे हैं. उन्होंने दोनों नेताओं को बिहार की समस्याओं की “जड़” बताया है. किशोर का कहना है कि राज्य की स्थिति सुधारने और लोगों को रोज़गार की तलाश में पलायन से रोकने के लिए बिहार में जन सुराज सरकार का गठन जरूरी है.
प्रशांत किशोर ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, “अगर लोग फिर से लालू या नीतीश को वोट देंगे, तो उन्हें दोबारा ट्रेनों में जानवरों की तरह सफर करना पड़ेगा. बिहार की जनता को तय करना होगा कि वे फैक्ट्री बिहार में बनवाना चाहते हैं या दूसरे राज्यों में. लालू और नीतीश बिहार की सभी परेशानियों की जड़ हैं.”
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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