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Budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. (File Photo : PTI)
Budget 2024 : Central Govt Subsidies during last 10 years: सब्सिडी एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें अर्थशास्त्रियों, कॉरपोरेट वर्ल्ड से लेकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों तक, सबकी नज़र रहती है. सब्सिडी के बारे में लोगों की राय अक्सर उनकी सोच से प्रभावित रहती है, जिसका उनको हक भी है. किसी को लगता है सरकार का सब्सिडी देना दरअसल टैक्सपेयर्स से मिली रकम का गलत इस्तेमाल है, तो कोई इसे समाज में आर्थिक विषमता घटाने और कमजोर तबकों को राहत देने का वाजिब तरीका मानता है. नजरिया कोई भी हो, बजट में सब्सिडी की अहमियत को नजरअंदाज कोई नहीं कर सकता. जाहिर है मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब अपना बजट भाषण पढ़ रही होंगी, तो उनके सब्सिडी से जुड़े आंकड़ों पर सबकी नजर रहेगी. लेकिन अगर आपको उन आंकड़ों को सुनकर अपनी कोई राय बनानी है या सरकार की आर्थिक नीति से जुड़े किसी नतीजे तक पहुंचना है, तो आपके सामने पिछली तस्वीर साफ होनी चाहिए. हम बात कर रहे हैं, पिछले वर्षों के आंकड़ों की, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है.
आर्थिक सर्वेक्षण में सब्सिडी की तस्वीर
सोमवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुताबिक प्रमुख सब्सिडी पर सरकार का खर्च सालाना आधार पर 22.1 फीसदी कम हुआ है. सर्वे के मुताबिक FY24 में 24.6 फीसदी की सबसे बड़ी गिरावट फर्टिलाइजर सब्सिडी में आई है, जबकि फूड सब्सिडी भी 22.4 फीसदी कम हुई है. खास बात यह है कि सरकार ने कोविड 19 महामारी के समय गरीबों के लिए मुफ्त अनाज की जो योजना शुरू की थी, उसे वित्त वर्ष 2023-24 में विस्तार दिए जाने के बावजूद ऐसा हुआ है. सर्वे में फर्टिलाइजर सब्सिडी में गिरावट की वजह का खुलासा करते हुए बताया गया है कि FY23 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद की कीमतें काफी बढ़ गई थीं, जिसके चलते सब्सिडी पर खर्च भी बढ़ाना पड़ा था. लेकिन FY24 में फर्टिलाइजर्स की कीमतें मोटे तौर पर पुराने स्तरों पर वापस आ गईं, जिसके चलते उर्वरक सब्सिडी पर होने वाला खर्च कम हुआ है.
पिछले 10 साल के आंकड़े : कैसा रहा रुझान
सब्सिडी पर सरकार के पिछले 10 साल के कुल खर्च पर नजर डालें, तो कई कुछ रुझान साफ नजर आएंगे.
वित्त वर्ष 2014-15 से 2017-18 तक सरकार का कुल सब्सिडी बिल लगातार तेजी से घटा.
वित्त वर्ष 2014-15 में कुल सब्सिडी बिल 2,49,015.6 करोड़ रुपये था, जो उसके बाद लगातार तीन साल तक घटा.
वित्त वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार का कुल सब्सिडी बिल 2,41,833.17 करोड़ रुपये, 2016-17 में 2,04,024.6 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1,91,209.75 करोड़ रुपये रह गया.
वित्त वर्ष 2018-19 सरकार का कुल सब्सिडी बिल थोड़ा बढ़कर 1,96,768.75 करोड़ और वित्त वर्ष 2019-20 में कुछ और बढ़कर 2,28,341.46 करोड़ रुपये हो गया.
वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड 19 महामारी के कारण सब्सिडी बिल अचानक तेजी से बढ़कर 7,07,706.52 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा.
कोविड 19 के काबू में आने के बाद सरकार ने एक बार फिर सब्सिडी को घटाना शुरू किया.
वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट अनुमान में इसके 4,13,465.8 करोड़ रुपये तक सीमित रहने की उम्मीद जाहिर की गई.
वित्त वर्ष 2024-25 के (अंतरिम) बजट अनुमान में कुल सब्सिडी बिल को थोड़ा और घटाकर 3,81,174.82 करोड़ रुपये पर लाने की उम्मीद जाहिर की गई.
केंद्र सरकार का सब्सिडी बिल (करोड़ रुपये में)
Financial Year | Food Subsidy | Fertilizer Subsidy | Fuel Subsidy | Total |
2014-15 | 1,17,671.16 | 71,075.62 | 60,268.82 | 2,49,015.6 |
2015-16 | 1,39,419 | 72,415.17 | 29,999 | 2,41,833.17 |
2016-17 | 1,10,172.96 | 66,312.93 | 27,538.71 | 2,04,024.6 |
2017-18 | 1,00,281.69 | 66,467.57 | 24,460.49 | 1,91,209.75 |
2018-19 | 1,01,327 | 70,604.8 | 24,836.95 | 1,96,768.75 |
2019-20 | 1,08,688.35 | 81,124.33 | 38,528.78 | 2,28,341.46 |
2020-21 | 5,41,330.14 | 1,27,921.74 | 38,454.64 | 7,07,706.52 |
2021-22 | 2,88,968.54 | 1,53,758.1 | 3,422.6 | 4,46,149.24 |
2022-23 | 2,72,802.38 | 2,51,339.36 | 6,817.37 | 5,30,959.11 |
2023-24 BE | 1,97,350 | 1,75,099.92 | 2,257.09 | 3,74,707.01 |
2023-24 RE | 2,12,332 | 1,88,893.8 | 12,240 | 4,13,465.8 |
2024-25 BE | 2,05,250.01 | 1,63,899.8 | 11,925.01 | 3,81,174.82 |
BE: Budget Estimates; RE: Revised Estimates.Source : Budget Documents
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सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा कम हुआ
दिलचस्प बात ये है कि पिछले 10 साल में केंद्र सरकार का सब्सिडी पर होने वाला कुल खर्च भले ही कई बार बढ़ा हो, लेकिन सरकार के कुल एक्सपेंडीचर में सब्सिडी का हिस्सा कम हुआ है.
वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान केंद्र सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा 16.3% था, जो वित्त वर्ष 2018-19 तक घटकर 9.6% रह गया.
वित्त वर्ष 2020-21 में सरकारी खर्च में सब्सिडी का हिस्सा बढ़कर 22% हो गया था, लेकिन ऐसा कोविड 19 के कारण पैदा हुआ असाधारण परिस्थितियों के कारण हुआ था.
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों के मुताबिक कुल सरकारी खर्च में सब्सिडी का हिस्सा घटकर 9% के आसपास आने की उम्मीद है.
सब्सिडी : कहां घटी, कहां बढ़ी
मोदी सरकार के 10 साल के राज में सब्सिडी के ढांचे में बड़े बदलाव हुए हैं. सरकारी सब्सिडी कहीं घटी है, तो कहीं बढ़ी है. मसलन, पिछले एक दशक के दौरान खाद्य और उर्वरक सब्सिडी तेजी से बढ़ी है तो ईंधन यानी फ्यूल (पेट्रोल-डीजल, एलपीजी) पर दी जाने वाली सब्सिडी घटी है.
वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार के कुल सब्सिडी बिल में उर्वरक का हिस्सा 26.4%, खाद्य सब्सिडी का हिस्सा 36.1% और पेट्रोलियम सब्सिडी का शेयर 33.5% था.
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान खाद्य सब्सिडी का हिस्सा 47.7 % और फर्टिलाइजर का शेयर 44% हो गया, जबकि फ्यूल सब्सिडी की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 1.2% रह गयी.
फ्यूल सब्सिडी में कमी होने की वजह से ही फूड सब्सिडी में भारी इजाफे के बावजूद सरकार के कुल खर्च में सब्सिडी का हिस्सा काबू में रहा है.
वित्त वर्ष 2014-15 में फ्यूल पर कुल सब्सिडी 60,268.82 करोड़ रुपये थी.
वित्त वर्ष 2023-24 के रिवाइज्ड बजट एस्टिमेट्स (RE) में फ्यूल पर कुल सब्सिडी की रकम सिर्फ 12,240 करोड़ रुपये है.
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट एस्टिमेट्स (BE) में फ्यूल सब्सिडी केवल 11,925.01 करोड़ रुपये रखी गई है.