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FM Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टैक्स रेट में कटौती के विचार के पूरी तरह सपोर्ट में थे, लेकिन नौकरशाहों को समझाने में समय लगा. (ANI Photo)
FM Nirmala Sitharaman says FY26 Budget is by the people for the people: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन (Abraham Lincon Former President of US) के शब्दों को याद करते हुए आम बजट को "लोगों द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का" बताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टैक्स रेट में कटौती के विचार का पूरी तरह से सपोर्ट करते थे, लेकिन नौकरशाहों को इस विचार को समझाने में समय लगा. बजट पेश करने के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को दिए अपने पहले इंटरव्यू में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा हमने मिडिल क्लास की आवाज सुनी है, जो ईमानदार करदाता होने के बावजूद अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति न होने की शिकायत कर रहे थे.
टैक्सपेयर्स की इच्छा थी कि सरकार महंगाई दर जैसे कारकों के प्रभाव को सीमित करने के लिए कदम उठाए. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सीतारमण को उन्हें राहत देने के तरीकों पर विचार करने के लिए कहा था. वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स छूट के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री जल्द सहमत हो गए, लेकिन वित्त मंत्रालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के अधिकारियों को इसके लिए मनाने में थोड़ा समय लगा. इन अधिकारियों को कल्याण और अन्य योजनाओं को पूरा करने के लिए रेवेन्यू कलेक्शन सुनिश्चित करना होता है. वित्र मंत्री सीतारमण ने शनिवार को अपना आठवां बजट पेश करते हुए इंडीविजुअल टैक्स लिमिट में बढ़ोतरी की घोषणा की. अब टैक्सपेयर्स को न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा जबकि पहले यह लिमिट 7 लाख रुपये थी. टैक्स में छूट सीमा में 5 लाख रुपये की बढ़ोतरी अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है और यह 2005 और 2023 के बीच दी गई सभी कर राहतों के बराबर है.
सीतारमण ने कहा - मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने इसे सार रूप में बयां कर दिया. उन्होंने कहा कि यह लोगों का बजट है, यह वह बजट है जिसे लोग चाहते थे.’’ इस बजट के चरित्र को अपने शब्दों में बयां करने के लिए कहे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जैसा कि अब्राहम लिंकन के शब्दों में लोकतंत्र के बारे में कहा जाता है, यह ‘लोगों के द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का’ बजट है.’’ सीतारमण ने कहा कि नई दरें मिडिल क्लास के टैक्स देनदारी में काफी कमी लाएंगी और उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा जिससे घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने इस बड़ी घोषणा के पीछे की सोच को समझाते हुए कहा कि टैक्स कटौती पर कुछ समय से काम चल रहा था. डायरेक्ट टैक्स को सरल और अनुपालन में आसान बनाने की दिशा में काम जुलाई, 2024 के बजट में शुरू हो गया था. अब एक नया कानून तैयार है, जो कानून की भाषा को आसान बनाएगा, अनुपालन बोझ कम करेगा और यूजर के अधिक अनुकूल होगा.
सीतारमण ने कहा, ‘‘पिछले बजट के बाद मिडिल क्लास की आवाज उठने लगी. उसे लग रहा था कि वे टैक्स दे रहे हैं लेकिन अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनके पास ज्यादा कुछ नहीं है. यह एहसास भी दिख रहा था कि सरकार बहुत गरीब और कमजोर तबकों की देखभाल करने में बहुत समावेशी है.
उन्होंने कहा- मैं जहां भी गई, वहां से यही आवाज आई कि हम गर्वित और ईमानदार टैक्सपेयर्स हैं. हम अच्छे टैक्सपेयर बनकर देश की सेवा करना जारी रखना चाहते हैं. लेकिन आप हमारे लिए किस तरह की चीजें कर सकते हैं, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘फिर मैंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस बारे में चर्चा की, जिन्होंने मुझे यह देखने का खास काम सौंपा कि इस दिशा में क्या किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आंकड़ों पर गौर करने के बाद प्रधानमंत्री के समक्ष उसे पेश किया गया. उन्होंने हमें उस कदम के बारे में मार्गदर्शन दिया जिसे शनिवार को बजट में पेश किया गया.
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी को संबंधित प्रस्ताव के लिए मनाने में कितना प्रयास करना पड़ा, सीतारमण ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे लगता है कि आपका सवाल यह होना चाहिए कि मुझे मंत्रालय और सीबीडीटी को मनाने में कितना समय लगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि वह कुछ करना चाहते हैं. यह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह सहज महसूस करे और फिर प्रस्ताव के साथ आगे बढ़े. मंत्रालय और सीबीडीटी को समझाने की जरूरत थी क्योंकि उन्हें रेवेन्यू बढ़ाने के बारे में सुनिश्चित होना था. वित्त मंत्री ने कहा कि वे (अधिकारी) समय-समय पर मुझे यह याद दिलाने में गलत नहीं थे कि इसका क्या मतलब होगा? लेकिन आखिरकार, सभी इस पर राजी हो गए.
सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री विभिन्न सेक्टर्स के लोगों और उद्योग जगत के नेताओं से मिलते हैं और उनकी आवाज़ सुनते हैं और उनकी जरूरतों पर प्रतिक्रिया देते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस सरकार का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं, जो सचमुच आवाज़ सुनती है और प्रतिक्रिया देती है.’’ इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स के दायरे को बढ़ाने का प्रयास जारी है और भुगतान कर पाने की क्षमता वाले अधिक से अधिक भारतीयों को इस दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है.
भारत में फिलहाल करीब 8.65 करोड़ आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए जाते हैं. रिटर्न दाखिल न करने वाले लेकिन टीडीएस देनदारी वाले लोगों को जोड़ने के बाद यह संख्या बढ़कर 10 करोड़ से अधिक हो जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अभी दायरे से बाहर मौजूद तमाम लोगों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए. जो कभी टैक्सपेयर नहीं रहे या जो अब आमदनी के उस स्तर पर पहुंच गए हैं, या जो टैक्स से बचते रहे हैं, उन सबको इसमें लाया जाना चाहिए.’’
सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में 10.18 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल गेन के संशोधित अनुमान की तुलना में आगामी वित्त वर्ष के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने का बचाव करते हुए कहा कि खर्च की गुणवत्ता को भी देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम 2020 से हर साल कैपिटल गेन में 16 फीसदी, 17 फीसदी की वृद्धि के आदी हो गए हैं. अब कह रहे हैं कि आपने इस बजट में उतना नहीं बढ़ाया है तो मैं आपसे यह भी पूछना चाहूंगी कि कृपया खर्च की गुणवत्ता पर भी गौर करें.’’ इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि 2024 के एक चुनावी साल होने से कैपिटल गेन की रफ्तार धीमी हो गई थी. अगर ऐसा न हुआ रहता तो संशोधित अनुमान भी बजट अनुमान के करीब रहता.
लोकसभा में शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना आठवां और पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया. वित्त वर्ष के आम बजट में नौकरीपेशा के लिए सालाना 12.75 लाख और बाकी टैक्सपेयर्स के लिए सालाना 12 लाख रुपये तक की आमदमी पर टैक्स फ्री करने का ऐलान किया, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह कदम टैक्सेशन को सरल बनाने और इसे अधिक प्रगतिशील बनाने में मदद करेगा.