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Budget 2025 Expectations : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करेंगी. (File Photo : Reuters)
Budget 2025 Expectations : केंद्र सरकार के अगले बजट में फूड, फर्टिलाइजर और रसोई गैस सब्सिडी के 4.1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो बजट में इन प्रमुख सब्सिडी का हिस्सा बढ़कर 8% हो सकता है. सब्सिडी में बढ़ोतरी का मकसद ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग (Lower Income Group) को राहत देना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करेंगी.
कितनी बढ़ सकती है फूड सब्सिडी
रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताए गए अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सब्सिडी के कुल 4.1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में फूड सब्सिडी का हिस्सा 5% बढ़कर 2.15 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जो पिछले वर्ष के 2.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण चावल की खरीद में बढ़ोतरी और भंडारण की लागत में इजाफा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था की रिकवरी में फूड सब्सिडी बड़ा योगदान कर सकती है.
रसोई गैस सब्सिडी में बढ़ोतरी का अनुमान
रिपोर्ट के मुताबिक रसोई गैस सब्सिडी के लिए अगले वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की संभावना है. यह मौजूदा वित्त वर्ष के 11,900 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुने से अधिक है. ऊर्जा की बढ़ती लागत (Energy Cost) और घरेलू यूजर्स को राहत प्रदान करने के लिए यह सब्सिडी महत्वपूर्ण है.
फर्टिलाइजर सब्सिडी में होगा बदलाव?
रिपोर्ट के मुताबिक फर्टिलाइजर सब्सिडी के एलोकेशन को 1.7 लाख करोड़ रुपये के मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की उम्मीद है. फर्टिलाइजर की लागत में बढ़ोतरी और एग्रीकल्चर सेक्टर की प्रोडक्टिविटी को बनाए रखने के लिए यह एलोकेशन महत्वपूर्ण है. फर्टिलाइजर सब्सिडी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी जरूरी है, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलती है.
आर्थिक चुनौतियों के बीच सब्सिडी की भूमिका
भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल ग्रोथ रेट में कमी का सामना कर रही है और ग्लोबल लेवल पर अनिश्चितता ने हालात को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है. ऐसे में सब्सिडी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा सपोर्ट साबित हो सकती है. अगर सरकार ने अनुमानों को सच साबित करते हुए बजट में फूड, फर्टिलाइजर और रसोई गैस सब्सिडी पर आवंटन बढ़ाया तो न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी, बल्कि कंज्यूमर डिमांड में तेजी का लाभ दूसरे क्षेत्रों को भी मिल सकता है.