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बजट 2026-27: इनकम टैक्स में 5 बड़े बदलाव जिनका करदाता कर रहे हैं इंतज़ार

केंद्रीय बजट 2026-27 से करदाताओं को टैक्स राहत, सरल नियम, तेज रिफंड और नए आयकर कानून 2025 के स्पष्ट रोडमैप की उम्मीद है. लोग चाहते हैं कि बजट टैक्स व्यवस्था को आधुनिक, पारदर्शी और लोगों के लिए अनुकूल बनाए, जिससे आर्थिक स्थिरता और भरोसा बढ़े.

केंद्रीय बजट 2026-27 से करदाताओं को टैक्स राहत, सरल नियम, तेज रिफंड और नए आयकर कानून 2025 के स्पष्ट रोडमैप की उम्मीद है. लोग चाहते हैं कि बजट टैक्स व्यवस्था को आधुनिक, पारदर्शी और लोगों के लिए अनुकूल बनाए, जिससे आर्थिक स्थिरता और भरोसा बढ़े.

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Mithilesh Kumar Jha
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Nirmala Sitaraman

बजट 2026-27: करदाता इनकम टैक्स से जुड़ी 5 बड़ी राहतों का कर रहे हैं इंतज़ार.

Budget 2026-27:लगभगतीनमहीनेबादमोदीसरकारअपनेतीसरेकार्यकालकातीसराकेंद्रीयबजटसंसदमेंपेशकरनेजारहीहै. हरबजटकीतरहइसबारभीवित्तमंत्रीकेभाषणकासबसेअधिकइंतजारउसहिस्सेका रहेगा, जहाँ वे कर उपायों, खासकर व्यक्तिगत आयकर राहत से जुड़ी घोषणाएँ करेंगी.

सरकार आम तौर पर हरबजटमें अपनी कर नीतियों को देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की कोशिश करती है. कर राजस्व किसी भी सरकार के लिए विकास कार्यों, शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण योजनाओं पर खर्च करने का मुख्य स्रोत होता है.

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केंद्रीय बजट 2026-27: तैयारियाँ शुरू, वित्त मंत्रालय ने मांगे सुझाव

वित्त वर्ष 2026-27 का केंद्रीय बजट, जो 1 फरवरी 2026 को पेश कियाजाएगा, की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं. वित्त मंत्रालय ने व्यापार और उद्योग जगत से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर ढांचे में बदलाव के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं. मंत्रालय ने दरों के तार्किकीकरण (raterationalisation) और अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाने (compliancesimplification) से जुड़ी सिफारिशें देने काअनुरोधकिया है.माना जा रहा है कि आने वाले बजटमें सरकार आर्थिक वृद्धि को गति देने और निवेशमाहौलको बेहतर बनाने के लिएकुछ अहम कर सुधारों की घोषणा कर सकती है.

राजस्व विभाग की Tax ResearchUnit (TRU) ने अपने नियमित पूर्व-बजट संदेश में कहा है कि व्यापार और उद्योग जगत से मिले कर सुझाव 10 नवंबर तक मंत्रालयको भेजे जा सकते हैं. TRU ने बताया कि भेजे जाने वाले सुझावों में आर्थिक कारण, ज़रूरी आंकड़े और राजस्व पर असर जैसी जानकारी जरूर होनी चाहिए. सरकार चाहती है कि इस बार का बजट संतुलित और ठोस तथ्यों पर आधारित हो, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत दिशा मिल सके.

हालांकि औपचारिक रूप से वित्त मंत्रालय ने सुझावों के लिए व्यापार और उद्योग जगत से अपील की है, लेकिन देश के करोड़ों करदाताओं की अपनी भी कई उम्मीदें इस बजट से जुड़ी हैं.यह बजट इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यह नएआयकरकानून, 2025 (Income Tax Act, 2025) केलागूहोनेसे पहले का अंतिम पूर्ण बजट होगा. नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा, जो वर्तमान में लागू लगभग छह दशक पुराने आयकर कानून की जगह लेगा.

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 पिछले दो बजटों में मिली राहत ने बढ़ाई इस बार उम्मीदें

कर सुधारों के लिहाज से केंद्र सरकार के पिछले दो बजट बेहद अहम रहे हैं. खासकर पिछले बजट में सरकार ने नई कर प्रणाली के तहत टैक्स-फ्री आय की सीमा 12 लाख तक बढ़ाकर करदाताओं को बड़ा तोहफ़ा दिया था, यह राहत कई दशकों में सबसे बड़ी मानी जा रही है. इसके साथ ही मूल छूट सीमा (BasicExemptionLimit) भी 4 लाख तक बढ़ा दी गई थी. इससे मध्यम वर्ग के करोड़ों आयकरदाताओं को सीधा लाभ मिला.

इससे पहले केंद्रीय बजट 2024 (जो NDA सरकार के तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद जुलाई में पेश हुआ था) में भी कई अहम बदलाव किए गए थे. इनमें सबसे प्रमुख सुधार पूंजीगत लाभ कर प्रणाली (CapitalGainsTaxation) से संबंधित था, जिसने निवेशकों और बाजार सहभागियों पर व्यापक असर डाला.

अब सभी की निगाहें आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 पर टिकी हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि सरकार कर प्रणाली को और सरल बनाते हुएआम जनता को अतिरिक्त राहत दे सकती है.

केंद्रीय बजट 2025: नई टैक्स व्यवस्था में मिली बड़ी राहत, पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं

वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में सरकार ने करदाताओं को बड़ी राहत दी थी, लेकिन ये राहतें सिर्फ नई कर व्यवस्था (NewTaxRegime) के तहत दी गईं.नई टैक्स व्यवस्था में व्यक्तियों के लिए किए गए कुछ अहम बदलाव इस प्रकार थे:

  • सेक्शन 87A के तहत 12 लाख तक की आय टैक्स-फ्री कर दी गई.
  • ₹24 लाख वार्षिक आय तक के लिए कम दरों वाले नएकरस्लैब लागू किए गए.
  • वेतनभोगी कर्मचारियों को 75,000 का स्टैंडर्डडिडक्शन दिया गया.
  • फेसलेस टैक्स सिस्टम में रिटर्नफाइलिंगऔररिफंडप्रक्रियाकोऔरआसानबनायागया.

हालांकि, पुरानीटैक्सव्यवस्था (Old Tax Regime)जिसेअबभीबड़ीसंख्यामेंवेतनभोगीकरदाताचुनतेहैं, मेंकोईबदलावनहींकियागया. लोकप्रियकटौतियाँजैसेसेक्शन 80C (₹1.5 लाखनिवेशछूट) औरसेक्शन 80D (मेडिकलइंश्योरेंसपरछूट) कोज्योंकात्योंरखागया.

इसीकारणअबकेंद्रीयबजट 2026-27 को लेकर करदाताओं की उम्मीदें समानता (parity), स्थिरता (predictability) और वास्तविक कर राहत (genuinerelief) पर केंद्रित हैं.मध्यम वर्ग के लिए यह बजट खास महत्व रखता है, क्योंकि महंगाई लगातार बढ़ रही है, जबकि कर छूट की सीमाएँ वर्षों से लगभग स्थिर हैं. ऐसे में करदाता चाहते हैं कि सरकार ऐसा संतुलित बजट पेश करे, जो बढ़ती जीवन-यापन लागत के अनुरूप राहत और कर प्रणाली में न्यायपूर्ण समानता दोनों सुनिश्चित करे.

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बजट 2026-27 से करदाताओं की क्या हैं उम्मीदें

1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले नए आयकर कानून से ठीक पहले पेश होने वाला केंद्रीय बजट 2026-27 करदाताओं के लिए बेहद अहम होगा. लोगोंकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस बजट में क्या बदलाव और राहतें पेश करती है.

अगले बजट से करदाताओं की कुछ प्रमुख उम्मीदें और आकांक्षाएँ इस प्रकार हैं,जो नए आर्थिक रुझानों, विशेषज्ञों की सिफारिशों और आम करदाताओं की भावना पर आधारित हैं:

1. पुरानी टैक्स व्यवस्था के करदाताओं को राहत की उम्मीद, छूट सीमा बढ़ाने की मांग

पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वाले करदाता इस बार केंद्रीय बजट 2026-27 से कुछ ठोस राहत की उम्मीद कर रहे हैं. उनका मानना है कि सरकार को बेसिक छूट सीमा, जो फिलहाल 2.5 लाख है, को बढ़ाकर नई कर व्यवस्था (NewTax Regime) के अनुरूप करना चाहिए.साथ ही, सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की निवेश छूट सीमा को बढ़ाकर 2 लाख किए जाने की भी व्यापक मांग है. इससे लोगों को बचत, बीमा, और बच्चों की शिक्षा जैसे खर्चों को बेहतर ढंग से संभालने में मदद मिलेगी.

हालाँकि सरकार नई टैक्स व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है, लेकिन अब भी कई वेतनभोगी और मध्यमआयवर्गीयकरदाता पुरानी व्यवस्था को ही प्राथमिकता देते हैं. इसका कारणहैEPF (कर्मचारी भविष्य निधि), गृह ऋण ब्याज, ट्यूशन फीस और बीमा प्रीमियम जैसी कटौतियों का लाभ, जो नई व्यवस्था में उपलब्ध नहीं है.

करदाताओं की अपेक्षा है कि सरकार या तो पुरानी व्यवस्था की दरों और छूटों में सुधार करेया फिर नई व्यवस्था में कुछ प्रोत्साहन (incentives) जोड़कर दोनों व्यवस्थाओं के बीच संक्रमण को सहज बनाए.

2. नए आयकर कानून में आसान अनुपालन और जल्द रिफंड की उम्मीद

करदाताओं के लिए वर्षों से सबसे बड़ी परेशानी रही है अनुपालन प्रक्रिया (Compliance) जैसे आयकर रिटर्न भरना, TDS का मिलान करना और रिफंड के लिए महीनों तक इंतजार करना. लेकिन अब नया आयकर विधेयक (Income Tax Bill), जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, इन सभी दिक्कतों को काफी हद तक दूर करने की उम्मीद जगा रहा है.इस नए कानून के तहत “असेसमेंटईयर (AssessmentYear)” की जगह अब “टैक्सईयर (TaxYear)” की अवधारणा लागू की जाएगी, जिससे कर निर्धारण की प्रक्रिया अधिक सीधी और समझने मेंआसान हो जाएगी. इसके अलावा, आयकर अधिनियम में मौजूद धाराओं की संख्या घटाई जाएगी, ताकि पूरा कानून सरल और स्पष्टहो सके.

सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह होगा कि अब देरी से दाखिल किए गए रिटर्न (DelayedFilings) पर भीरिफंडकीअनुमति मिलेगी. यह कदम उन करदाताओं के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें पहले तकनीकी कारणों या देरी के चलते रिफंड पाने में कठिनाई होती थी.

करदाताओं को उम्मीदहै कि केंद्रीयबजट 2026-27 नए आयकर कानून के लागू होने से पहले इस बदलाव की दिशा तय करेगा और स्मार्ट, सरल और उपयोगकर्ता-हितैषी ई-फाइलिंगसिस्टम पेश करेगा. साथ ही, सरकार से यह भी अपेक्षा है कि वह रिफंड प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाए, ताकि करदाताओं खासकर वेतनभोगी कर्मचारियों को महीनों तक इंतजार न करना पड़े.

लोगों का मानना है कि अगर बजट में इस दिशा में ठोस कदम उठाए गए, तो यह न केवल अनुपालन प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि करदाताओं और सरकार के बीच विश्वास और पारदर्शिता को भी और मजबूत करेगा.

3. घर, स्वास्थ्य और बुढ़ापे के खर्च पर मिले अधिक छूट

हाल के वर्षों में जीवनयापन, मकान और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में तेज़ बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में करदाताओं की मांग है कि सरकार नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत भी इन खर्चों पर कुछ हद तक कटौती की सुविधा दे, क्योंकि वर्तमान व्यवस्था में इन पर कोई छूट नहीं मिलती. पुरानी टैक्स व्यवस्था के करदाता भी राहत की उम्मीद कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि गृह ऋण ब्याज पर छूट सीमा को बढ़ाया जाए जो फिलहाल ₹2 लाख है. इसी तरह मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट, जो वर्तमान में ₹25,000 (साधारण करदाता के लिए) और ₹50,000 (वरिष्ठ नागरिक के लिए) है, उसमें भी वृद्धि की जाए ताकि बढ़ते स्वास्थ्य खर्चों का बोझ कम हो सके.

वरिष्ठ नागरिक चाहते हैं कि सरकार बचत पर मिलने वाली ब्याज आय की छूट सीमा को बढ़ाए, ताकि उन्हें अधिक राहत मिल सके. साथ ही, वे यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि पेंशनभोगियों के लिए टैक्स भरने की प्रक्रिया को और आसान बनाया जाए. इसके अलावा, सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) पर मिलने वाले ब्याज की मौजूदा टैक्स छूट को भी जारी रखा जाए, ताकि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की आय पर कर का बोझ न बढ़े.

4. पूंजीगत लाभ कर में सुधार की मांग: नियम हों सरल और एकसमान

कैपिटल गेन टैक्स के नियम अब भी जटिल और बिखरे हुए हैं, जिससे आम करदाताओं के लिए समझना और लागू करना मुश्किल हो जाता है. करदाताओं की मांग है कि सरकार सभी परिसंपत्तियों (Asset Classes) जैसे शेयर (shares), बॉन्ड, रियल एस्टेट और म्यूचुअल फंड्स (mutual Fund) पर लागू पूंजीगत लाभ कर को एक समान बनाया जाए. साथ ही, वे चाहते हैं कि होल्डिंग पीरियड यानी निवेश कितने समय तक रखा गया है, उसकी परिभाषा को भी सरल और स्पष्ट किया जाए. ऐसा करने से निवेशक वर्ग के लिए कर प्रणाली पारदर्शी, आसान और न्यायसंगत बने.

5. डिजिटल एसेट टैक्सेशन में पारदर्शिता की मांग

तेजी से बढ़ते डिजिटल निवेश और वैश्विक आय के चलते करदाताओं को अब डिजिटल एसेट्स पर टैक्स नियमों में और स्पष्टता की उम्मीद है. आने वाले बजट और नई कर व्यवस्था के तहत सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह विदेशी संपत्तियों, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल होल्डिंग्स, तथा कर्मचारियों को मिलने वाले ESOPs (Employee Stock Ownership Plans) की टैक्सिंग को लेकर साफ़ दिशानिर्देश जारी करे.

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60 साल पुराने कानून को अलविदा, 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा नया टैक्स सिस्टम

संसद द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में पारित आयकर अधिनियम, 2025 (Income Tax Act, 2025) आगामी 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा. यह नया कानून भारत के 60 साल पुराने आयकर ढांचे को बदलने का लक्ष्य रखता है.

सरकार का उद्देश्य इस कानून के माध्यम से कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है, ताकि अनुपालन आसान हो और करदाताओं को बेहतर अनुभव मिल सके. इससे कर प्रशासन में भी दक्षता बढ़ेगी और डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप कर व्यवस्था को नया स्वरूप मिलेगा.

नए आयकर कानून की प्रमुख विशेषताएँ

इस नए कानून की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं —

  • भाषा को अधिक सरल और समझने योग्य बनाया गया है तथा धाराओं की संख्या 800 से घटाकर लगभग 500 कर दी गई है.
  • अब “असेसमेंट ईयर” की जगह “टैक्स ईयर” की अवधारणा लागू होगी.
  • देरी से दाखिल किए गए रिटर्न (Late Returns) पर भी रिफंड की अनुमति दी जाएगी. साथ ही, गृह ऋण और किराए की आय पर मिलने वाली मौजूदा छूटें (Exemptions) जारी रहेंगी.
  • इसके अलावा, डिजिटल एसेट्स और वैश्विक आय (Global Income) से जुड़ी रिपोर्टिंग के लिए भी स्पष्ट प्रावधान जोड़े गए हैं.

यह बदलाव भारत की टैक्स व्यवस्था को और आधुनिक और डिजिटल युग के अनुरूप बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. आने वाला केंद्रीय बजट 2026-27 इस परिवर्तन का पुल साबित होगा, जो करदाताओं और टैक्स सिस्टम दोनों को नए नियमों और प्रक्रिया के लिए तैयार करेगा.

केंद्रीय बजट 2026-27 से करदाताओं की उम्मीदें

करदाताओं की नजर में इस बार का बजट सिर्फ टैक्स दरों में कमी का नहीं, बल्कि एक सरल, न्यायसंगत और भरोसेमंद टैक्स सिस्टम की उम्मीद से जुड़ा है. लोग चाहते हैं कि सरकार नई और पुरानी दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में टैक्स-फ्री आय की सीमा या रिबेट बढ़ाए. साथ ही, छूट और कटौतियों के नियम को और साफ़ व एक जैसे बनाए, ताकि टैक्स भरना आसान हो. करदाता यह भी चाहते हैं कि रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया और रिफंड मिलने की गति में सुधार किया जाए, और स्वास्थ्य व घर से जुड़ी खर्चों पर ज्यादा राहत मिले.

इसके अलावा, लोगों की उम्मीद है कि सरकार नए आयकर कानून 2025 को लागू करने के लिए एक स्पष्ट योजना (रोडमैप) बताए. वहीं, कारोबार जगत चाहता है कि GST और अन्य अप्रत्यक्ष करों को स्थिर और अनुमानित बनाया जाए, ताकि व्यापार और निवेश से जुड़े फैसले लेना आसान हो सके.

कुल मिलाकर, करदाताओं की इच्छा है कि यह बजट सरलता और स्थिरता के बीच संतुलन बनाते हुए देश की टैक्स व्यवस्था को आधुनिक और लोगों के लिए सुविधाजनक दिशा दे.

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केंद्रीय बजट 2026-27: कर राहत और खर्चों के बीच संतुलन की चुनौती

जैसे-जैसे सरकार अपने बजट प्रस्तावों को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रही है, वित्त मंत्री के सामने वही पुरानी लेकिन अहम चुनौती एक बार फिर है- राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Prudence) बनाए रखते हुए करदाताओं को राहत देना. हालाँकि, इस बार की स्थिति अलग है, क्योंकि नया आयकर कानून 2025 जल्द ही लागू होने जा रहा है. ऐसे में केंद्रीय बजट 2026-27 आने वाले वर्षों के लिए एक स्पष्ट, स्थिर और नागरिक-हितैषी कर व्यवस्था की नींव रख सकता है.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

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