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दिल्ली में क्लाउड सीडिंग क्यों असफल रही? Photograph: (PTI)
Artificial Rain: दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने मंगलवार को बढ़ते प्रदूषण स्तर से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा (आर्टिफिशियल रेन) कराने की दिशा में दो क्लाउड सीडिंग के परीक्षण किए. इसके तहत नमक आधारित और सिल्वर आयोडाइड फ्लेयर से लैस एक विमान का उपयोग किया गया. हालांकि, मंगलवार शाम तक कानपुर और मेरठ से उड़ान भरने वाले दोनों विमानों के प्रयास असफल रहे और कहीं भी बारिश नहीं हुई.
आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के निदेशक मनीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के प्रयास “पूरी तरह सफल” नहीं रहे. उन्होंने बताया कि मंगलवार को दो उड़ानें भरी गईं- एक दोपहर में और दूसरी शाम के समय. इन उड़ानों के दौरान कुल 14 फ्लेयर दागे गए, लेकिन इसके बावजूद बारिश नहीं हुई. अग्रवाल ने कहा, “विमान फ्लेयर दागने के बाद मेरठ लौट आया, लेकिन अब तक कोई वर्षा नहीं हुई है. इस लिहाज से यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं कहा जा सकता.”
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क्लाउड सीडिंग प्रयोग बेअसर क्यों साबित हुआ
दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के परीक्षण असफल रहने की मुख्य वजह वायुमंडल में नमी का बेहद कम स्तर था. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पहले ही अनुमान लगाया था कि वातावरण में नमी केवल 10 से 15 प्रतिशत तक रहेगी, जो इस तरह के ऑपरेशन के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती.
आईआईटी कानपुर के निदेशक मनीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार को आसमान में बादल तो मौजूद थे, लेकिन उनमें बारिश के लिए पर्याप्त नमी नहीं थी. उन्होंने कहा, “आज जो बादल हैं, उनमें नमी की मात्रा बहुत अधिक नहीं है. मुझे बताया गया कि यह सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत तक है. इतनी कम नमी में बारिश की संभावना बहुत कम होती है.”
अग्रवाल ने बताया कि तीसरा क्लाउड सीडिंग ट्रायल बुधवार को किए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि इस बार के परीक्षण से हमारी टीम को और आत्मविश्वास मिला है ताकि हम आगे भी ऐसे ट्रायल जारी रख सकें. हम कल एक बार फिर प्रयास करेंगे.”
दिल्ली के मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने बताया कि मंगलवार को राजधानी के बाहरी इलाकों में दो क्लाउड सीडिंग ट्रायल किए गए. उन्होंने कहा, “आज दिल्ली में दो क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए गए, जो कुल मिलाकर तीसरा ट्रायल था. पहला विमान सुबह कानपुर से और दूसरा मेरठ से उड़ा. आज का ट्रायल मुख्य रूप से दिल्ली के आउटर क्षेत्रों में किया गया. अब तक यह एक ऐतिहासिक प्रयास रहा है.”
सिरसा ने आगे बताया कि विमानों ने दिल्ली और आसपास के खेकरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाकों को कवर किया. इस प्रक्रिया के दौरान 2 से 2.5 किलोग्राम वजन वाले आठ फ्लेयर का इस्तेमाल किया गया.
प्रदूषण स्तर में सुधार, क्लाउड सीडिंग का आंशिक असर
हालांकि क्लाउड सीडिंग के प्रयासों से बारिश नहीं हुई, लेकिन दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया का प्रदूषण स्तर पर सकारात्मक असर देखने को मिला. रिपोर्ट में बताया गया कि टार्गेटेड क्षेत्रों में प्रदूषण (pollution) में कमी दर्ज की गई. नोएडा में 0.1 मिमी और ग्रेटर नोएडा में 0.2 मिमी वर्षा जैसी हल्की बूंदाबांदी भी दर्ज की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन के बाद पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कणों के स्तर में गिरावट देखी गई, जिससे वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ.
पीटीआई के अनुसार, रिपोर्ट में बताया गया कि क्लाउड सीडिंग से पहले पीएम 2.5 का स्तर मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में क्रमशः 221, 230 और 229 दर्ज किया गया था, जो पहले चरण के बाद घटकर क्रमशः 207, 206 और 203 रह गया. इसी तरह, पीएम 10 का स्तर क्रमशः 207, 206 और 209 था, जो घटकर मयूर विहार में 177, करोल बाग में 163 और बुराड़ी में 177 दर्ज किया गया.
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पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण मंगलवार दोपहर 12:13 बजे तब शुरू हुआ जब विमान (Cessna aircraft) आईआईटी कानपुर के एयरस्ट्रिप से उड़ा. इस दौरान विमान ने खेकरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर जैसे इलाकों को कवर किया. दूसरी उड़ान मेरठ एयरस्ट्रिप से भरी गई, जिसमें चार किलोग्राम सीडिंग सामग्री ले जाई गई. इस उड़ान ने खेकरा, बुराड़ी, मयूर विहार, पावी सड़कपुर, नोएडा, भोजपुर, मोदीनगर और मेरठ क्षेत्रों को कवर किया.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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