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Congress on Adani Group Investments: कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से अडानी ग्रुप में ऑफशोर फंड्स के जरिए हुए निवेश पर उंगली उठाते हुए पीएम मोदी और उनकी सरकार को घेरने की कोशिश की है. (File Photo : PTI)
Congress targets offshore funds investments in Adani Group : कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से अडानी ग्रुप में ऑफशोर फंड्स के जरिए हुए निवेश पर उंगली उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और उनकी सरकार को आरोपों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. कांग्रेस वैसे तो मोदी सरकार पर अडानी ग्रुप को गलत ढंग से फायदा पहुंचाने का आरोप लंबे अरसे से लगाती आ रही है. लेकिन इस बार उसने ये आरोप दुनिया की जानी मानी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक ताजा रिपोर्ट के हवाले से लगाए हैं. कांग्रेस ने यह दावा भी किया है कि रिपोर्ट में सामने आई जानकारी ‘टिप ऑफ द आइसबर्ग’ यानी पूरी सच्चाई का सिर्फ छोटा सा हिस्सा है और इस मामले की पूरी हकीकत उस वक्त सामने आएगी, जब लोकसभा चुनाव के बाद जून 2024 में देश की सत्ता इंडिया गठबंधन के हाथ में आएगी. कांग्रेस ने कहा है कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो पूरे मामले की जांच साझा संसदीय समिति (JPC) से कराई जाएगी. कांग्रेस महासचिव और पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ये तमाम बातें मंगलवार को जारी एक बयान में कही हैं.
सत्ता में आने के बाद JPC से जांच कराएंगे : कांग्रेस
जयराम रमेश ने इस मसले पर अपना एक विस्तृत बयान सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है, “SEBI ने अब इस बात की पुष्टि की है कि अडानी समूह की कंपनियों में निवेश किए गए एक दर्जन ऑफशोर फंडों ने डिस्क्लोजर नियमों और निवेश सीमा का उल्लंघन किया है. यह टिप ऑफ द आइसबर्ग की तरह है. यानी जितना अभी दिख रहा है, वो पूरे स्कैम का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा है. जब हम जून 2024 में सत्ता में आने के बाद जेपीसी का गठन करेंगे, तब यह साफ़ होगा की यह लूट आखिर कितनी बड़ी है.
सुप्रीम कोर्ट के दबाव में महाघोटाले के खिलाड़ियों की पहचान : कांग्रेस
जयराम रमेश ने जो लिखित बयान सोशल मीडिया पर शेयर किया है, उसमें कहा गया है, “वर्षों के टालमटोल और कायरता के प्रदर्शन के बाद, सुप्रीम कोर्ट के दबाव में आखिरकार भारत के शेयर बाजार नियामक SEBI ने अडानी महाघोटाले के प्रमुख खिलाड़ियों की पहचान कर ली है. मोदानी और गोदी मीडिया ने पिछले साल जिस "क्लीन चिट" का दावा किया था हक़ीक़त उससे कोसों दूर है. रॉयटर्स की एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि SEBI ने पाया है कि "अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किए गए एक दर्जन ऑफशोर फंड्स डिस्क्लोज़र नियमों और निवेश सीमा के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार थे." अडानी के साथ पीएम मोदी का मजबूत और व्यक्तिगत इलेक्टोरल बॉन्ड अब इन गैरकानूनी कार्यों को नहीं छुपा सकता.”
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शक की सुई नासिर अली और चांग चुंग लिंग की ओर : कांग्रेस
जयराम रमेश ने अपने बयान में आगे कहा है, “शक की सुई सीधे तौर पर अडानी के करीबी सहयोगियों नासिर अली शाहबान अहली और चांग चुंग लिंग की ओर जाती है. पहले यह बताया गया था कि सेबी ऑफशोर टैक्स हेवेन के माध्यम से शेयर स्वामित्व नियमों का उल्लंघन करने, शेयर मूल्यों में हेरफेर करने और मनी लॉन्ड्रिंग एवं राउंड ट्रिपिंग को अंजाम देने के लिए अडानी समूह के साथ मिलकर काम करने के मकसद से अहली की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड - में रजिस्टर शेल कंपनी गल्फ एशिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फंड की जांच कर रही थी.”
चांग और अहली ने बेनामी फंड्स का इस्तेमाल किया : कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव ने अपने लिखित बयान में कहा है, “संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने पहले खुलासा किया था कि चांग और अहली ने 2013 और 2018 के बीच अडानी समूह में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बेनामी फंड्स का इस्तेमाल किया था. जब इनका निवेश सबसे ऊंचे स्तर पर था, तब अडानी पावर, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी ट्रांसमिशन के 8 से 14 प्रतिशत तक शेयर इन लोगों के नियंत्रण में थे. इन लेनदेन के परिणामस्वरूप अडानी समूह की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपये के बेनामी फंड्स आए थे.”
सेबी रिपोर्ट के प्रकाशन का इंतजार : कांग्रेस
जयराम रमेश ने कहा है कि “अडानी महाघोटाले में भारत के प्रतिभूति कानूनों के इस तरह के घोर उल्लंघनों पर सेबी की रिपोर्ट लंबे समय से लंबित है और हम इस रिपोर्ट के तत्काल प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम यह भी मानते हैं कि ये उल्लंघन अडानी महाघोटाले का सिर्फ एक हिस्सा हैं. इस महाघोटाले के बाकी महत्वपूर्ण पहलू ये हैं:
भारत में बिजली संयंत्रों के लिए अडानी द्वारा इंडोनेशिया से आयात किए जा रहे कोयले की कीमत चमत्कारिक रूप से दोगुनी हो गई. यह बढ़ी हुई लागत उन भारतीय उपभोक्ताओं पर डाल दी गई, जो पहले से ही बिजली की ऊंची कीमतों से परेशान थे.
महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र की कंपनियों को संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करने और प्रधानमंत्री के करीबी मित्रों को संपत्ति बनाने एवं एकाधिकार करने में मदद करने के लिए ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग.
बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य देशों में अडानी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए अपने राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल करना.
अडानी मेगास्कैम की पूरी जांच केवल JPC ही कर सकती है. जैसे ही जून 2024 में INDIA गठबंधन सत्ता संभालेगा, JPC का गठन किया जाएगा.”
न्यूज रिपोर्ट में क्या हुआ है खुलासा
रॉयटर्स ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के बाजार रेगुलेटर सेबी ने पाया है कि अडानी समूह की कंपनियों में निवेश करने वाले एक दर्जन ऑफशोर फंड्स डिस्क्लोजर रूल्स और इनवेस्टमेंट लिमिट से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते रहे हैं. एजेंसी ने यह रिपोर्ट दो ऐसे सूत्रों के हवाले से दी है, जिन्हें पूरे मामले की जानकारी है, लेकिन वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं होने के कारण अपना नाम बताने को तैयार नहीं हैं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और अडानी समूह ने इस बारे में प्रतिक्रिया हासिल करने के लिए भेजे गए ईमेल रिक्वेस्ट का जवाब नहीं दिया. रॉयटर्स ने पहली बार पिछले साल अगस्त में ही रिपोर्ट दी थी कि सेबी ने कुछ लिस्टेड कंपनियों में ऑफशोर फंड्स के जरिए होने वाले निवेश में डिस्क्लोजर और होल्डिंग लिमिट से जुड़े नियमों के उल्लंघन का पता लगाया है.