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Vice President Political Journey : RSS कार्यकर्ता से देश के उप-राष्ट्रपति तक - सीपी राधाकृष्णन के सियासी सफर पर एक नजर

Political Journey of New Vice President : देश के नए उप-राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन का RSS कार्यकर्ता से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक का सियासी सफर काफी दिलचस्प है.

Political Journey of New Vice President : देश के नए उप-राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन का RSS कार्यकर्ता से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक का सियासी सफर काफी दिलचस्प है.

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FE Hindi Desk
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C P Radhakrishnan Political Journey : सीपी राधाकृष्णन RSS कार्यकर्ता के तौर पर सामाजिक जीवन की शुरुआत करके देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचे हैं. (File Photo : ANI)

Political Journey of New Vice President C P Radhakrishnan : तमिलनाडु के अनुभवी नेता और आरएसएस से जुड़े रहे सीपी राधाकृष्णन को देश का 15वां उप-राष्ट्रपति चुना गया है. शांत स्वभाव और सादगी के लिए पहचाने जाने वाले राधाकृष्णन की यह यात्रा बेहद खास है, क्योंकि एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने का उनका सफर का मायने रखता है.

आरएसएस से सामाजिक जीवन की शुरुआत

सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ. महज 16 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेना शुरू किया. इसके बाद वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने और धीरे-धीरे संगठन में अपनी अलग पहचान बनाई.

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लोकसभा और BJP में सक्रिय भूमिका

अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में राधाकृष्णन दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए. माना जाता है कि वे केंद्र में मंत्री बनने के करीब आ गए थे, लेकिन नाम को लेकर हुई एक उलझन की वजह से मौका उनके हाथ से निकल गया. हालांकि इससे उनका राजनीतिक कद कम नहीं हुआ. तमिलनाडु बीजेपी के महासचिव बनने के बाद वे 2003 से 2006 तक राज्य इकाई के अध्यक्ष भी रहे.

इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर लंबी 'रथ यात्रा' निकाली, जो 93 दिनों तक चली. इस यात्रा में उन्होंने देश की नदियों को जोड़ने, आतंकवाद खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने और सामाजिक बुराइयों को मिटाने जैसे मुद्दों को उठाया.

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राज्यपाल से उप-राष्ट्रपति तक

बीजेपी और एनडीए ने राधाकृष्णन की ईमानदार और बेदाग छवि को देखते हुए उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां दीं. वे झारखंड, तेलंगाना, पुडुचेरी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं. 31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली थी. राज्यपाल रहते हुए उन्होंने आम नागरिकों की समस्याओं पर फोकस किया और प्रशासनिक अनुभव भी हासिल किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी उम्मीदवारी पर कहा था, “सीपी राधाकृष्णन जी ने सांसद और राज्यपाल के तौर पर समृद्ध अनुभव हासिल किया है. संसद में उनकी बात हमेशा गहरी और तथ्यपूर्ण होती थी. राज्यपाल रहते हुए उन्होंने जनता की चुनौतियों पर गंभीरता से काम किया. मुझे पूरा भरोसा है कि वे प्रेरणादायक उप-राष्ट्रपति साबित होंगे.”

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तमिलनाडु से देश की राजनीति में पहचान

राधाकृष्णन को उनके समर्थक "पच्चई तमिझन" यानी असली तमिलनाडु का बेटा कहते हैं. वे कोङ्गु वेल्लालर गौंडर समुदाय से आते हैं, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावशाली मानी जाती है. यही वजह रही कि तमिलनाडु में उन्हें सभी राजनीतिक दलों में सम्मान मिला. बीजेपी ने भी उनकी स्वीकार्यता को देखते हुए उन्हें बार-बार अहम भूमिकाएं दीं.

वे दक्षिण भारत से उप-राष्ट्रपति बनने वाले पहले ओबीसी नेता हैं. यह न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि दक्षिण भारत की राजनीति और समाज के लिए भी ऐतिहासिक पल है.

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खेलों से भी रहा जुड़ाव

राजनीति से इतर राधाकृष्णन का एक और चेहरा है. वे कॉलेज में टेबल टेनिस के चैंपियन रहे हैं और लंबी दूरी की दौड़ में भी उनका नाम रहा है. क्रिकेट और वॉलीबॉल खेलने का भी उन्हें शौक है. उनकी यह सादगी और खेलों से जुड़ाव बताता है कि वे जमीन से जुड़े इंसान हैं, जो राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं.

उप-राष्ट्रपति का पद न सिर्फ गरिमा का प्रतीक है, बल्कि राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाना भी उतना ही अहम है. राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव इस जिम्मेदारी को निभाने में बेहद मददगार साबित होगा. विपक्ष और सत्ता दोनों खेमों में उनके लिए सम्मान है, जो आने वाले दिनों में संसद की कार्यवाही को और सहज बना सकता है.

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