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भारत की GDP के आंकड़े शुक्रवार शाम 4:00 बजे जारी किए जाएंगे. (File Photo : Reuters)
India GDP Growth Rate Data : भारत की इकनॉमिक ग्रोथ से जुड़े आंकड़े आज जारी किए जाएंगे. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3% के आसपास रहेगी. उनका यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.8% के अनुमान से कम है. इससे पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4% तक गिर गई थी, जो पिछली 7 तिमाहियों में सबसे धीमी रही थी. उम्मीद की जा रही है कि रूरल डिमांड में सुधार और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है, जिसका फायदा दिसंबर तिमाही के आंकड़ों में देखने को मिल सकता है. भारत की GDP के आंकड़े आज यानी शुक्रवार शाम 4:00 बजे जारी किए जाने हैं. इन आंकड़ों से यह पता चलेगा कि भारत की अर्थव्यवस्था किस दिशा में बढ़ रही है और भविष्य में विकास की संभावनाएं कैसी रहेंगी.
कंजम्पशन बढ़ने की उम्मीद
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है, जिसका मुख्य कारण रूरल डिमांड में सुधार और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी रहा. बेहतर मानसून के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कंजम्प्शन बढ़ा, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure or Capex) को तेज किया, जिससे आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिला.
IDFC फर्स्ट बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेन गुप्ता का कहना है, "सुधार मुख्य रूप से रूरल डिमांड में रिकवरी और केंद्र सरकार के कैपिटल एक्सपेंडीचर में बढ़ोतरी के कारण हुआ है. शहरी मांग में भी कुछ सुधार देखने को मिला है, लेकिन यह अभी भी रूरल डिमांड की तुलना में नरम बना हुआ है."
पिछली तिमाही से बेहतर रहेंगे आंकड़े
जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ केवल 5.4% रही थी, जो कि सात तिमाहियों में सबसे धीमी थी. इस सुस्ती का कारण कमजोर शहरी मांग और सरकार के खर्च में देरी बताया गया था. पिछले वर्ष हुए आम चुनावों के चलते सरकारी खर्च में देरी देखी गई थी, जिसका असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा.
हालांकि, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, इस तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.2% की ग्रोथ होने की संभावना है. वहीं, ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA), जो अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को दर्शाने का एक स्थिर मानदंड माना जाता है, के 6.2% की दर से बढ़ने का अनुमान है.
सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर
शहरी मांग में कमजोरी के चलते सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर पड़ा है. दिसंबर तिमाही में व्यापार, होटल, परिवहन, रियल एस्टेट और फाइनेंशियल सर्विसेज की ग्रोथ नरम रहने की आशंका जताई जा रही है. गौरा सेन गुप्ता के अनुसार, "दिसंबर तिमाही में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ धीमी रहने के आसार हैं, खास तौर पर व्यापार, होटल, परिवहन, रियल एस्टेट और फाइनेंशियल सर्विसेज में." हालांकि कृषि क्षेत्र में बेहतर उत्पादन से इकनॉमिक ग्रोथ को सहारा मिलने की संभावना है.
इनकम टैक्स में राहत का भी दिखेगा असर?
मोदी सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में पर्सनल इनकम टैक्स में राहत देने की घोषणा की है, जिससे लोगों की परचेजिंग पावर यानी क्रय शक्ति बढ़ सकती है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के काम संभालने के बाद ब्याज दरों में कटौती, लिक्विडिटी में ढील देने और फाइनेंशियल सेक्टर के लिए नियमों को आसान बनाने की कोशिश भी की गई है. इन कदमों से भी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
हालांकि अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ रेट 6.3% से 6.8% के दायरे में रहने का अनुमान है, जो 2023-24 के 8.2% की तुलना में काफी कम है. डॉयचे बैंक ने एक नोट में कहा है, "भारत अपनी ग्रोथ ट्रेजेक्टरी के लिहाज से सबसे खराब समय को पीछे छोड़ चुका है, लेकिन आर्थिक गतिविधियों में सुधार के बावजूद 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ 7% की संभावित ग्रोथ रेट से कम रह सकती है."
अंतरराष्ट्रीय हालात और व्यापार पर असर
भारत अपनी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की स्थिति बनाए रखेगा, लेकिन व्यापार के मोर्चे पर असमंसज की हालत बनी हुई है. खास तौर पर अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से टैरिफ के मोर्चे पर काफी उथल-पुथल मची हुई है. DBS बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव के अनुसार, "शॉर्ट टर्म में टैरिफ का इकनॉमिक ग्रोथ पर मामूली असर रह सकता है, लेकिन अलग-अलग सेक्टर्स पर इसका असर अलग-अलग ढंग से देखने को मिल सकता है."
सरकारी खर्च में बढ़ोतरी का मिलेगा फायदा
दिसंबर तिमाही में सरकारी खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जो आर्थिक गतिविधियों को समर्थन दे सकती है. पिछली तिमाही में सरकारी कैपिटल एक्सपेंडीचर केवल 4.4% बढ़ा था, लेकिन इस तिमाही में इसमें दो अंकों की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित ग्रोथ अनुमानों की भी घोषणा की जाएगी. एक रायटर पोल के अनुसार, इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है, जो कि पिछले आधिकारिक अनुमान 6.4% से थोड़ा अधिक है, लेकिन फिर भी यह पिछले 4 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी.