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NPS vs UPS : यूनिफाइड पेंशन स्कीम के 1 अप्रैल से लागू होने का क्या है मतलब, किन्हें होगा फायदा, एनपीएस से कितना अलग है ये ऑप्शन

UPS vs NPS : 1 अप्रैल 2025 से नई व्यवस्था लागू होने पर सरकारी कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम या एनपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनने का मौका मिलेगा.

UPS vs NPS : 1 अप्रैल 2025 से नई व्यवस्था लागू होने पर सरकारी कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम या एनपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनने का मौका मिलेगा.

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Viplav Rahi
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NPS vs UPS : केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 1 अप्रैल से यूपीएस और एनपीएस में किसी एक स्कीम का चुनाव करना होगा. (Image : Pixabay)

Unified Pension Scheme vs National Pension System : सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) 1 अप्रैल 2025 से लागू होनी है. सरकारी कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या यूपीएस में से किसी एक विकल्प को चुनने का मौका मिलेगा. यह स्कीम खास तौर पर उन सरकारी कर्मचारियों के लिए है, जो फिलहाल NPS के दायरे में शामिल हैं. इस बारे में फैसला करने से पहले UPS की खास बातों को जानना और NPS के साथ उसकी तुलना करके दोनों के नफा-नुकसान को समझना जरूरी है.

यूनिफाइड पेंशन स्कीम क्या है?

यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS सरकारी कर्मचारियों को फिक्स पेंशन देने के लिए लाई गई योजना है. इस स्कीम को चुनने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50% के बराबर रकम पेंशन के रूप में मिलेगी. इस स्कीम का लाभ उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा, जिनकी कम से कम 25 साल की सर्विस पूरी हो चुकी होगी. किसी कर्मचारी का निधन होने जाने पर उनकी पेंशन के 60% के बराबर रकम परिवार को फेमिली पेंशन के तौर पर मिलेगी. इसके अलावा UPS के तहत ऐसे कर्मचारियों को भी 10,000 रुपये की मिनिमम गारंटीड पेंशन मिलेगी, जिन्होंने कम से कम 10 साल की सर्विस पूरी कर ली है. यह स्कीम महंगाई दर से भी जुड़ी हुई है, जिसके तहत महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) के रूप में पेंशन की रकम में समय-समय पर संशोधन किया जाएगा. इसके अलावा रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एकमुश्त रकम भी मिलेगी. लगभग 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को इस योजना से फायदा होने की उम्मीद है.

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UPS के लिए कौन हैं एलिजिबल

UPS ज्वाइन करने का विकल्प केंद्र सरकार के उन सभी कर्मचारियों को मिलेगा, जो अभी NPS के तहत कवर किए जा रहे हैं. ये कर्मचारी UPS या NPS में से किसी एक को चुन सकते हैं.

UPS लागू करने का उद्देश्य

UPS लाने का फैसला किए जाने से पहले देश भर में सरकारी कर्मचारी लगातार ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme - OPS) लागू करने की मांग कर रहे थे, क्योंकि OPS में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के 50% के बराबर रकम पेंशन के रूप में मिलती थी. इस मांग को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने UPS की शुरुआत की, ताकि केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के तौर पर निश्चित रकम मिल सके.

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UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 

यूपीएस में सरकार 18.5 फीसदी योगदान में से 8.5 फीसदी को एक अलग गारंटी रिजर्व फंड में रखा जाएगा. ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) में कर्मचारियों को अपनी तरफ से कोई कंट्रीब्यूशन नहीं करना पड़ता था. वहीं NPS के तहत आने वाले कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% कंट्रीब्यूशन करते हैं, जबकि सरकार 14% का योगदान करती है. लेकिन नए UPS सिस्टम के तहत, सरकार का कंट्रीब्यूशन बढ़कर कर्मचारी के मूल वेतन के 18.5% के बराबर हो जाएगा, वहीं यूपीएस में कर्मचारियों को भी अपनी बेसिक सैलरी प्लस डियरनेस अलाउंस के 10% के बराबर योगदान करना होगा.

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UPS और NPS में अंतर

UPS और NPS के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं. UPS के तहत कर्मचारियों को पेंशन के तौर पर तय रकम मिलेगी. यह रकम उनके अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50% के बराबर होगी, जबकि NPS में पेंशन की रकम बाजार में किए गए निवेश के रिटर्न पर निर्भर है. लिहाजा, इसमें पेंशन फिक्स नहीं होती. इसके अलावा UPS में सरकार का योगदान 18.5% है, जबकि NPS में यह अधिकतम 14% है. UPS में कर्मचारी का निधन होने पर परिवार को फिक्स पेंशन की 60% रकम पेंशन के तौर पर मिलेगी. जबकि NPS में ऐसी कोई गारंटी नहीं है. UPS में पेंशन की रकम महंगाई दर से जुड़ी है, जिसमें प्राइस इंडेक्स के हिसाब से समय-समय पर संशोधन किया जाएगा. जबकि NPS के मार्केट लिंक्ड होने की वजह से ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

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क्या NPS से हर हाल में बेहतर है UPS?

हालांकि यूपीएस में फिक्स पेंशन और महंगाई दर के हिसाब से संशोधन का लाभ मिलेगा, जो रिटायरमेंट के बाद गारंटीड इनकम के लिहाज से काफी आकर्षक ऑप्शन है. लेकिन ऐसा नहीं है कि एनपीएस में निवेश के अपने फायदे नहीं हैं. एनपीएस में निवेश किए गए फंड का एक हिस्सा इक्विटी में भी लगाया जाएगा, जिससे उसमें लंबी अवधि के दौरान मार्केट लिंक्ड हायर रिटर्न जेनरेट होने की गुंजाइश रहती है. इससे एनपीएस में किया गया निवेश वेल्थ क्रिएशन के मामले में बेहतर साबित हो सकता है. एनपीएस में किए गए निवेश को डेट और इक्विटी में फ्लेक्सिबल तरीके से निवेश किया जा सकता है. इसके अलावा एनपीएस अकाउंट में एकुमुलेशन को 70 साल की उम्र तक जारी रखने की छूट भी है. इन तमाम वजहों से एनपीएस के जरिये बड़ा कॉर्पस बनाने में मदद मिल सकती है. इतना ही नहीं, एनपीएस में अब लंपसम यानी एकमुश्त निकासी की जगह सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान (SWP) के जरिये पैसे निकालने की सुविधा भी जोड़ दी गई है. ये सुविधाएं एनपीएस को आकर्षक विकल्प बनाती हैं, लेकिन इसमें यूपीएस की तरह फिक्स इनकम या रिटर्न की गारंटी नहीं है. इसलिए सरकारी कर्मचारियों को अपने आर्थिक लक्ष्य और परिस्थितियों के हिसाब से सही विकल्प का चुनाव करना चाहिए.

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