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India Q1 GDP Growth Rate : ट्रंप टैरिफ संकट के बावजूद भारत की जीडीपी में दमदार बढ़ोतरी हुई है. (Image : Financial Express)
India GDP Growth Rate Q1FY26 : भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) के दौरान दमदार प्रदर्शन किया है. नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 7.8% की रफ्तार से बढ़ा है. यह ग्रोथ दर पिछले साल की समान तिमाही (Q1 FY25) में दर्ज 6.5% से काफी बेहतर रही. खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी ऐसे हालात में दर्ज की गई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एकतरफा टैरिफ पॉलिसी की वजह से ग्लोबल ट्रेड में उथल-पुथल मची हुई है.
जीडीपी के आंकड़े क्या बताते हैं?
पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत की रियल GDP 47.89 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 44.42 लाख करोड़ रुपये थी. वहीं, मार्केट प्राइस के आधार पर कैलकुलेट होने वाला नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP) का आंकड़ा 86.05 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की तुलना में 8.8% ज्यादा है. 2024-25 की पहली तिमाही में Nominal GDP 79.08 लाख करोड़ रुपये दर्ज की गई थी.
सर्विस सेक्टर बना विकास का इंजन
भारत की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में सर्विस सेक्टर सबसे आगे रहा. Q1 FY26 में सर्विस सेक्टर 9.3% की दर से बढ़ा, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह ग्रोथ 6.8% थी. सरकार के अनुसार, ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंशियल सर्विसेज और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन जैसे क्षेत्रों में बढ़ी गतिविधियों ने विकास को और मजबूत किया.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लौट रही जान
कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया. FY25 की पहली तिमाही में जहां सिर्फ 1.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, वहीं इस बार यह आंकड़ा 3.7% तक पहुंच गया. खाद्यान्न, तिलहन और पशुपालन उत्पादों के बेहतर उत्पादन ने इस रिकवरी को सपोर्ट किया.
इंडस्ट्री का मिला-जुला प्रदर्शन
उद्योग जगत की तस्वीर थोड़ी मिश्रित रही. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 7.7% की दर से विकास किया, जबकि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 7.6% की ग्रोथ रही. इसके उलट माइनिंग और क्वारिंग सेक्टर 3.1% की गिरावट के साथ सिकुड़ गया. बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं में भी सिर्फ 0.5% की मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली.
खपत घटी, लेकिन निवेश बरकरार
GDP में सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाली प्राइवेट कंजंप्शन ग्रोथ इस बार कुछ धीमी रही. FY26 की पहली तिमाही में यह 7% रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 8.3% थी. हालांकि, निवेश से जुड़े आंकड़े मजबूत रहे. ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) यानी निवेश में 7.8% की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले 6.7% थी.
सरकारी खर्च ने दिया सहारा
सरकार का खर्च भी इस बार बड़ी मजबूती से बढ़ा. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (Government Final Consumption Expenditure) में नाममात्र कीमतों पर 9.7% की बढ़ोतरी हुई. यह पिछले साल की पहली तिमाही में दर्ज 4% की वृद्धि से कहीं ज्यादा है. इसका सीधा असर समग्र GDP ग्रोथ पर पड़ा और आर्थिक गतिविधियों को मजबूत सहारा मिला.