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बिहार में विपक्षी गठबंधन और सीटों का गणित – क्या एनडीए को रोक पाएंगे? Photograph: (X)
Bihar election 2025: सीट बंटवारे को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) दोनों खेमों में उपयुक्त फार्मूला तय करने के लिए बिहार और दिल्ली में कई दौर की बैठकें और चर्चाएं हुईं. बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है.
जानकारी के अनुसार, एनडीए गठबंधन सीट बंटवारे की घोषणा और उम्मीदवारों की सूची जारी करने के मामले में आगे चल रहा है. वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है. सीट बंटवारे को लेकर अब तक कोई स्पष्टता नहीं होने के बावजूद कई राजद (RJD) नेताओं ने नामांकन दाखिल कर दिया है.
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सत्तारूढ़ एनडीए के लिए बिहार चुनाव अपनी ताकत दिखाने का मौका है. इस चुनाव में जीत हासिल कर एनडीए यह साबित करना चाहता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में उनकी सरकार के दावे सही हैं और जनता उनके कामकाज पर भरोसा करती है. वहीं विपक्षी महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) के लिए बिहार की जंग उनकी रणनीति, एकजुटता, गठबंधन के प्रति समर्पण और तालमेल की असली परीक्षा मानी जा रही है.
तीसरे मोर्चे की पार्टियों जैसे प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, तेज प्रताप यादव की जन जनशक्ति जनता दल और आम आदमी पार्टी (आप) के अलावा, महागठबंधन ही वह गठबंधन है जो एनडीए के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण बन सकता है. इस चुनावी मुकाबले का असली जादू सीट बंटवारे के गणित में छिपा है, जो तय करेगा कि किस खेमे का पलड़ा भारी रहेगा.
बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टियां और उनके गठबंधन पर एक नजर:
बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी
राष्ट्रीय जनता दल (RJD): बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा स्थापित और वर्तमान में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में, RJD मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में JDU और पूरे NDA के खिलाफ खड़ी है. यह पार्टी दलितों, ओबीसी और वंचित वर्गों के समर्थन से मजबूत हुई है और राज्य की राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
इस बार RJD ने अपनी चुनावी रणनीति को चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR), बेरोजगारी और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित किया है. तेजस्वी यादव ने हर घर में एक सरकारी नौकरी का वादा किया है, जिससे बिहार चुनाव अभियान और भी तेज और जोरदार हो गया है.
RJD की वर्तमान स्थिति और सीटें:
बिहार विधानसभा में RJD के पास वर्तमान में 75 सीटें हैं. हालांकि कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन खबरों के अनुसार पार्टी ने 140 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है. पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक 40 से अधिक उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न दिए जा चुके हैं.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC):
यह पुरानी और प्रतिष्ठित पार्टी 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों बड़े पराजय के बाद अपनी चमक फिर से हासिल करने में संघर्ष कर रही है. बिहार में कांग्रेस की जमीन कभी मजबूत नहीं रही, हालांकि यह महागठबंधन का एक अहम हिस्सा है. लेकिन इसकी भूमिका की अहमियत हमेशा सवालों के घेरे में रही है.
कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को अपने गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में समर्थन दिया है. इसके बावजूद दोनों सहयोगियों के बीच कुछ मतभेद देखे जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक, कांग्रेस ने 65 सीटों की मांग की, जबकि RJD ने केवल 55 सीटें देने पर सहमति दी. चूंकि अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं कि कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
बिहार विधानसभा में कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं.
वाम दल (CPI, CPI(M), CPI(ML) (Liberation)
परंपरागत रूप से ये पार्टियां RJD और कांग्रेस की बिहार में सहयोगी रही हैं. इन पार्टियों ने कई अवसरों पर चुनावों में काफी मजबूत प्रदर्शन किया है, जिससे वे महागठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक बन जाती हैं.
पिछले चुनाव में CPI ने 4 सीटें जीती थीं, CPI(M) ने 2 और CPI(ML) (Liberation) ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार, INDIA ब्लॉक में सीटों पर अंतिम समझौता अभी लंबित है. इसके बावजूद, CPI-ML ने 18 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, जबकि CPI ने छह विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM):
JMM ने हाल ही में विपक्षी गठबंधन में शामिल होकर महागठबंधन का हिस्सा बनने की घोषणा की है. पार्टी ने कहा था कि अगर 14-15 अक्टूबर तक सीट बंटवारा तय नहीं हुआ, तो वे अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर देंगे.अब तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है.
इंडियन इनक्लूसिव पार्टी (IIP):
विपक्षी गठबंधन में नया शामिल होने वाला दलIIP है. इस पार्टी की स्थापना आईपी गुप्ता ने की थी, जो पान समुदाय की आवाज़ के रूप में प्रसिद्ध हुए.
आईपी गुप्ता तान्ती और तत्त्वा समुदायों के लिए अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) में शामिल कर दिए गए थे.
आम आदमी पार्टी (AAP):
पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की AAP बिहार में सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी राज्य में अपनी शासन शैली और सामाजिक विकास एजेंडा के जरिए कुछ राजनीतिक जमीन बनाने की कोशिश कर रही है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM):
कई बार गठबंधन बनाने के प्रयासों के बावजूद, असदुद्दीन ओवैसी अब बिहार चुनाव अकेले लड़ने के लिए मजबूर हैं. उनकी पार्टी AIMIM 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और खुद को एनडीए और महागठबंधन दोनों के विकल्प के रूप में पेश कर रही है.
पिछले चुनाव में AIMIM ने 5 सीटें जीती थीं, लेकिन इनमें से चार विधायक RJD में शामिल होकर तेजस्वी यादव के साथ चले गए.
जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party):
बिहार में उभरते तीसरे मोर्चे की अगुआ पार्टी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों को चुनौती दे रही है. विकास केंद्रित नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, किशोर ने पूरे राज्य में चुनावी अभियान चलाया है, और बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की शासन शैली को चुनौती देने का प्रयास किया है.
विकासशील इंसान पार्टी (VIP):
मुकेश साहनी की VIP, जो पहले महागठबंधन का हिस्सा रही है, प्रारंभिक दौर की बैठकों में असंतुष्ट रही. कांग्रेस जैसी अन्य पार्टियों ने बिहार विधानसभा चुनाव में उनके 20 से अधिक सीटों की मांग पर आपत्ति जताई.
पिछले चुनाव में VIP के उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती थीं, लेकिन सभी विधायक BJP में शामिल हो गए. इसके बावजूद, पार्टी उत्तरी बिहार में राजनीतिक प्रभाव बनाए हुए है.
कई पार्टियां, 2 गठबंधन और एक लक्ष्य
इस बार बिहार चुनाव का राजनीतिक डायनामिक्स बदल गया है. ओवैसी की AIMIM, जो 100 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, यह सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन गई है, क्योंकि हैदराबाद के सांसद अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, जन सुराज पार्टी भी एक ऐसा तीसरा मोर्चा है, जो एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के वोट शेयर को कम कर सकता है.
इसलिए, साझेदारों को एक साथ बनाए रखना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
INDIA ब्लॉक उन पार्टियों की मांगों के साथ तालमेल बनाए रखने में संघर्ष कर रहा है जो गठबंधन का हिस्सा हैं. नेताओं के लिए यह मुश्किल रहा है कि वे पार्टियों की मांग और उन्हें दी जा सकने वाली सीटों के बीच संतुलन बनाएं. विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी RJD ने 140 सीटों की मांग की है.
इससे बाकी गठबंधन सहयोगियों - कांग्रेस, IIP, VIP, JMM, CPI-ML और अन्य के लिए बंटवारे के लिए सीटें और भी कम रह जाती हैं. गठबंधन के सामने यह विशाल चुनौती है कि वे इस समस्या को सुलझाकर एकजुट मोर्चा और सही सीट बंटवारा के साथ चुनाव मैदान में उतरें.
एनडीए भी आंतरिक मतभेदों के कगार पर रही है, जब LJP (RV) के चिराग पासवान और HAM के नेता जीतन राम मांझी ने कथित रूप से सीट बंटवारे को लेकर असंतोष जताया. हालांकि, बाद में जो संकेत मिले, उनसे यह पता चलता है कि कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है और स्थिति नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है.
बिहार में मुख्य विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (INDIA ब्लॉक) के सदस्य ऐसे हैं, जो अलग-अलग सामाजिक आधार, एजेंडा और नेतृत्व शैली लाते हैं. इन सभी की ताकत को जोड़ना ही गठबंधन को पहले से भी मजबूत बनाकर चुनाव में सफलता दिलाने का एकमात्र तरीका होगा.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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