/financial-express-hindi/media/media_files/2025/01/08/gUf7qyahvJ4G3QGpFZXF.jpg)
Kumbh Mela 2025 : महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज में संगम तट पर बसी टेंट सिटी का भव्य दृश्य. (PTI Photo)
Maha Kumbh Mela 2025 : महा कुंभ का मेला भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक और धार्मिक पर्वों में शामिल है. लेकिन इसका महत्व सिर्फ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नहीं है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा महाकुंभ न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत और अद्वितीय अनुभव है, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी इससे 25 हजार करोड़ रुपये का बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद की जा रही है. इस मेले से न सिर्फ स्थानीय तौर पर काम करने वाले छोटे कारोबारियों को फायदा होगा, बल्कि कुल मिलाकर इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. महाकुंभ मेले का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के दिन 13 जनवरी 2025 को होगा और यह अद्भुत पर्व 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के साथ संपूर्ण होगा.
महाकुंभ 2025 का आर्थिक असर
उत्तर प्रदेश की सरकार भी महाकुंभ 2025 को एक धार्मिक आयोजन के साथ ही साथ एक बड़े आर्थिक अवसर के तौर पर भी देख रही है. इस आयोजन का बजट 6,382 करोड़ रुपये है, जिसमें से 5,600 करोड़ रुपये इवेंट मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए एलोकेट किए गए हैं. 2019 में हुए कुंभ मेले की तुलना में यह खर्च लगभग दोगुना है. लेकिन इस खर्च की तुलना में इससे होने वाला लाभ कई गुना अधिक है. अनुमान है कि यह विशाल पर्व राज्य के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त रेवेन्यू जेनरेट करेगा.
स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान
महाकुंभ 2025 में कुछ अनुमानों के मुताबिक करीब 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना की जा रही है. इतने बड़े आयोजन से तमाम छोटे-बड़े स्थानीय व्यवसायों को काफी लाभ होगा. इनमें बोट, टैक्सी, ऑटो और रिक्शे चलाने वालों से लेकर फूल बेचने वाले, घाटों व मंदिरों के पास छोटी-मोटी दुकानें लगाने वाले और होटलों के मालिक तक बहुत बड़ा वर्ग शामिल है. उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग के अनुसार महाकुंभ की तैयारियों के दौरान हुए कामकाज से ही कम से कम 45,000 परिवारों को रोजगार मिला है. इसके अलावा, नाव चलाने वालों, टूरिस्ट गाइड्स, स्ट्रीट वेंडर्स और ड्राइवरों समेत तमाम सर्विस प्रोवाइडर्स को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि वे यात्रियों को बेहतर सेवाएं मुहैया करा सकें. कुंभ मेले का आर्थिक असर सिर्फ प्रयागराज तक सीमित नहीं है. इस विशाल महाकुंभ की वजह से यूपी के दूसरे तीर्थ स्थलों, जैसे वाराणसी, अयोध्या, मथुरा और विंध्यवासिनी धाम को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है. कुल मिलाकर इससे पर्यटन उद्योग में हजारों नए रोजगार पैदा हुए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार इस मेले में तमाम सुविधाओं को डिजिटल रूप में मुहैया कराने पर भी जोर दे रही है. इस महाकुंभ के लिए प्रदेश की सरकार ने 'भव्य, दिव्य एवं डिजिटल' का स्लोगन दिया है.
विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन ‘प्रयागराज महाकुम्भ-2025’
— Government of UP (@UPGovt) January 8, 2025
महाकुम्भ-2025 के लिए तीर्थनगरी प्रयागराज तैयार है। अलौकिक अनुभूति के लिए आएं महाकुम्भ नगर...
सिर्फ 0️⃣5️⃣ दिन शेष#सनातन_गर्व_महाकुम्भ_पर्व I #MahaKumbh2025 I @MahaKumbh_2025pic.twitter.com/2She80l6Je
आधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
महाकुंभ 2025 के दौरान पहली बार अस्थायी टेंट सिटी गूगल मैप्स पर दिखाई दे रही है. गूगल और महाकुंभ मेला प्राधिकरण के बीच हुए समझौते से यह संभव हुआ है. इसके साथ ही, इवेंट की तैयारी में इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर भी खास जोर दिया गया है. एक नया छह-लेन का पुल गंगा नदी पर बनाया गया है, और 275 करोड़ रुपये की लागत से एक चार-लेन रेलवे ओवरब्रिज भी तैयार किया गया है. माना जा रहा है कि महाकुंभ के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर और दुनिया भर में इसके प्रति लोगों की दिलचस्पी का लाभ आने वाले वर्षों में भी मिलेगा.
कुल मिलाकर महाकुंभ 2025 उत्तर प्रदेश के लिए केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए एक आर्थिक इंजन का काम भी करता है, जो कारोबार में लगे लोगों के लिए आमदनी बढ़ाने का मौका और बड़ी आबादी के लिए रोजगार का अवसर लेकर आता है.