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What Market Indicates before poll results: शेयर बाजार की चाल ने पिछले कई लोकसभा चुनावों के दौरान नतीजों के बारे में सही संकेत दिए हैं. (Image : Pixabay)
Lok Sabha Election 2024 Results : What Market Indicates ahead of counting: भारत के आम चुनावों में हमेशा से बड़े पैमाने पर सबकी दिलचस्पी रहती है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी हार-जीत की भविष्यवाणी एक चुनौतीपूर्ण खेल रहा है. लेकिन सवाल ये है कि क्या शेयर बाजार के रुझानों में भी चुनावी नतीजों का कोई संकेत देखा जा सकता है? इस बारे में कोई राय बनाने के लिए पिछले चुनावों के दौरान बाजार की चाल पर नजर डालना जरूरी है. आइए देखते हैं कि पिछले 20 सालों में यानी 2004 से अब तक लोकसभा चुनावों के मौसम में बाजार की चाल कैसी रही है. यह भी समझने की कोशिश करेंगे कि क्या इस दौरान बाजार के रुझान आने वाले नतीजों को भांपने में किसी हद तक सफल साबित हुए हैं?
2004 में भविष्यवाणियों से ज्यादा सटीक रहा बाजार
2004 का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक था. वाजपेयी सरकार के 5 साल कार्यकाल के बारे में आम तौर पर पॉजिटिव बातें कही जा रही थीं. माना जा रहा था कि वाजपेयी सरकार अपने 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल करेगी. विपक्ष तब कमजोर और बिखरा हुआ माना जा रहा था. अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही थी, प्रधानमंत्री इतने लोकप्रिय और आत्मविश्वास से भरे थे कि उन्होंने खुद पहल करके चुनाव 6 महीने पहले कराए थे. जनमत सर्वेक्षण एनडीए को 340-350 सीटें दे रहे थे और बहुत से सट्टेबाजों ने नतीजों के दिन बंपर मुनाफे की उम्मीद लगा रखी थी. लेकिन बाजार का रुझान कुछ अलग ही दिशा में चल रहा था. फरवरी के अंत में चुनाव का एलान होने के बाद मार्च में निफ्टी 50 का रिटर्न माइनस (−) 1.58% रहा. इसके बाद अप्रैल में बाजार कुछ संभला लेकिन 20 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के बाद से बाजार में बिकवाली का दबाव बना रहा और नतीजों के दिन तक यह लगातार गिरता रहा. मई के महीने में निफ्टी 50 का रिटर्न (−)17.40% रहा. वाजपेयी जैसे बड़े नेता की मौजूदगी के बावजूद बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई और कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आ गई. अपने अलग आकलन के कारण बड़े पैमाने पर पोजिशन्स बनाने वाले निवेशकों ने घबराहट में बिकवाली की, तो बाजार को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा. यानी बाजार में चला आ रहा अस्थिरता (stock market volatility) का रुझान पहले चरण से ही जो संकेत दे रहा था, वो आखिरकार सही निकला.
2009 में भी बाजार के रुझान ने दिए सही संकेत
2009 के लोकसभा चुनाव 2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के फौरन बाद हुए थे. ऐसे में माना जा रहा था कि 1990 के दशक की तरह ही इस बार भी राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखने को मिल सकता है, क्योंकि आर्थिक स्थिति निराशाजनक बताई जा रही थी. बाजार का आम स्वभाव अस्थिरता को पसंद नहीं करने का है. लेकिन 2009 में तत्कालीन सरकार के बारे में पॉजिटिव रुझान नहीं नजर आने के बावजूद बाजार का मिजाज कुछ अलग ही चल रहा था. चुनावी कार्यक्रम का एलान 2 मार्च 2009 को हुआ और उस महीने में निफ्टी 50 का मंथली रिटर्न 9.31% रहा. वहीं 16 अप्रैल से 13 मई तक 5 चरणों में हुए चुनाव के दौरान निफ्टी 50 अप्रैल में 15.00% और मई में 28.07% उछला. चुनावी नतीजे आए तो कांग्रेस सीटों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ सत्ता में लौट आई. वहीं, बीजेपी को दूसरे नंबर से संतोष करना पड़ा. 16 मई को नतीजों के दिन तो बाजार एक ही दिन में 16% उछल गया. कह सकते हैं कि इस बार भी बाजार ने नतीजों का बेहतर अनुमान लगाया था, जिसे बहुत से दिग्गज विश्लेषक समझने में चूक गए थे.
2014 में बाजार ने किया मोदी का स्वागत
2014 के लोकसभा चुनाव में पहले से ही माहौल बनने लगा था कि इस बार हवा बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के पक्ष में है. मोदी की बिजनेस और आर्थिक सुधार समर्थक छवि और विकास के गुजरात मॉडल के प्रति आकर्षण को देखते हुए बाजार ने भी लगातार मजबूती के साथ इस संकेत का समर्थन किया. चुनाव का एलान 5 मार्च को हुआ और इस महीने निफ्टी 50 का रिटर्न 6.81% रहा. अप्रैल में यह इंडेक्स लगभग फ्लैट रहा, लेकिन मई में मतदान का अंतिम दौर आने तक इसमें अच्छा-खासा उछाल आया, जो 16 मई को नतीजों के एलान तक जारी रहा. मई 2014 में निफ्टी का रिटर्न 7.97% रहा. नतीजों में मोदी की अगुवाई में बीजेपी की एतिहासिक जीत के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2019 में पॉजिटिव रहा बाजार का रुझान
2019 में लोकसभा चुनाव के एलान से पहले माहौल थोड़ा मिलाजुला माना जा रहा था. कुछ जानकारों को ऐसा भी लग रहा था कि इस बार विपक्ष के पास पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन का मौका हो सकता है. इस दौरान जनवरी और फरवरी के दौरान निफ्टी 50 में मामूली रूप से गिरावट देखने को मिली, लेकिन 26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक की घटना के बाद माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्ष में हो गया. 10 मार्च को चुनावी कार्यक्रम के एलान के बाद 11 अप्रैल से 19 मई तक चले अलग-अलग दौर के मतदान और उसके बाद 23 मई को आए नतीजों तक, बाजार ने लगातार तेजी का रुझान दिखाया. इस दौरान निफ्टी (Nifty 50) ने मार्च में 7.70%, अप्रैल में 1.07% और मई में 1.49% का पॉजिटिव रिटर्न दिया. नतीजों में भी बाजार के इस पॉजिटिव रुझान का समर्थन किया और पीएम मोदी की अगुवाई में बीजेपी को अब तक की सबसे शानदार जीत मिली. कहा जा सकता है कि इस बार भी बाजार ने नतीजों का सही अनुमान लगा लिया था.
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2024 में क्या संकेत दे रहा है बाजार?
2024 के चुनाव के दौरान अधिकांश जनमत सर्वेक्षण भाजपा की जीत का अनुमान लगा रहे हैं. आमतौर पर यही कहा जा रहा है कि भाजपा को पिछली बार मिली 303 सीटों से कम इस बार भी नहीं मिलेंगी. इस बार बाजार ने भी मार्च में चुनाव के एलान से लेकर मतदान के तमाम चरणों के दौरान कई बार नई ऊंचाइयों को छुआ है. लेकिन खास बात ये है कि निफ्टी 50 के मंथली रिटर्न ने किसी भी महीने में कोई खास उछाल नहीं दिखाया है. यह जनवरी में (−)0.03%, फरवरी में 1.18%, मार्च में 1.57%, अप्रैल में 1.24% और मई में (−) 0.43% रहा है. तो क्या इसका ये मतलब निकाला जाए कि बाजार कोई साफ रुझान दिखाने की जगह संभलकर कदम बढ़ा रहा है? या फिर नतीजों से पहले बाजार में फिलहाल कन्सॉलिडेशन का दौर है, जिसे रिजल्ट के बाद बड़ी छलांग लगाने के लिए, दो कम पीछे हटने की तरह देखा जा सकता है? इन सवालों के जवाब के लिए हमें भी सबकी तरह 4 जून का इंतजार करना होगा, जब मतगणना के बाद आम चुनाव के नतीजों (General Election 2024 Result) का एलान किया जाएगा.