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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ ली गई यह तस्वीर यूपी के मंत्री असीम अरुण ने सोशल मीडिया में शेयर की है. (File Photo : @asim_arun /X)
UP minister recalls experience with former PM : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सादगी और विनम्रता के सभी कायल थे. फिर चाहे वो उनके राजनीतिक सहयोगी हों या विरोधी. यह बात तो सभी मानते हैं कि एक बड़े अर्थशास्त्री और 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहने के बावजूद उनकी शख्यियत में एक आम मध्य वर्गीय भारतीय जैसी सादगी हमेशा नजर आती थी. पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद उनकी इस खूबी को उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने भी याद किया है. शायद यह बात कम ही लोगों को पता होगी कि असीम अरुण स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के अधिकारी के तौर पर लंबे अरसे तक पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात रह चुके हैं. अपने उसी कार्यकाल के दौरान हुए अनुभव साझा करते हुए असीम अरुण ने डॉ सिंह को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. करीब 3 साल तक SPG में तत्कालीन प्रधानमंत्री के सबसे करीबी सुरक्षा अधिकारी रहे अरुण ने बताया है कि मनमोहन सिंह को किस तरह वीवीआईपी काफिले में शामिल BMW समेत तमाम लग्जरी कारों की तुलना में अपनी पुरानी मारुति 800 ज्यादा पसंद थी.
मनमोहन सिंह और उनकी मारुति 800
असीम अरुण ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री रहने के दौरान सुरक्षा कारणों से हाई-टेक BMW कार में यात्रा करना पड़ता था. लेकिन उन्हें तब भी अपनी पुरानी मारुति 800 से काफी लगाव था. असीम अरुण ने अपने संस्मरण में बताया कि डॉ. सिंह अक्सर कहते थे, "असीम, मुझे इस कार (यानी BMW) में यात्रा करना पसंद नहीं है. मेरी कार तो मारुति है." अरुण बताते हैं कि जब भी उनका काफिला उनकी मारुति 800 के पास से गुजरता था, उनकी नजरें उसी कार पर टिक जाती थीं. BMW प्रधानमंत्री के पद की भव्यता का प्रतीक हो सकती थी, लेकिन मनमोहन सिंह के दिल में मारुति 800 ही उनकी असली पहचान थी. असीम अरुण ने यह भावुक संस्मरण डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इस पोस्ट के साथ ही उन्होंने डॉ सिंह के साथ ली गई अपनी एक पुरानी तस्वीर भी शेयर की है.
असीम अरुण ने अपनी पोस्ट में क्या लिखा
असीम अरुण ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, “मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा. एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था. एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता. यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा. ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी. डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी - मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी. मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति). मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है. लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते. जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है. करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है.”
मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा… pic.twitter.com/468MO2Flxe
— Asim Arun (@asim_arun) December 26, 2024
सादगी और मध्य वर्गीय जड़ों से लगाव
असीम अरुण कहते हैं कि डॉ. सिंह का यह स्वभाव बताया है कि वे अपनी जड़ों और मध्यवर्गीय पहचान से किस तरह जुड़े हुए थे. BMW समेत तमाम महंगी और हाई-टेक लग्जरी कारें भले ही प्रधानमंत्री पद की भव्यता का प्रतीक थीं, लेकिन मनमोहन सिंह के दिल में मारुति 800 के लिए विशेष स्थान था. असीम अरुण ने बताया कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी मनमोहन सिंह का जीवन बेहद सादा था. वे अपने पद की भव्यता के बजाय आम जनता के जीवन और उनके संघर्षों से जुड़े रहना पसंद करते थे. उनकी यह सोच और सादगी न केवल उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी, बल्कि उनकी नीतियों और कार्यशैली में भी झलकती थी.
स्मृतियों में जीवित हैं मनमोहन सिंह
डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार की रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया. उनके निधन के बाद, कभी उनसे जुड़े रहे असीम अरुण जैसे तमाम लोग उनकी सादगी, जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनके मानवीय मूल्यों को याद कर रहे हैं. मनमोहन सिंह की यह स्मृतियां एक ऐसे इंसान को श्रद्धांजलि हैं, जो हर मायने में सादगी और ईमानदारी का प्रतीक थे.