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GST काउंसिल ने हाल ही में पुरानी कारों पर लागू GST का रेट बढ़ाकर 18% करने का फैसला किया है. (File Photo: Reuters)
Impact of GST Hike on Used Cars: जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में पुरानी कारों की बिक्री पर लागू गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) का रेट 12% से बढ़ाकर 18% करने का फैसला किया है. यह नियम खासतौर पर बड़ी पेट्रोल और डीजल कारों और सभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) पर भी लागू होगा. आइए, जानते हैं इस नए नियम का असर, इसकी शर्तें और इससे जुड़ी जरूरी बातें. इस फैसले का असर न सिर्फ कार खरीदारों पर पड़ेगा, बल्कि पुरानी कारों के डीलर और दूसरे बिजनेस भी इससे अछूते नहीं रहेंगे.
18% GST किन पुरानी गाड़ियों पर लगेगा
नए नियम के तहत, पुरानी कारों की बिक्री पर 18% जीएसटी तभी लागू होगा जब:
पेट्रोल व्हीकल की इंजन क्षमता 1200 सीसी या उससे अधिक हो और लंबाई 4000 मिलीमीटर या उससे अधिक हो.
डीजल व्हीकल की इंजन क्षमता 1500 सीसी या उससे अधिक हो और लंबाई 4000 मिलीमीटर या उससे अधिक हो.
सभी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EVs) पर नई दर लागू होगी.
उन छोटी कारों पर, जिनके इंजन की क्षमता 1200 सीसी और लंबाई 4000 मिलीमीटर से कम है, पहले की तरह जीएसटी का 12% का रेट ही लागू रहेगा.
कैसे होगा GST का कैलकुलेशन?
जीएसटी का कैलकुलेशन कार बेचने वाले विक्रेता की रजिस्ट्रेशन की स्थिति और बेची जा रही गाड़ी के आधार पर किया जाएगा. अगर गाड़ी बेचने वाला GST के लिए रजिस्टर्ड है, तो जीएसटी का कैलकुलेशन "मार्जिन वैल्यू" यानी खरीद और बिक्री मूल्य के बीच अंतर के आधार पर किया जाएगा. लेकिन अगर विक्रेता जीएसटी रजिस्टर्ड नहीं है, तो जीएसटी लागू नहीं होगा. अगर कार बेचने वाला घाटे में गाड़ी बेच रहा है, तो कोई GST नहीं देना होगा.
कार डीलरों और बिजनेस पर असर
जीएसटी का नया नियम पुरानी गाड़ी बेचने में शामिल उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा, ड्रूम (Droom) की तरह मार्केटप्लेस मॉडल पर काम करती हैं. क्योंकि वे केवल गाड़ी बेचने वाले और खरीदने वाले को जोड़ने का काम करती हैं. लेकिन Cars24 और Spinny जैसी कंपनियां जो पुरानी गाड़ियों को खरीदकर बेचने के इन्वेंटरी आधारित मॉडल पर काम करती हैं, नए नियम के हिसाब से जीएसटी देना पड़ेगा. कार बेचने वालों को मार्जिन वैल्यू के आधार पर GST का कैलकुलेशन करने की छूट तभी मिलेगी, अगर उन्होंने व्हीकल की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का क्लेम नहीं किया होगा.
डेप्रिसिएशन क्लेम करने पर क्या होगा
अगर कोई बिजनेस खरीदी गई गाड़ी पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत डेप्रिसिएशन क्लेम करता है, तो जीएसटी "सेल वैल्यू - डेप्रिशिएटेड वैल्यू" पर लागू होगा. उदाहरण के लिए, अगर व्हीकल का खरीद मूल्य 10 लाख रुपये है और सालाना डेप्रिसिएशन 10% है, तो अगले साल इसकी वैल्यू 9 लाख रुपये होगी. वहीं अगर डेप्रिसिएशन क्लेम नहीं किया गया है, तो जीएसटी का कैलकुलेशन "सेल प्राइस - परचेज प्राइस" पर लागू होगा.
कंज्यूमर्स पर क्या होगा सीधा असर
नए नियमों की वजह से रजिस्टर्ड डीलर्स से पुरानी कार खरीदने वाले कंज्यूमर्स को 6% ज्यादा जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा. क्योंकि जहां पहले 12% जीएसटी देना पड़ता था, वहां अब 18% देना पड़ेगा. अगर जीएसटी "मार्जिन" पर लागू हो रहा है, तो कंज्यूमर को कम जीएसटी देना होगा. अगर जीएसटी "सेल वैल्यू" पर लागू हो रहा है, तो कंज्यूमर को अधिक जीएसटी चुकाना होगा. मिसाल के तौर पर अगर किसी व्हीकल का बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये और मार्जिन 2 लाख रुपये है, तो:
मार्जिन के आधार पर जीएसटी कैलकुलेट होने पर : 2 लाख × 18% = 36,000 रुपये देने होंगे.
सेल वैल्यू के आधार पर जीएसटी कैलकुलेट होने पर : 10 लाख × 18% = 1.8 लाख रुपये देने पड़ सकते हैं.
बड़ी गाड़ियां खरीदने वालों पर बढ़ेगा बोझ
जीएसटी बढ़ोतरी का मुख्य असर बड़ी गाड़ियों और उन बिजनेस पर होगा, जो व्हीकल की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करते हैं. कंज्यूमर्स के लिए, यह नियम उनकी खरीद के सोर्स यानी रजिस्टर्ड या अन-रजिस्टर्ड विक्रेता और कार की किस्म पर निर्भर होगा. राहत की बात ये है कि छोटी कारों पर अब भी 12% की दर जारी है. लेकिन बड़ी कारों और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए 18% जीएसटी कंज्यूमर्स की जेब पर बोझ बढ़ाएगा.