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Sushila Karki's Name Proposed as Nepal Interim PM : नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कर्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आ रहा है. (File Photo : Indian Express)
Gen-Z proposes ex-chief justice Sushila Karki as interim PM : नेपाल इन दिनों बड़े राजनीतिक संकट और हिंसक प्रदर्शनों से गुजर रहा है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब देश में अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर नया चेहरा सामने आ सकता है. ‘जेन-ज़ी’ कहे जा रहे आंदोलनकारी युवाओं ने नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कर्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाया है. सुशीला कर्की ने भी युवा आंदोलनकारियों के प्रस्ताव को स्वीकार करने की बात कही है.
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कर्की वाराणसी की मशहूर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की छात्रा रह चुकी हैं. सुशीला कर्की को सार्वजनिक इमेज इतनी बेदाग है कि आंदोलन कर रहे युवा उन्हें ही अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.
4 घंटे की वर्चुअल मीटिंग में हुआ फैसला
नेपाल में हाल के दिनों में जेन-ज़ी (Gen-Z) युवाओं का आंदोलन लगातार तेज हुआ है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के विरोध में शुरू हुए इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया. संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और नेताओं के घरों तक को आग के हवाले कर दिया गया. इसी उथल-पुथल के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ने जानकारी दी कि Gen-Z ने चार घंटे तक चली वर्चुअल मीटिंग में सुशीला कर्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा.
#WATCH | Kathmandu | As former Chief Justice Sushila Karki's name comes up as one of the possible candidates to lead the new transitional government in Nepal, a youth says, "This is an interim government. We have given her name to protect democracy in our country." pic.twitter.com/KOR5Jk0zX8
— ANI (@ANI) September 10, 2025
किसी राजनीतिक शख्स को नेतृत्व नहीं
इसी मीटिंग में यह तय भी हुआ कि कोई भी ऐसा शख्स जो राजनीतिक दलों से जुड़ा रहा है, उसे इस नेतृत्व में शामिल नहीं किया जाएगा. इसलिए पूरी तरह से गैर-राजनीतिक और निष्पक्ष छवि वाली सुशीला कर्की को इस जिम्मेदारी के लिए सही माना जा रहा है. बाद में मीडिया से बातचीत में सुशीला कर्की ने कहा कि उन्होंने युवा आंदोलनकारियों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
कौन हैं सुशीला कर्की?
सुशीला कर्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ था. उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग कैंपस, बिराटनगर से बीए किया. इसके बाद 1975 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में एमए और 1978 में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी, नेपाल से कानून की पढ़ाई पूरी की.
उन्होंने 1979 में बिराटनगर में वकालत शुरू की और 1985 में महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में असिस्टेंट टीचर रहीं. 2007 में वे सीनियर एडवोकेट बनीं और 2009 में सुप्रीम कोर्ट की एड-हॉक जज नियुक्त हुईं. 2010 में स्थायी जज बनीं और 2016 में कार्यवाहक चीफ जस्टिस बनीं. इसके बाद 2016 से 2017 तक नेपाल सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं. वह इस पद पर पहुंचने वाली नेपाल की पहली महिला थीं.
जज के तौर पर अहम रहा है कार्यकाल
अपने कार्यकाल के दौरान सुशीला कर्की ने ट्रांजिशनल जस्टिस और चुनावी विवादों से जुड़े अहम फैसले दिए. 2017 में उन पर संसद में महाभियोग का प्रस्ताव भी आया था, जिसे माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने मिलकर पेश किया था. लेकिन जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे वापस लेना पड़ा. उनकी छवि एक ईमानदार, सख्त और न्यायप्रिय जज की रही है, जिसने हमेशा लोकतंत्र की रक्षा पर जोर दिया.
सुशीला कर्की की शादी दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई है, जो नेपाली कांग्रेस के एक प्रमुख युवा नेता रहे हैं. दोनों की मुलाकात बीएचयू में पढ़ाई के दौरान वाराणसी में हुई थी.
नेपाल में हालात और सेना का कर्फ्यू
इस बीच हालात को संभालने के लिए नेपाल आर्मी ने देशभर में कर्फ्यू लगाने का एलान किया है. सेना का कहना है कि आंदोलन की आड़ में असामाजिक तत्व हिंसा, आगजनी और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. हालांकि कर्फ्यू के दौरान भी एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है.
नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों और सरकारी इमारतों में आगजनी की घटनाओं में कम से कम 22 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. उससे पहले केपी शर्मा ओली ने ये कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया कि उन्होंने देश के हालात को देखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है ताकि राजनीतिक समाधान निकल सके. आंदोलनकारी लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे.