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UP Number 1 State in Smart Cities Mission: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हुए कामकाज के मामले में यूपी देश का नंबर वन राज्य बन गया है. (AI Generated Image / ChatGPT)
UP Number One in Smart Cities Mission says SBI Report : साल 2015 में शुरू हुई स्मार्ट सिटी मिशन योजना अब 10 साल पूरे करने के करीब है. इस दौरान उत्तर प्रदेश ने जिस तरह शहरी विकास में झंडे गाड़े हैं, वो बाकी राज्यों के लिए भी मिसाल बन गया है. SBI रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में इस मिशन के तहत जितना खर्च हुआ है, उसमें सबसे बड़ा हिस्सा यूपी का है. यानी इस मिशन के तहत शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के मामले में यूपी नंबर वन साबित हुआ है.
100 शहरों में 1.64 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम
केंद्र सरकार की तरफ से शुरू किए गए स्मार्ट सिटी मिशन का मकसद देश के शहरों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं देना, साफ-सुथरा माहौल बनाना और स्मार्ट तकनीक की मदद से आम लोगों की ज़िंदगी आसान बनाना था. SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्कीम के तहत अब तक 100 शहरों में 1.64 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ है, जिनमें से 90% यानी करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पूरे भी हो चुके हैं. खास बात यह है कि स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत अकेले यूपी में 21,145 करोड़ रुपये से ज़्यादा की योजनाएं लागू की गई हैं, जिससे ये राज्य इस योजना के तहत हुए काम के मामले में देश का नंबर वन राज्य बन गया है. 17,954 करोड़ रुपये के खर्च के साथ तमिलनाडु दूसरे और 17,044 करोड़ रुपये के खर्च के साथ महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है. स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत अब तक खर्च हुए पैसों में एक-तिहाई हिस्सा इन्हीं तीन राज्यों का है.
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यूपी के 10 शहरों को मिला फायदा
वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और आगरा समेत यूपी के 10 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन का फायदा मिला है. इन शहरों में योजना के तहत करीब 20,423 करोड़ रुपये के काम पूरे हो चुके हैं. वाराणसी और कानपुर इस मिशन के तहत सबसे आगे रहने वाले देश के टॉप 25 शहरों में भी शामिल हैं. वाराणसी में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हर प्रोजेक्ट पर औसतन 28.6 करोड़ रुपये और कानपुर में औसतन 33.6 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो 22 करोड़ रुपये के नेशनल एवरेज से कहीं ज्यादा है. योजना के तहत सबसे ज्यादा फोकस स्मार्ट रोड्स, ट्रैफिक सिस्टम, पानी की पाइपलाइन और सफाई व्यवस्था पर रहा है. यानी इस खर्च के जरिये इन शहरों में सड़कों की हालत सुधारने, ट्रैफिक मैनेजमेंट, साफ पानी की सप्लाई और सफाई की हालत में सुधार आया है. इस मिशन में शामिल उत्तर प्रदेश के 10 शहरों के नाम हैं :
वाराणसी
लखनऊ
कानपुर
प्रयागराज
आगरा
झांसी
सहारनपुर
बरेली
अलीगढ़
मुरादाबाद
पहले से साफ हुई हवा, माहौल ज्यादा सुरक्षित
सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, सुरक्षा और पर्यावरण पर भी इस योजना का असर पड़ा है. रिपोर्ट बताती है कि जिन राज्यों ने योजना के तहत मिले फंड का 80% से ज्यादा सही तरीके से इस्तेमाल किया, वहां अपराध में औसतन 27% की गिरावट आई है. यूपी के शहरों में जगह-जगह CCTV कैमरे, इमरजेंसी कॉल बॉक्स और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम लगाए गए हैं, जिससे निगरानी और रिस्पॉन्स सिस्टम काफी बेहतर हुआ है.
स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट के तहत आने वाले शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट देखी गई है. ये बदलाव हरियाली, बेहतर कचरा प्रबंधन और साफ-सफाई के प्रयासों की वजह से मुमकिन हुआ है. SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से 2024 के बीच स्मार्ट शहरों में PM10 जैसे प्रदूषण के स्तर में 23% ज्यादा गिरावट देखी गई है, जो गैर-स्मार्ट शहरों से कहीं बेहतर है.
कहां से आती है फंडिंग
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय मिलकर फंड जुटाते हैं. हालांकि यूपी में अभी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) और म्युनिसिपल बॉन्ड जैसे विकल्पों का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ है. जबकि इंदौर और भोपाल जैसे शहरों ने म्युनिसिपल बॉन्ड और जमीन की बिक्री से अच्छा फंड जुटाया है, जो यूपी के लिए भी बढ़िया उदाहरण हो सकते हैं. 2030 तक देश की लगभग 40% आबादी शहरों में रहने लगेगी और इनका जीडीपी में योगदान 75% तक हो जाएगा. ऐसे में यूपी की तैयारी और लीडरशिप दिखाती है कि राज्य न सिर्फ आज बेहतर शहर बना रहा है, बल्कि आने वाले कल के लिए भी मजबूत नींव तैयार कर रहा है.