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तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन में हुई साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ली गई तस्वीर (27 जून 2017, File Photo : PTI)
Donald Trump Wins US Election: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल कर ली है. इसके साथ ही दुनिया के सबसे ताकतवर देश की सबसे ताकतवर कुर्सी पर उनकी वापसी तय हो गई है. ट्रंप करीब 4 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में वापसी करेंगे. वैसे तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप के रिश्ते काफी दोस्ताना माने जाते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता. निजी रिश्तों के साथ ही साथ दोनों देशों के आपसी हितों का तालमेल या टकराव नीतियों की दिशा तय करता है. इस लिहाज से ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए कैसा रहेगा, यह तो उनके जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति की पुरानी नीतियों और बयानों में उसकी कुछ झलक जरूर मिल सकती है.
अवसरों के साथ चुनौतियों पर रहेगी नजर
डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनने पर भारत-अमेरिका के आपसी संबंधों में अवसरों और चुनौतियों का एक नया दौर देखने को मिल सकता है. उनके नेतृत्व में व्यापार, डिफेंस और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अगर भारत को कुछ फायदा हो सकता है, तो उसके साथ ही उनकी अमेरिका फर्स्ट की नीति के चलते कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं. इन संभावनाओं और चुनौतियों के बीच हम 10 प्वाइंट्स में समझने की कोशिश करेंगे कि ट्रंप की जीत भारत के लिए क्या मायने रखती है.
1. भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में बदलाव
ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के चलते भारत को व्यापार में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने पहले भी भारत को "टैरिफ किंग" कहा था, जिससे संकेत मिलता है कि उनके फिर से राष्ट्रपति बनने पर व्यापार के नियम सख्त हो सकते हैं. इसके चलते भारत को अपनी व्यापारिक रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है ताकि अमेरिकी बाजारों में अपनी उपस्थिति बनाए रखी जा सके.
2. भारत का निर्यात और व्यापार संतुलन
अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. ट्रंप के कार्यकाल में भारतीय निर्यात पर खास नजर रखी जा सकती है, खासकर अगर अमेरिकी व्यापार संतुलन में असंतुलन बढ़ता है, तो ऐसा होने की संभावना रहेगी. अगर ऐसा हुआ तो आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
3. चीन प्लस वन रणनीति का लाभ
ट्रंप का चीन के प्रति सख्त रुख भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. अगर अमेरिका चीन से सप्लाई चेन को कमजोर करता है, तो भारत को व्यापार और निवेश के अवसर मिल सकते हैं. कुल मिलाकर ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत "चीन+1" नीति के तहत अमेरिका का भरोसेमंद साझीदार बन सकता है.
4. भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग
ट्रंप और मोदी की दोस्ती ने पिछले कार्यकाल में रक्षा संबंधों को मजबूत किया था. अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने, तो भारत के साथ रक्षा सहयोग में और भी वृद्धि की संभावना है. अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका की आधुनिक डिफेंस टेक्वॉलजी तक भारत की पहुंच बढ़ सकती है.
5. एनर्जी सेक्टर में संभावनाएं
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग को और मजबूती मिल सकती है. वे भारत को कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने और एनर्जी सेक्टर में साझेदारी को आगे बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं. इससे भारत को अपनी ऊर्जा से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सकती है.
6. आईटी और सर्विस सेक्टर पर असर
अमेरिका भारतीय आईटी सर्विस कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार है. ट्रंप ने अगर संरक्षणवादी नीतियों पर जोर दिया, तो इन कंपनियों पर दबाव बन सकता है. खास तौर पर अगर ट्रंप की सरकार ने अमेरिका में दूसरे देशों से आने वाले लोगों के रोजगार पर लगाम कसने की कोशिश की और इसके लिए वीजा प्रतिबंध और अन्य सख्त नीतियां अपनाईं, तो भारतीय कंपनियों के लिए चुनौतियां बढ़ सकती है
7. फार्मास्यूटिकल सेक्टर पर सीमित असर
ट्रंप ने अब तक फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर पर ज्यादा जोर देने के संकेत नहीं दिए हैं. लिहाजा भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों पर अपेक्षाकृत कम असर पड़ेगा. लेकिन अगर उनके राष्ट्रपति बनने के बाद दवाओं के आयात से जुड़ी अमेरिकी नीतियों में सख्ती की गई तो भारतीय दवाइयों के निर्यात पर असर पड़ सकता है.
8. भारत के मेटल्स और कमोडिटी एक्सपोर्ट को लाभ
ट्रंप के कार्यकाल में अगर अमेरिका ने चीनी मेटल्स पर और प्रतिबंध लगाए, तो इससे भारतीय मेटल्स और अन्य कमोडिटी के निर्यात को फायदा हो सकता है. ऐसे में भारतीय मेटल्स एक्सपोर्टर्स के लिए अवसर बढ़ सकते हैं.
9. भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर पर असर
अगर अमेरिका ने चीनी टेक्सटाइल्स पर अधिक टैरिफ लगाया, तो भारतीय टेक्सटाइल उद्योग के लिए मांग में वृद्धि हो सकती है. इससे भारतीय कंपनियों को एक्सपोर्ट के ज्यादा मौके मिल सकते हैं.
10. विदेश नीति में भारत-अमेरिका साझेदारी
ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने पर भारत और अमेरिका के बीच विदेश नीति के मामले में आपसी सहयोग और साझेदारी काफी बढ़ सकती है. ट्रंप और मोदी के नेतृत्व में दोनों देश चीन के बढ़ते असर को नियंत्रित करने के लिए साथ मिलकर काम कर सकते हैं.