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Bond Yield Dips Before RBI MPC: 10 साल के बॉन्ड की यील्ड करीब 3 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. (Image: Freepik)
Bond Yield Dips to 3 Year Lows Before RBI MPC: सरकार द्वारा जारी किए गए 10 साल के बॉन्ड की यील्ड इस समय अपने करीब 3 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. यह गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की आज से शुरू मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक से ठीक पहले देखी जा रही है. MPC की बैठक 4 से 6 दिसंबर तक चलनी है. आइए समझते हैं कि इस गिरावट के पीछे क्या कारण हैं और इसका बाजार पर क्या असर पड़ेगा.
RBI घटाएगा ब्याज दरें?
बुधवार सुबह भारतीय सरकारी बॉन्ड की 10 साल की यील्ड 6.6928% पर थी, जो पिछले क्लोजिंग 6.7121% से कम है. कुछ समय के लिए यह 6.6886% तक गिर गई थी, जो फरवरी 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है. माना जा रहा है कि यह गिरावट RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं के चलते आ रही है, जिससे लिक्विडिटी में बढ़ोतरी की उम्मीद जाहिर की जा रही है. बाजार में चर्चा है कि रिजर्व बैंक ओपन मार्केट में बॉन्ड खरीदने और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कटौती की घोषणा कर सकता है.
बॉन्ड यील्ड क्यों हो रही है कम?
आर्थिक विकास दर में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं. हाल ही में जारी डेटा के अनुसार, भारत की GDP ग्रोथ सितंबर तिमाही में घटकर 5.4% रह गई, जो पिछले सात तिमाहियों में सबसे कम है. यह आर्थिक मंदी के संकेत देता है, जिससे निवेशकों में नीतिगत ब्याज दरों में कमी किए जाने की की उम्मीद बढ़ी है.
CRR में कटौती की संभावना
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर RBI CRR में 50 बेसिस पॉइंट्स (bps) की कटौती करता है, तो यह 1.1 लाख करोड़ रुपये की नकदी बैंकों के लिए उपलब्ध करा सकता है. इससे अल्पकालिक बॉन्ड यील्ड में और गिरावट की संभावना बनती है. विदेशी निवेशकों और लेंडर्स ने हाल के दिनों में भारतीय बॉन्ड में भारी निवेश किया है. तीन दिनों में विदेशी निवेशकों ने 77 अरब रुपये और विदेशी बैंकों ने 202 अरब रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं.
बाजार और निवेशकों पर असर
लिक्विडिटी में सुधार: नकदी बढ़ने से बैंकों को उधार देने में आसानी होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है.
ब्याज दरों में कटौती की संभावना : अगर RBI ब्याज दरें घटाता है, तो इससे होम लोन और अन्य लोन की दरें सस्ती हो सकती हैं.
विदेशी निवेश में बढ़ोतरी : बॉन्ड यील्ड गिरने से भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों के लिए और आकर्षक बन सकता है.
बॉन्ड यील्ड में यह गिरावट आर्थिक विकास में मंदी और केंद्रीय बैंक की नीतिगत बदलावों की संभावनाओं के कारण हो रही है. आने वाले दिनों में RBI के निर्णय पर निवेशकों की नजरें टिकी होंगी, जो बाजार की दिशा तय करेगा.