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8th Pay Commission: नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के स्टाफ साइड ने इस बार 2.57 से ज्यादा फिटमेंट फैक्टर की मांग की है. (Image : Pixabay)
8th Pay Commission fitment factor : नेशनल काउंसिल जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC JCM) के स्टाफ साइड ने इस बार 2.57 से ज्यादा फिटमेंट फैक्टर की मांग की है. यह वही फिटमेंट फैक्टर है जिसकी सिफारिश 7वें वेतन आयोग द्वारा की गई थी. स्टाफ साइड वह प्रतिनिधि समूह है जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ओर से सरकार से वेतन और भत्तों को लेकर बातचीत करता है.
जनवरी 2024 में मोदी सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी. इस आयोग का काम 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन को संशोधित करना है. इसके साथ ही इस आयोग से उम्मीद की जा रही है कि यह 2.57 से 2.86 के बीच कोई फिटमेंट फैक्टर तय करेगा. 7वें वेतन आयोग ने 2.57 फिटमेंट फैक्टर के जरिए न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया था.
क्या हैं स्टाफ साइड की मुख्य मांगें?
स्टाफ साइड ने फरवरी 2024 में 15 प्रमुख मांगें सरकार के सामने रखीं, जिन्हें 8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) में शामिल करने की बात कही गई है. ये ToR आयोग के काम शुरू करने से पहले जारी किए जाएंगे.
स्टाफ साइड की मांग है कि इस बार आयोग केवल वेतन ही नहीं बल्कि भत्ते, पेंशन, रिटायरमेंट लाभ भी फिर से जांचे और संशोधित करे. इसमें औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाएं, रक्षा बल, अर्धसैनिक बल, ग्रामीण डाक सेवक और अन्य श्रेणियां शामिल हों.
इसके साथ ही स्टाफ साइड चाहती है कि 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाला नया वेतनमान 15वें इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस (1957) की सिफारिशों के अनुसार तय हो, लेकिन आज की जीवनशैली के हिसाब से इसमें बदलाव हों.
स्टाफ साइड ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है कि ऐसे पे लेवल्स जो व्यवहारिक नहीं हैं – जैसे लेवल 1 को लेवल 2 में, लेवल 3 को लेवल 4 में और लेवल 5 को लेवल 6 में मर्ज कर दिया जाए ताकि वेतन में असमानता को कम किया जा सके.
क्या सरकार मानेगी फिटमेंट फैक्टर और वेतन बढ़ोतरी की मांगें?
इस बात की संभावना कम ही है कि 8वां वेतन आयोग स्टाफ साइड की सभी मांगों को स्वीकार करेगा. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का भी मानना है कि सरकार इस बार 1.92 का फिटमेंट फैक्टर तय कर सकती है.
7वें वेतन आयोग में क्या हुआ था?
2015 में जब 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें आईं, तब स्टाफ साइड ने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये करने की मांग की थी, जो उस समय के 7,000 रुपये के मुकाबले करीब 3.7 गुना ज्यादा था.
इस मांग को 15वें इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस की सिफारिशों और सामान्य कर्मचारियों की जरूरतों के आधार पर रखा गया था. लेकिन आयोग ने यह मांग पूरी तरह नहीं मानी. आयोग ने आयक्रॉयड फॉर्मूला के आधार पर 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन और 2.57 फिटमेंट फैक्टर तय किया.
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6ठे वेतन आयोग में क्या हुआ था?
6ठे वेतन आयोग के समय स्टाफ साइड ने न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये करने की मांग की थी. उनका तर्क था कि पब्लिक सेक्टर के कर्मचारी इस वेतन पर काम कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों?
हालांकि आयोग ने इस मांग को "तथ्यों से परे" बताया और न्यूनतम वेतन 5,479 रुपये तय किया. बाद में यह बढ़ाकर 6,600 रुपये और फिर 7,000 रुपये कर दिया गया.
दिलचस्प बात यह रही कि आयोग ने माना कि A1 श्रेणी के शहरों में भत्तों समेत कुल वेतन करीब 10,000 रुपये होगा – यानी मांग को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया गया.
अब क्या उम्मीद की जा सकती है?
आज जब महंगाई का बोझ आम कर्मचारियों पर बढ़ता जा रहा है और परचेजिंग पावर में लगातार गिरावट आ रही है, तो स्टाफ साइड की मांग है कि इस बार सरकार हकीकत को देखते हुए वेतन और पेंशन में सही ढंग से बढ़ोतरी करे. पिछले दोनों वेतन आयोगों ने कर्मचारियों की अपेक्षाओं से कम सिफारिशें दी थीं, लेकिन इस बार वर्तमान कर्मचारी और रिटायर्ड पेंशनर्स दोनों को उम्मीद है कि उन्हें कुछ राहत जरूर मिलेगी.