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Term Life Insurance: टर्म इंश्योरेंस की टाइमिंग और अवधि पर कैसे करें सही फैसला? (Image : Freepik)
Term Insurance Plan : टर्म इंश्योरेंस जीवन सुरक्षा का एक ऐसा जरिया है, जो बिना किसी निवेश या सेविंग के केवल बीमा सुरक्षा देता है. यह एक सिंपल और असरदार प्लान है जो आपके नहीं रहने पर आपके परिवार को आर्थिक सुरक्षा देता है. लेकिन अब सवाल सिर्फ बीमा लेने का नहीं, बल्कि ये सोचने का है कि टर्म इंश्योरेंस कब लेना चाहिए और कितने समय के लिए लेना चाहिए? सही टाइमिंग और अवधि का चुनाव ही इस बीमा को वाकई फायदेमंद बनाता है.
टर्म इंश्योरेंस का क्या है सही मतलब?
फाइनेंशियल प्लानर्स इस बात पर एकमत हैं कि टर्म इंश्योरेंस का मकसद जीवन भर सुरक्षा देना नहीं है. इसका मुख्य उद्देश्य है आपकी आमदनी का विकल्प बनना – खासकर तब जब परिवार आपकी कमाई पर निर्भर करता है. यानी, अगर आपकी अकाल मृत्यु हो जाती है, तो ये पॉलिसी आपके परिवार को होम लोन, ईएमआई, बच्चों की पढ़ाई या रोजमर्रा के खर्चों के लिए आर्थिक मदद देती है.
25 से लेकर 60 या 70 साल की उम्र तक की अवधि को आमतौर पर एक्टिव इनकम पीरियड माना जाता है. इस समय पर जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं और आय का स्रोत मुख्य रूप से आपकी कमाई होती है. इसी समय के लिए टर्म प्लान लेना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.
टर्म प्लान कब हो जाता है कम जरूरी?
60 या 70 साल की उम्र के बाद अक्सर टर्म इंश्योरेंस की जरूरत कम हो जाती है. इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण होते हैं:
होम लोन या अन्य कर्ज आमतौर पर चुका दिए जाते हैं
बच्चे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो जाते हैं
रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार हो चुका होता है
खर्चों की योजना स्थिर हो जाती है
ऐसे समय में टर्म प्लान की जगह रिटायरमेंट इनकम, हेल्थकेयर और वेल्थ प्रिजर्वेशन पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी होता है. साथ ही, उम्र के साथ बीमा प्रीमियम काफी बढ़ जाता है, जो कि खर्चीला भी हो सकता है.
हर किसी के लिए एक ही फॉर्मूला नहीं है
हालांकि, यह भी सच है कि हर व्यक्ति की जरूरतें अलग होती हैं. कुछ लोग जैसे कि सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेशनल्स 60 के बाद भी कमाते रहते हैं. वहीं कुछ लोगों के पास लेट एज में परिवारिक जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे बुजुर्ग माता-पिता या छोटे बच्चे. ऐसे में उनके लिए 70 साल तक या उससे भी आगे तक का कवरेज जरूरी हो सकता है. इसलिए बीमा लेने का फैसला आपकी व्यक्तिगत वित्तीय जिम्मेदारियों और लाइफस्टेज के हिसाब से होना चाहिए, न कि किसी तयशुदा नियम के अनुसार.
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अब बीमा का मतलब सिर्फ कवरेज नहीं
अब बीमा का मतलब सिर्फ कवरेज ही नहीं, प्लानिंग भी है. बीमा उद्योग भी अब इस बदलती सोच को समझ रहा है. टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर (प्रॉपराइटरी बिजनेस) अमित दवे कहते हैं, “आज का ग्राहक टर्म इंश्योरेंस को लेकर पहले से ज्यादा समझदार हो गया है. वह अब केवल कवरेज नहीं, बल्कि यह भी पूछ रहा है कि इसे कब और क्यों लेना चाहिए. यह दर्शाता है कि लोग अब प्रोटेक्शन और फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं.” उन्होंने आगे कहा, “अब लोग अपने टर्म प्लान को अपनी वित्तीय जरूरतों और जीवन के अलग-अलग स्टेज से जोड़कर देख रहे हैं – जैसे कर्ज का कवर, बच्चों की शिक्षा या कमाई के पीक समय के दौरान मानसिक शांति. बीमा कंपनियों की भूमिका अब केवल प्रोडक्ट देना नहीं, बल्कि उपभोक्ता को सही जानकारी देकर सशक्त बनाना भी है.”
टर्म इंश्योरेंस के लिए टाइमिंग सही होना जरूरी
टर्म इंश्योरेंस जीवन भर का सुरक्षा कवच नहीं है. यह एक ऐसा फाइनेंशियल टूल है, जिसकी सबसे ज्यादा वैल्यू तभी होती है जब आप इसे सही समय और सही अवधि के लिए चुनते हैं. अपने जीवन की जिम्मेदारियों और आर्थिक हालात को समझकर अगर आपने इसकी योजना बनाई, तो यह प्लान आपको और आपके परिवार को वास्तविक सुरक्षा दे सकता है – आज भी और कल भी.