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Explained : Index Fund vs Active Funds, Where to Invest: म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट करने वालों को एक्टिव फंड्स में निवेश करना चाहिए या पैसिव फंड्स में? यह सीधा का सवाल बहुत सारे निवेशकों को कनफ्यूज कर सकता है. दोनों तरह के फंड्स के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. लेकिन बाजार में दोनों ही कैटेगरी के फंड्स में निवेश के लिए इतने सारे ऑप्शन मौजूद हैं कि कोई भी असमंजस में पड़ सकता है. बहरहाल, इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक्टिव और पैसिव म्यूचुअल फंड्स की खूबियों और खामियों को समझना जरूरी है. इसके बाद ही कोई निवेशक उनमें से अपने लिए सही विकल्प का चुनाव कर कर सकता है.
एक्टिव म्यूचुअल फंड्स क्या हैं?
- एक्टिव फंड्स में फंड मैनेजर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
- फंड मैनेजर अपनी रिसर्च और एनालिसिस के आधार पर फंड के सेगमेंट, सेक्टर या थीम को ध्यान में रखते हुए सही स्टॉक्स को चुनते हैं और पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं.
- एक्टिव फंड्स का लक्ष्य मार्केट को आउटपरफॉर्म करने का होता है. इसलिए उनकी फीस और एक्सपेंस रेशियो आमतौर पर पैसिव फंड्स से अधिक होते हैं.
पैसिव म्यूचुअल फंड्स क्या हैं?
- पैसिव म्यूचुअल फंड्स के लिए स्टॉक्स के चुनाव में फंड मैनेजर का दखल काफी कम होता है.
- ये फंड्स किसी खास इंडेक्स, जैसे NIFTY 50 या SENSEX, को फॉलो करते हैं. इसलिए इन्हें तौर पर इंडेक्स फंड भी कहते हैं.
- पैसिव फंड्स का उद्देश्य अपने बेंचमार्क इंडेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करना होता है और इसमें स्टॉक्स का चुनाव इंडेक्स के कंपोजिशन के हिसाब से होता है. लिहाजा, फंड मैनेजर इनके लिए एक्टिवली स्टॉक सेलेक्शन नहीं करते.
एक्टिव फंड्स के फायदे और नुकसान
फायदे
- एक्टिव फंड्स मार्केट को आउटपरफॉर्म कर सकते हैं.
- इनमें फ्लेक्सिबिलिटी होती है और फंड मैनेजर मार्केट के अवसरों का फायदा उठा सकते हैं.
नुकसान
- अधिक फीस और एक्सपेंस रेशियो.
- एक्टिव मैनेजमेंट के बावजूद, कुछ फंड्स मार्केट से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते.
पैसिव फंड्स के फायदे और नुकसान
फायदे
- कम लागत और लो एक्सपेंस रेशियो.
- निवेशकों को मार्केट के एवरेज रिटर्न मिलते हैं, जो कई एक्टिव फंड्स से बेहतर हो सकते हैं.
नुकसान
- मार्केट को आउटपरफॉर्म करने की संभावना नहीं होती.
- मार्केट में गिरावट के समय फंड के प्रदर्शन में भी गिरावट देखने को मिलती है, क्योंकि वह इंडेक्स को ही फॉलो करता है.
एक्टिव vs पैसिव : क्या है निवेश की सही रणनीति
एक्टिव और पैसिव म्यूचुअल फंड्स के बीच कोई भी एक विकल्प सभी निवेशकों के लिए सही नहीं हो सकता. एक्टिव और पैसिव, दोनों ही तरह के फंड्स में कामयाबी और नाकामी के उदाहरण मिल जाएंगे. इसलिए अपने लिए सही फंड का चुनाव करते समय केवल उसकी कैटेगरी को आधार न बनाएं, बल्कि हरेक फंड की खूबियों और कमियों को समझकर सही फैसला करें. इसके लिए फंड्स की खास विशेषताओं, रिटर्न हिस्ट्री और जोखिम के अनुमानों को अच्छी तरह जानना जरूरी है. निवेश का फैसला करते समय फ्लेक्सी कैप, मल्टी कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और लार्ज कैप से लेकर इंडेक्स फंड्स तक, हर तरह के विकल्पों को समझें और अपनी निवेश रणनीति और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सही फंड का चुनाव करें. एक अच्छे इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में एक्टिव और पैसिव, दोनों तरह के फंड्स का अच्छा संतुलन भी बनाया जा सकता है, जिससे निवेशक को डावर्सिफिकेशन के साथ बेहतर रिटर्न हासिल हो सकें.