scorecardresearch

Explained: इक्विटी से लेकर गोल्ड तक हर एसेट क्लास में निवेश करते हैं मल्टी एसेट फंड, फिर किस हिसाब से लगता है टैक्स?

Multi Asset Allocation Fund के जरिये इक्विटी से लेकर गोल्ड तक, कई अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. सवाल ये है कि इन फंड्स से होने वाली कमाई पर टैक्स किस हिसाब से लगता है?

Multi Asset Allocation Fund के जरिये इक्विटी से लेकर गोल्ड तक, कई अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. सवाल ये है कि इन फंड्स से होने वाली कमाई पर टैक्स किस हिसाब से लगता है?

author-image
Viplav Rahi
New Update
TDS, salary, Salaried Employees, CBDT, Tax deduction from salary, Form 12BAA benefits, CBDT new form for TDS, reduce TDS on salary, TCS and TDS credit, सैलरी से TDS कम कैसे करें

Multi Asset Allocation Funds की कमाई पर टैक्स किस हिसाब से लगता है, यह जानना निवेशकों के लिए जरूरी है. (Image : Pixabay)

How Multi Asset Allocation Funds are Taxed: मल्टी एसेट एलोकेशन फंड या मल्टी एसेट फंड एक ऐसा निवेश विकल्प है, जो इक्विटी, फिक्स्ड इनकम और गोल्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करता है. इससे न केवल निवेशकों को विविधता मिलती है, बल्कि जोखिम भी कम होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मल्टी एसेट फंड्स पर टैक्स कैसे लगता है? यह सवाल इसलिए उठता है, क्योंकि मल्टी एसेट फंड जिन अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करता है, उन सभी के लिए इनकम टैक्स के अलग-अलग नियम लागू होते हैं. इस सवाल की चर्चा आगे करेंगे, लेकिन पहले समझ लेते हैं कि मल्टी एसेट एलोकेशन फंड (Multi Asset Allocation Fund) की सही मतलब और खूबियां क्या हैं.

मल्टी एसेट फंड क्या है?

मल्टी एसेट फंड्स के जरिये कम से कम तीन या उससे अधिक एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. इन एसेट क्लास में इक्विटी यानी शेयर बाजार में निवेश, बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज जैसे फिक्स्ड इनकम एसेट्स और कमोडिटी की श्रेणी में आने वाली गोल्ड यानी सोने जैसी कीमती धातु शामिल हैं. इनके अलावा कुछ फंड्स फाइनेंशियल डेरिवेटिव्स, अंतरराष्ट्रीय स्टॉक्स, रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और इनफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) में भी निवेश करते हैं. सेबी के नियमों के मुताबिक किसी भी मल्टी एसेट एलोकेशन फंड के लिए इनमें से किसी भी 3 एसेट क्लास में कम से कम 10-10% निवेश करना जरूरी है.

Advertisment

Also read : SBI स्मॉल कैप फंड ने 1 लाख को बनाया 18 लाख ! SIP इनवेस्टमेंट पर भी 7.5 गुना से ज्यादा रिटर्न

मल्टी एसेट फंड्स के फायदे

डायवर्सिफिकेशन : इन फंड्स में निवेश करने से आपका पैसा अलग-अलग एसेट क्लास में बंट जाता है, जिससे जोखिम कम होता है.

पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग: मल्टी एसेट फंड्स में बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार पोर्टफोलियो को बैलेंस किया जाता है. इससे निवेशकों को बार-बार पोर्टफोलियो बदलने की जरूरत नहीं होती.

रेडीमेड पोर्टफोलियो: यह उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है, जो अपने पोर्टफोलियो को खुद से मैनेज नहीं कर पाते और एक ही फंड के माध्यम से अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करना चाहते हैं.

बेहतर स्थिरता: मल्टी एसेट फंड्स के पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन और बैलेंस की वजह से एक एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होने पर उसे दूसरे एसेट क्लास के रिटर्न से संतुलित किया जा सकता है.

Also read : Money Multiplier : 5 साल में निवेश को 4 से 5 गुना करने वाले फंड, ये 7 मिड कैप फंड बने 'वेल्थ मल्टीप्लायर'

मल्टी एसेट फंड्स की कमियां

टैक्सेशन में जटिलता: मल्टी एसेट फंड्स में आय पर लागू होने वाले टैक्स का पहले से आकलन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर पोर्टफोलियो में एसेट क्लास का अनुपात बदलता रहे.

मैनेजमेंट फीस: इन फंड्स की मैनेजमेंट फीस, दूसरे फंड्स की तुलना में थोड़ी अधिक हो सकती है, क्योंकि यह अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करते हैं और पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करते रहते हैं.

Also read : NPS Vatsalya : क्या आपको अपने बच्चों के लिए एनपीएस वात्सल्य में करना चाहिए निवेश? क्या हैं इस स्कीम के फायदे और कमियां

मल्टी एसेट फंड्स पर टैक्स कैसे लगता है?

मल्टी एसेट फंड्स पर टैक्सेशन उनके एसेट अलोकेशन पर निर्भर करता है. यदि फंड का 65% या उससे अधिक हिस्सा इक्विटी में निवेश होता है, तो उसे इक्विटी फंड की तरह टैक्स किया जाता है. 

  • इक्विटी फंड की कैटेगरी में रखे गए ऐसे फंड को अगर निवेशक एक साल से अधिक समय तक होल्ड करते हैं, तो उस पर एक वित्त वर्ष के दौरान होने वाले 1.25 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता. इससे ज्यादा मुनाफा होने पर 12.5% की दर से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स देना पड़ता है.

  • इक्विटी फंड की कैटेगरी में रखे गए ऐसे फंड को अगर निवेशक एक साल से कम समय तक होल्ड करते हैं, तो उस पर होने वाले मुनाफे पर 20% की दर से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स देना होगा.

  • मल्टी एसेट फंड में इक्विटी का अनुपात 65% से कम हो तो उस पर डेट फंड की तरह टैक्स लगता है. यानी स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है.

Also read : NFO Alert: Tata AIA लाइफ इंश्योरेंस का नया फंड ऑफर, Nifty अल्फा 50 इंडेक्स फंड में क्या है खास?

किनके लिए सही हैं मल्टी एसेट फंड

मल्टी एसेट फंड्स उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं, जो एक ही फंड के जरिये अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करना चाहते हैं और अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रखना चाहते हैं. हालांकि, निवेश का फैसला करने से पहले टैक्स देनदारी से जुड़ी बातों और फीस को ध्यान में रखना जरूरी है. बाकी म्यूचुअल फंड की तरह ही मल्टी एसेट फंड में निवेश के साथ भी मार्केट रिस्क जुड़ा रहता है, इसलिए कोई भी फैसला अपने रिस्क प्रोफाइल यानी जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए.

Tax Debt Funds Equity Fund Multi Asset Allocation Mutual Fund