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AMFI Data September 2025 : सितंबर में इक्विटी फंड्स में नेट इनफ्लो 9% घटने के बावजूद पॉजिटिव बना हुआ है. (Image : Pixabay)
AMFI Data : September 2025 : सितंबर 2025 में म्यूचुअल फंड में निवेश के बारे में दिलचस्प तस्वीर सामने आई है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के महीने में इक्विटी फंड्स में निवेशकों का नेट इनफ्लो पॉजिटिव बना रहा. लेकिन डेट फंड्स से भारी निकासी के चलते सभी कैटेगरी को मिलाकर म्यूचुअल फंड्स का टोटल फ्लो निगेटिव हो गया. AMFI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में म्यूचुअल फंड्स से कुल 43,146.32 करोड़ रुपये की निकासी हुई, जबकि अगस्त में 52,443 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज किया गया था. वित्त वर्ष 2025-26 में पहली बार ऐसा हुआ है, जब म्यूचुअल फंड्स का कुल फ्लो (Total Flow) निगेटिव हुआ है.
इक्विटी फंड्स में 9% कम रहा नेट इनफ्लो
सितंबर 2025 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 30,422 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया, जो अगस्त 2025 के 33,430 करोड़ रुपये के नेट इनफ्लो की तुलना में करीब 9% कम है. हालांकि लगातार छठे महीने इक्विटी फंड्स में 19,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम आई है, जिससे साफ है कि निवेशक लंबे समय के लिए इक्विटी पर भरोसा बनाए हुए हैं.
इक्विटी फंड्स में फ्लेक्सी कैप (Flexi Cap Funds) इस बार भी निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं, जिसमें नेट इनफ्लो 7,029 करोड़ रुपये रहा. मिड कैप फंड्स (Mid Cap Fund) में 5,085 करोड़ रुपये और स्मॉल कैप फंड्स (Small Cap Funds) में 4,363 करोड़ रुपये का इनफ्लो देखने को मिला. वहीं, लार्ज और मिड कैप फंड्स में 3,805 करोड़ रुपये और मल्टी कैप फंड्स में 3,560 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो आया.
लार्ज कैप फंड्स में 2,319 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो रहा, जो वोलैटिलिटी के बीच स्टेबल इनवेस्टमेंट में निवेशकों की दिलचस्पी को दर्शाता है. दूसरी तरफ, सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स का इनफ्लो अगस्त के 3,893 करोड़ रुपये से घटकर सितंबर में सिर्फ 1,221 करोड़ रुपये रह गया. वैल्यू/कॉन्ट्रा फंड्स ने भी 2,108 करोड़ रुपये की रकम जुटाई, जिससे पता चलता है कि निवेशक वैल्यू स्टॉक्स में दिलचस्पी ले रहे हैं.
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डेट फंड्स से 1.02 लाख करोड़ रुपये की निकासी
डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) के लिए सितंबर का महीना कमजोर साबित हुआ. इस कैटेगरी से कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये का नेट-आउटफ्लो देखने को मिला, जो अप्रैल 2024 के बाद से सबसे बड़ा आउटफ्लो है. अगस्त में डेट फंड्स से केवल 7,979 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी, जबकि जुलाई में 1.07 लाख करोड़ रुपये का इनफ्लो आया था.
सबसे ज्यादा नेट-आउट-फ्लो लिक्विड फंड्स से हुआ, जहां से 66,042 करोड़ रुपये बाहर निकाले गए. इसके अलावा मनी मार्केट फंड्स से 17,900 करोड़ रुपये और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स से 13,606 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की गई. शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स से 2,173 करोड़ रुपये और लो ड्यूरेशन फंड्स से 1,253 करोड़ रुपये का नेट-आउटफ्लो दर्ज किया गया.
दूसरी ओर, लॉन्ग टेन्योर फंड्स जैसे लॉन्ग ड्यूरेशन फंड में 61 करोड़ और मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में 103 करोड़ रुपये का मामूली नेट-इनफ्लो देखने को मिला. डायनैमिक बॉन्ड फंड्स ने भी 519 करोड़ रुपये का नेट-इनफ्लो हासिल किया. यह ट्रेंड बताता है कि शॉर्ट टर्म इंस्ट्रूमेंट्स से पैसा हटाकर निवेशक लंबी अवधि के बांड्स में कुछ स्थिरता तलाश रहे हैं.
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हाइब्रिड और अन्य कैटेगरी में स्थिरता बनी रही
डेट फंड्स से बड़े पैमाने पर निकासी के बावजूद, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स (Hybrid Mutual Funds) और अन्य स्कीम्स में निवेशकों की रुचि बनी रही. सितंबर में हाइब्रिड स्कीम्स में 9,397 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ, जो अगस्त के 15,293 करोड़ रुपये से कम है, लेकिन लगातार छठे महीने यह कैटेगरी पॉजिटिव बनी रही.
इसी तरह, "अन्य" कैटेगरी में, जिसमें इंडेक्स फंड्स और ईटीएफ शामिल हैं, सितंबर के दौरान 19,057 करोड़ रुपये का मजबूत इनफ्लो दर्ज किया. यह निवेशकों की पैसिव इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के प्रति बढ़ती दिलचस्पी को दिखाता है. सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम्स में 286 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज हुआ, जबकि क्लोज-एंडेड स्कीम्स का नेट-आउटफ्लो 311 करोड़ रुपये रहा.
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म्यूचुअल फंड्स का AUM बढ़ा
दिलचस्प बात यह रही कि सितंबर में म्यूचुअल फंड्स का टोटल फ्लो निगेटिव होने के बावजूद कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़ा है. कुल AUM अगस्त के 75.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 75.61 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो लगभग 0.53% की मामूली ग्रोथ दिखाता है. इक्विटी AUM भी 33.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 33.7 लाख करोड़ रुपये हो गया.
क्या हैं इन आंकड़ों के संकेत?
सितंबर के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि निवेशकों का इक्विटी पर भरोसा अब भी मजबूत है. वोलैटाइल बाजार के बावजूद SIP और रिटेल निवेश से फ्लो बना हुआ है. हालांकि डेट फंड्स की स्थिति बताती है कि ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव और लिक्विडिटी की जरूरतों के चलते संस्थागत निवेशक सतर्क बने हुए हैं.