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Mutual Fund: बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का क्या है मतलब, किन निवेशकों के लिए बेहतर है ये ऑप्शन

Balanced Advantage Fund उन निवेशकों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं, जो FD की तुलना में बेहतर रिटर्न चाहते हैं लेकिन प्योर इक्विटी फंड में निवेश का रिस्क नहीं ले सकते..

Balanced Advantage Fund उन निवेशकों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं, जो FD की तुलना में बेहतर रिटर्न चाहते हैं लेकिन प्योर इक्विटी फंड में निवेश का रिस्क नहीं ले सकते..

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Viplav Rahi
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Balanced Advantage Fund को डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड भी कहा जाता है. (Image : Pixabay)

Hybrid Mutual Funds : बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balanced Advantage Funds) ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जो निवेशकों को इक्विटी और डेट दोनों के फायदे एक साथ देने की क्षमता रखते हैं. ऐसे निवेशक, जो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तुलना में ज्यादा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं लेकिन प्योर इक्विटी फंड से जुड़े बाजार के तेज उतार-चढ़ावों से दूर रहना पसंद करते हैं, उनके लिए ये फंड एक समझदारी भरा विकल्प हो सकते हैं. ये हाइब्रिड फंड बाजार की चाल को देखकर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करते हैं, जिससे जोखिम को कम रखते हुए बेहतर रिटर्न देने में मदद मिलती है.

क्या होते हैं बैलेंस्ड एडवांटेज फंड?

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड को डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड (Dynamic Asset Allocation Fund) भी कहा जाता है. ये म्यूचुअल फंड स्कीमें अपने कॉर्पस को इक्विटी (शेयर बाजार) और डेट (बॉन्ड्स या फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स) में बैलेंस ढंग से बांटकर निवेश करती हैं. खास बात यह है कि इन फंड्स का एसेट एलोकेशन फिक्स नहीं होता, बल्कि बाजार के मूवमेंट और रुझान को ध्यान में रखकर बदला जाता है. जब इक्विटी मार्केट ओवर-प्राइस्ड हो, तो ये फंड डेट में ज्यादा निवेश करते हैं और जब शेयर अंडर-प्राइज्ड हों, तो इक्विटी में ज्यादा निवेश करते हैं. इस तरीके से निवेशक को कम रिस्क में भी बाजार के रिटर्न का बेहतर लाभ मिल सकता है. सेबी के नियमों के तहत बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में इक्विटी और डेट, दोनों का अनुपात 0 से लेकर 100 फीसदी तक हो सकता है.

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कैसे तय होता है इक्विटी और डेट का अनुपात

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में इक्विटी और डेट का अनुपात फंड हाउस की रिसर्च टीम द्वारा बनाए गए इनहाउस मॉडल पर आधारित होता है. यह मॉडल वैल्यूएशन (जैसे प्राइस टू अर्निंग रेशियो, प्राइस टू बुक रेशियो) और ट्रेंड इंडिकेटर्स (जैसे मूविंग एवरेज) का इस्तेमाल कर यह तय करता है कि किस समय इक्विटी में कितना निवेश होना चाहिए. कुछ फंड हाउस प्रो-साइक्लिकल मॉडल अपनाते हैं, जो सस्ते बाजार में ज्यादा खरीदारी करते हैं, जबकि कुछ काउंटर-साइक्लिकल मॉडल का उपयोग करते हैं जो तेजी वाले बाजार में भी इक्विटी एलोकेशन बढ़ाते हैं. इन तरीकों का इस्तेमाल करके ये फंड अपने एसेट एलोकेशन को  स्मार्ट ढंग से बदलते रहते हैं.

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टैक्स के लिहाज से क्यों फायदेमंद हैं ये फंड?

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का इक्विटी इनवेस्टमेंट अगर 65 फीसदी या उससे अधिक हो, तो उन्हें टैक्स के लिहाज से इक्विटी फंड मान लिया जाता है. ऐसे फंड में अगर कोई निवेशक एक साल से ज्यादा समय के बाद यूनिट्स बेचता है तो उसे केवल 12.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. कई बार फंड मैनेजर इस बात का ध्यान रखते हुए इक्विटी में निवेश घटाते समय भी आर्बिट्राज कंपोनेंट में इनवेस्टमेंट बढ़ा देते हैं, ताकि इक्विटी प्लस आर्बिट्राज का हिस्सा 65% से कम न हो और टैक्सेशन के लिहाज से इक्विटी फंड वाले बेनिफिट मिलते रहें.

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किन निवेशकों के लिए है ये फंड

जो निवेशक अपने निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में थोड़ा बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं लेकिन ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते, उनके लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड सही विकल्प हो सकते हैं. ऐसे निवेशक जो बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराते हैं, फिर भी इक्विटी से जुड़े फायदे लेना चाहते हैं, उनके लिए ये फंड अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं. साथ ही, यह उन लोगों के लिए भी बेहतर हैं, जो अपने निवेश में इक्विटी और डेट का बैलेंस खुद से तय करने से बचना चाहते हैं.

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क्या है निवेशकों का रुझान

30 अप्रैल 2025 तक, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैटेगरी में कुल 35 स्कीमें हैं, जिनमें 52.5 लाख से ज्यादा फोलियो हैं. इन स्कीमों के पास कुल 2.93 लाख करोड़ रुपये का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) है, जो दर्शाता है कि निवेशकों का रुझान इन फंड्स की ओर लगातार बढ़ रहा है.  कुल मिलाकर देखें, तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं, जो मार्केट की चाल को समझना नहीं चाहते, लेकिन उसका फायदा जरूर उठाना चाहते हैं. हालांकि इस बात को समझना भी जरूरी है कि इन हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न एफडी की तरह फिक्स नहीं होते. इनमें रिस्क आमतौर पर प्योर इक्विटी फंड के मुकाबले कम भले ही मानाा जाता हो, लेकिन जब भी इक्विटी में निवेश बढ़ता है, मार्केट रिस्क भी उसी के साथ बढ़ जाता है. इसलिए  निवेश का फैसला करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को जरूर परख लें. 

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेने के बाद ही करें. )

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