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BAFs : निवेश को लेकर हर कनफ्यूजन दूर करता है बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, SIP हो या वन टाइम इन्वेस्टमेंट, मिलते हैं 8 बड़े बेनेफिट

बाजार का अनुमान लगाना हर समय सही साबित नहीं हो सकता है, कह सकते हैं कि यह अनप्रेडिक्‍टेबल होते हैं. उसी तरह से वहीं एक्टिव एसेट एलोकेशन का निर्णय लेना कई भी निवेशकों के लिए एक कठिन काम हो सकता है.

बाजार का अनुमान लगाना हर समय सही साबित नहीं हो सकता है, कह सकते हैं कि यह अनप्रेडिक्‍टेबल होते हैं. उसी तरह से वहीं एक्टिव एसेट एलोकेशन का निर्णय लेना कई भी निवेशकों के लिए एक कठिन काम हो सकता है.

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Sushil Tripathi
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Asset Allocation : एसेट एलोकेशन के मैनेजमेंट के लिए एक आसान तरीका बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAFs) हो सकता है. (Pixabay)

Balanced Advantage Funds : किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो के प्रर्शन में एसेट एलोकेशन की सबसे प्रमुख और बड़ी भूमिका होती है. स्टडी से पता चलता है कि पोर्टफोलियो के लिए स्टॉक का सेलेक्‍शन और मार्केट टाइमिंग जैसे अन्य निर्णय एसेट एलोकेशन की तुलना में छोटी भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि एसेट एलोकेशन की रणनीति निवेशकों को निवेश करते समय उनके सामने आने वाले किसी तरह के कनफ्यूजन या पूर्वाग्रहों से बचने में मदद करती है. बेहतर एसेट एलोकेशन में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड की भूमिका और इससे होने वाले लाभ के बारे में पीजीआईएम इंडिया म्‍यूचुअल फंड के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर एंड चीफ बिजनेस ऑफिसर, अभिषेक तिवारी ने विस्‍तार से जानकारी दी है. 

बाजार का अनुमान लगाना हर समय सही साबित नहीं हो सकता है, कह सकते हैं कि यह अनप्रेडिक्‍टेबल होते हैं. उसी तरह से वहीं एक्टिव एसेट एलोकेशन का निर्णय लेना कई भी निवेशकों के लिए एक कठिन काम हो सकता है. असल में शेयर बाजार में उतार चढ़ाव निवेशकों को कनफ्यूज कर सकता है. बाजार जब गिरता है तो उन्हें अपना निवेश डूबने का डर रहता है, वहीं बाजार में बहुत तेजी आने पर उन्हें मुनाफा वसूली का डर परेशान करता है. ऐसे में एसेट एलोकेशन के मैनेजमेंट के लिए एक आसान तरीका बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAFs) या डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड में निवेश पर विचार करना हो सकता है. 

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एक मजबूत मॉडल द्वारा गवर्न

जो बात बैलेंस्ड एडवांटेज फंड को खास बनाती है वह यह है कि वे एक ऐसे मॉडल द्वारा गवर्न होते हैं, जो पारदर्शी है और बाजार में अनुमानित जोखिम के अनुसार इक्विटी/डेट में एलोकेशन तय करता है. बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, इस मॉडल द्वारा सुझाए गए एलोकेशन  के आधार पर इक्विटी और फिक्‍स्‍ड इनकम के लिए फंड का आवंटन करते हैं. इसलिए निवेश में किसी तरह का कनफ्यूजन खुद ही दूर हो जाता है, जबकि फंड मैनेजर का हस्तक्षेप स्टॉक के सेलेक्‍शन तक सीमित होता है.

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कैसे काम करते हैं BAFs?

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड आमतौर पर पी/ई आधारित वेरिएशन एसेट एलोकेशन फिल्टर का पालन करते हैं, जो अलग अलग मार्केट मार्केट फेज में इक्विटी और डेट में एसेट एलोकेशन निर्णयों को ऑटोमैटिकली रिकमंड करता है. इक्विटी और डेट में एसेट एलोकेशन को मार्केट वैल्यूएशन के आधार पर डायनमिक रूप से मैनेज किया जाता है, जो 2 महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है:

इक्विटी में एक्सपोजर बढ़ाना : जब इक्विटी मार्केट का वैल्यूएशन कम होता है, यानी हिस्टोरिकल एवरेज की तुलना में वर्तमान पी/ई काफी कम होता है, तो मॉडल इक्विटी में आवंटन बढ़ाने की सिफारिश करता है. परिणामस्वरूप, डेट में एक्‍सपोजर कम हो जाता है.।

इक्विटी में एक्सपोजर घटाना : जब इक्विटी मार्केट का वैल्यूएशन बढ़ जाता है, यानी हिस्टोरिकल एवरेज की तुलना में वर्तमान पी/ई काफी अधिक होता है, तो मॉडल इक्विटी में आवंटन कम करने की सिफारिश करता है. परिणामस्वरूप, डेट एक्‍सपोजर बढ़ जाता है.

पीई के अलावा, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एसेट एलोकेशन पर एक्टिव कॉल लेने के लिए अन्य फिल्टर और मैक्रो-इकोनॉमिक इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं. फंड की स्‍ट्रैटेजी, सभी फंड हाउसों में अलग अलग हो सकती है. इक्विटी एलोकेशन सभी सेक्‍टर और थीम में डाइवर्सिफाइड होता है, जिससे निवेशकों को पर्याप्त डाइवर्सिफिकेशन मिलता है.

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बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के लाभ

1. एसेट एलोकेशन : आपको अपनी इक्विटी और डेट एलोकेशन में बदलाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि फंड आपकी ओर से यह निर्णय खुद लेता है.

2. कम जोखिम : ये फंड इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं, इसलिए इक्विटी बाजार गिरने पर बैलेंस्ड एलोकेशन नकारात्मक पक्ष से सुरक्षा प्रदान करता है.

3. टैक्‍स-एफिशिएंट : बैलेंस्ड एडवांटेज फंड आम तौर पर इक्विटी एक्सपोजर को 65 फीसदी पर रखते हैं, जो इन फंडों को इक्विटी टैक्सेशन के लिए अर्हता हासिल करने में मदद करता है.

4. डायवर्सिफिकेशन : इन फंडों के पास अलग अलग थीम और सेक्‍टर के आधार पर लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के स्टॉक में निवेश करने की छूट होती है.

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5. फ्लेक्सिबिलिटी : आप एसआईपी शुरू कर सकते हैं या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में एकमुश्त निवेश कर सकते हैं. अलग अलग फंड हाउस में न्यूनतम निवेश राशि अलग अलग हो सकती है.

6. विद्ड्रॉल : अगर आप इक्विटी की वेल्थ क्रिएशन क्षमता का लाभ उठाना चाहते हैं और साथ ही रेगुलर कैश फ्लो की आवश्यकता होने पर बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, तो आप बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में एकमुश्त निवेश कर सकते हैं और सिस्‍टमैटिक विद्ड्रॉल प्‍लान (SWP) शुरू कर सकते हैं.

7. वेल्थ क्रिएशन : एसेट क्लास के रूप में इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई को मात देने की क्षमता होती है और लंबी अवधि के लिए बनाया गया निवेश का लक्ष्य आपको बेहतर रिटर्न देकर अपनी दौलत बढ़ाने में मदद करता है.

8. गलत निर्णय से सुरक्षा : बाजार में गिरावट कई निवेशकों के लिए परेशान करने वाली हो सकती है, जिससे वे अपना निवेश वापस निकालने के लिए या नए निवेश करने के लिए बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का ऑटोमैटिक एसेट एलोकेशन मॉडल आपको इस कंफ्यूजन को दूर करने और लॉन्‍ग टर्म कंपाउंडिंग का फायदा पाने में मदद करता है. 

(Disclaimer : निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड अस्थिरता से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि वे इक्विटी में निवेश करते हैं. निवेशकों को निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करने के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए.)

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