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Bank FD vs Arbitrage Funds : बैंक एफडी की जगह आर्बिट्राज फंड में कर सकते हैं निवेश? क्या होगा इसका नफा नुकसान

Bank FD vs Arbitrage Funds: आर्बिट्राज फंड में निवेश पर कम रिस्क में FD से बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. लेकिन क्या बैंक एफडी की जगह आर्बिट्राज फंड में पैसे लगाना सही है?

Bank FD vs Arbitrage Funds: आर्बिट्राज फंड में निवेश पर कम रिस्क में FD से बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. लेकिन क्या बैंक एफडी की जगह आर्बिट्राज फंड में पैसे लगाना सही है?

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Viplav Rahi
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Bank FD vs Arbitrage Fund : बैंक एफडी की जगह आर्बिट्राज फंड में पैसे लगाना कितना सही है? (AI Generated Image)

Bank FD vs Arbitrage Funds : निवेश करने वाला हर शख्स यही चाहता है कि उसके पैसे सुरक्षित रहें और अच्छा रिटर्न भी मिल जाए. हालांकि दोनों लक्ष्य एक साथ पूरा होना आसान नहीं होता. आमतौर पर लोग रिस्क फ्री रिटर्न के लिए सबसे पहले बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट यानी बैंक FD रुख करते हैं. लेकिन ब्याज दरों में कटौती का साइकल चलने पर बैंक एफडी पर रिटर्न की दर भी घट जाती है. ऐसे में कई बार आर्बिट्राज फंड में निवेश का जिक्र भी होता है. 

आर्बिट्राज फंड ऐसे म्यूचुअल फंड्स को कहते हैं, जिनमें निवेश पर कम रिस्क में FD से बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बैंक डिपॉजिट छोड़कर आर्बिट्राज फंड में पैसा लगाना सही है? आइए जानते हैं इनके फायदे और नुकसान.

आर्बिट्राज फंड में कैसे मिलता है रिटर्न

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आर्बिट्राज फंड एक ही शेयर की कीमतों के बीच अलग-अलग मार्केट में मौजूद अंतर से मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं. उदाहरण के लिए अगर किसी शेयर की कीमत कैश मार्केट और फ्यूचर्स मार्केट में अलग-अलग है, तो फंड मैनेजर, उन्हें सस्ती कीमत पर खरीदने के फौरन बाद ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं. इसमें जोखिम काफी कम माना जाता है, क्योंकि ज्यादा कीमत पर बेचने का मौका नजर आने पर ही निवेश किया जाता है. लेकिन मार्केट में ऐसे मौके कम मिलने पर ये फंड्स अपने पैसों को डेट सिक्योरिटीज में भी लगाते हैं.

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इनके मुकाबले बैंक डिपॉजिट (जैसे FD) एक पारंपरिक तरीका है, जहां आप तय समय के लिए बैंक में पैसा जमा करते हैं और उस पर गारंटीड ब्याज पाते हैं. इसमें बाजार का कोई रोल नहीं होता और पैसा सुरक्षित रहता है.

आर्बिट्राज फंड में निवेश के फायदे

आर्बिट्राज फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें रिस्क कम होता है. हालांकि ये इक्विटी में निवेश करते हैं, लेकिन हेजिंग की वजह से शेयर बाजार की तेज गिरावट या उछाल का असर ज्यादा नहीं पड़ता. इस लिहाज से यह डेट फंड की तरह व्यवहार करते हैं.

इसके अलावा, अक्सर आर्बिट्राज फंड FD की तुलना में थोड़ा बेहतर रिटर्न दे देते हैं, खासकर तब जब बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो. ऐसी स्थिति में प्राइस डिफरेंस ज्यादा होता है और मुनाफे का मौका भी बढ़ता है.

टैक्स के नजरिए से भी ये फायदेमंद हैं. चूंकि इन्हें इक्विटी फंड की तरह टैक्स किया जाता है. यानी निवेश को एक साल से ज्यादा होल्ड करने के बाद पैसे निकालने पर 12.5% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. वहीं बैंक डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स आपकी इनकम स्लैब के हिसाब से लगता है, जो कई बार ज्यादा हो सकता है.

लिक्विडिटी भी एक और प्लस पॉइंट है. FD में लॉक-इन पीरियड का ध्यान रखना पड़ता है और जरूरत पड़ने पर बीच में तोड़ा जाए, तो पेनल्टी लग जाती है. लेकिन आर्बिट्राज फंड को कभी भी रिडीम किया जा सकता है.

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आर्बिट्राज फंड के निगेटिव फैक्टर

आर्बिट्राज फंड में निवेश के ऊपर बताए गए फायदों के बावजूद ये एफडी का परफेक्ट विकल्प नहीं है. एफडी के मुकाबले सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें रिटर्न की गारंटी नहीं होती. अगर बाजार ज्यादा स्टेबल रहा और दामों में अंतर कम हुआ, तो रिटर्न FD से भी कम हो सकते हैं.

इसके अलावा, बार-बार खरीद-बिक्री की वजह से खर्चे (एक्सपेंस रेशियो) ज्यादा हो सकते हैं. कुछ फंड्स जल्दी पैसे निकालने पर एग्जिट लोड भी लगा सकते हैं. यह अतिरिक्त खर्चा निवेशकों की कमाई को घटा सकता है.

रिस्क भी पूरी तरह जीरो नहीं है. हालांकि बाकी इक्विटी फंड्स की तुलना में यह बहुत कम होता है, लेकिन मार्केट में अचानक बदलाव या तकनीकी गड़बड़ी से नुकसान हो सकता है.

मार्केट टाइमिंग और सौदों के एग्जीक्यूशन से जुड़ा रिस्क भी रहता है. आर्बिट्राज ट्रेड के मौकों को पहचानने और उन पर अमल करने में देर हो जाए, तो संभावित मुनाफा हाथ से निकल सकता है. परफेक्ट टाइमिंग और सौदों पर तेजी से अमल करना आर्बिट्राज की सफलता के लिए जरूरी है. इसलिए ऑपरेशनल इनएफीशिएंसी हो तो रिस्क बढ़ जाता है.

साथ ही, अगर आप एक साल से पहले पैसा निकालते हैं, तो 20% की दर से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स देना पड़ता है. यह निचले टैक्स स्लैब में आने वालों के लिए FD पर लगने वाले टैक्स से भी ज्यादा हो सकता है.

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बैंक डिपॉजिट vs आर्बिट्राज फंड 

बैंक डिपॉजिट (FD)

आर्बिट्राज फंड

रिटर्न (Return)

फिक्स्ड और गारंटीड. आमतौर पर 5% - 7% सालाना.

गारंटीड नहीं, लेकिन वोलैटाइल मार्केट में FD से ज्यादा (कभी 6% - 8% या उससे अधिक).

रिस्क (Risk)

लगभग जीरो, क्योंकि बैंक गारंटी देता है.

कम रिस्क, लेकिन मार्केट लिंक्ड होने से फिक्स रिटर्न नहीं.

लिक्विडिटी (Liquidity)

फिक्स समय का लॉक-इन, जल्दी तोड़ने पर पेनल्टी.

कभी भी रिडीम कर सकते हैं, कुछ फंड्स में शॉर्ट टर्म में एग्जिट लोड.

टैक्सेशन (Taxation)

ब्याज पर टैक्स इनकम स्लैब (5%, 20%, 30%) के मुताबिक.

इक्विटी जैसा टैक्स: 1 साल बाद 12.5%, 1 साल से पहले 20%.

सुरक्षा (Safety)

100% सुरक्षित, गारंटीड रिटर्न.

पूरी तरह रिस्क-फ्री नहीं.

बैंक डिपॉजिट किनके लिए बेहतर हैं

अगर आप बहुत ज्यादा सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं और हर हाल में गारंटीड रिटर्न चाहते हैं, तो FD आपके लिए बेहतर है. इसमें न तो बाजार का रिस्क है और न ही रिटर्न घटने का डर. हालांकि इसका मुनाफा सीमित और टैक्स के बाद कम रह जाता है, लेकिन फिर भी बहुत से निवेशक इसकी सुरक्षा की वजह से इसे चुनते हैं.

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आर्बिट्राज फंड में किन्हें करना चाहिए निवेश

कुल मिलाकर, आर्बिट्राज फंड उन लोगों के लिए बेहतर हैं जो FD से थोड़ा ज्यादा कमाना चाहते हैं, टैक्स सेविंग भी करनी है और बाजार से जुड़ा थोड़ा रिस्क उठाने को तैयार हैं. वहीं FD उन निवेशकों के लिए सही है जो फिक्स रिटर्न और पूंजी की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखते हैं. इसलिए आपको अपने लिए सही इनवेस्टमेंट ऑप्शन का चुनाव अपनी जरूरत, टैक्स से जुड़े प्रिफरेंस और रिस्क बर्दाश्त करने की क्षमता पर निर्भर करता है.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला स्कीम अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह-मशविरा करने के बाद ही करें)

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