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Investment : साल 2025 में निवेश के लिए खोज रहे हैं बेस्ट विकल्प, ये 4 थीम चमका सकते हैं आपका पोर्टफोलियो

Share Market : साल 2024 बाजार के लिए मिला जुला रहा है. इस साल की बात करें तो दुनिया की लगभग आधी आबादी (60 से अधिक देश) के राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने की घटना देखने को मिली, जिसमें दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भी शामिल रहे.

Share Market : साल 2024 बाजार के लिए मिला जुला रहा है. इस साल की बात करें तो दुनिया की लगभग आधी आबादी (60 से अधिक देश) के राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने की घटना देखने को मिली, जिसमें दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भी शामिल रहे.

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Sushil Tripathi
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Return : इस साल 30 नवंबर 2024 तक यानी 11 महीनों के दौरान NSE-500 इंडेक्स (ब्रॉडर मार्केट) ने 18.1% रिटर्न दिया है. (Pixabay)

Best 4 Investment Themes for 2025 : साल 2024 अब खत्म होने वाला है और कुछ ही दिन में नए साल की शुरूआत हो जाएगी. साल 2024 बाजार के लिए मिला जुला रहा है. इस साल की बात करें तो दुनिया की लगभग आधी आबादी (60 से अधिक देश) के राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने की घटना देखने को मिली, जिसमें दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भी शामिल रहे. जियो पॉलिटिकल टेंशन जैसे मुद्दे पूरे साल बने रहे, साथ ही साल 2024 में इंटरेस्ट रेट साइकिल के रिवर्स होने की उम्मीद की जा रही थी. इन सबका मतलब है कि बाजार में ज्‍यादा उतार-चढ़ाव, जिसे हम इस साल देख भी चुके हैं. निवेशकों के लिए साल 2024 कैसा रहा, 2025 कैसा होगा, किन थीम में पैसे लगाकर निवेशक मुनाफा कमा सकते हैं, इन सभी बातों पर संजय चावला, चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर - इक्विटी, बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड, ने विस्तार से जानकारी दी है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान बाजार दो हिस्सों में बंटा हुआ था. पहली छमाही में भारतीय इक्विटी मार्केट दुनिया भर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक था, जबकि दूसरी छमाही में इसके प्रदर्शन में गिरावट देखी गई. बाजार में यह गिरावट राष्ट्रीय चुनावों और मानसून के चलते डॉलर में मजबूती और भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी के संयोजन के चलते थी. इसके परिणामस्वरूप अर्निंग ग्रोथ उम्‍मीद से कमजोर रही.

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11 महीनों में NSE-500 ने दिया 18.1% रिटर्न 

इस साल 30 नवंबर 2024 तक यानी 11 महीनों के दौरान NSE-500 इंडेक्स (ब्रॉडर मार्केट) ने 18.1 फीसदी रिटर्न दिया है. इसका मतलब है कि 3 साल की कंपाउंड एनुअलाइज्‍ड रेट ऑफ ग्रोथ (सीएजीआर) 17.2 फीसदी, 5 साल की सीएजीआर 19.9 फीसदी और 10 साल की सीएजीआर 14.6 फीसदी रही. यह डेटा एक बार फिर दिखाता है कि कैसे भारतीय निवेशक, इक्विटी म्यूचुअल फंड में सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के जरिए निवेश कर अपनी दौलत में इजाफा कर सकते हैं और इस रिटर्न के जरिए महंगाई को मात दे सकते हैं. 

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2024 रहा बिग आईपीओ का साल

म्यूचुअल फंड में डोमेस्टिक फ्लो (घरेलू प्रवाह) 6.2 ट्रिलियन रुपये यानी 6.2 लाख करोड़ रुपये (जनवरी-नवंबर 2024 के लिए कम्युलेटिव) पर मजबूत बना रहा. इस साल एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्विगी लिमिटेड जैसे कुछ बड़े आईपीओ भी आए - जो भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते माहौल को दिखाते हैं.

2025 : बाजार के लिए ये फैक्टर महत्वपूर्ण  

जैसे-जैसे हम 2025 में कदम रख रहे हैं, हमारा मानना है कि ये उभरते हुई थीम और भी मजबूत होते जाएंगे. विशेष रूप से, हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल के प्रदर्शन को आकार देने के लिए 3 मैक्रो थीम महत्‍वपूर्ण होंगी –

1.     अमेरिका में नई व्यवस्था से वैश्विक व्यापार के साथ-साथ जियो-पॉलिटिकल स्थिति पर भी असर पड़ने की संभावना है. 

2.     सरकारी खर्च और कॉर्पोरेट खर्च दोनों में बढ़ोतरी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार आना चाहिए.

3.     इनोवेशन आधारित थीम मजबूत होंगी.

हमें मजबूती के साथ यह भरोसा है कि विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था तक भारत की यात्रा शुरू हो चुकी है. इस यात्रा के केंद्र में जो महत्वपूर्ण फैक्टर होने जा रहा है, वह है इनोवेशन.

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2025 : निवेश के लिए ये 4 थीम होंगे बेस्ट  

बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड में हमने निवेश के अवसरों के 4 विशेष क्षेत्रों की पहचान की है - जिसमें वित्तीयकरण या फाइनेंशियल सेक्टर का बढ़ता आकार, इंडस्‍ट्री 5.0, रिटेल निवेशकों के लिए आसान होता निवेश और एनर्जी ट्रांजीशन (एफ.आई.आर.ई.) शामिल हैं.

1 · फाइनेंशियल सेक्टर का बढ़ता आकार : भारत ने पहले ही डिजिटल पेमेंट को अपनाने में लीडरशिप पोजीशन हासिल कर लिया है. बिना रुकावट या बिना परेशानी डिजिटल फाइनेंशियल सॉल्यूशंस की बढ़ती पहुंच से सभी वर्गों का एक समान विकास, हाई प्रोडक्टिविटी और पूंजी के साथ-साथ निवेश के अवसरों तक सभी की बेहतर पहुंच होगी.

2 · इंडस्‍ट्री 5.0 :  हमारा मानना है कि भारत के लिए मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में जो तेजी आई है, अगले कुछ साल उस तेजी को सही मायने में रेखांकित करेंगे. सप्‍लाई चेन में चीन +1 रणनीति की ओर वैश्विक कदम और भारत में बढ़ती घरेलू मांग का मतलब होगा कि भारतीय मैन्‍युफैक्‍चरिंग वैश्विक स्तर पर पहुंच जाएगा. इतना ही नहीं, बल्कि हम यह भी उम्मीद करते हैं कि भारत नई टेक्‍नोलॉजी ट्रेंड को अपनाने और उसे सही से लागू करने में सबसे आगे होगा, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर इंडस्‍ट्री में सेंटर-स्‍टेज पर है, जहां भारत को अब 3 दशक से अधिक की बढ़त मिल चुकी है.

3 · रिटेलाइजेशन - रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी : उम्मीद है कि 2035 तक जनरेशन Z का खर्च 1.8 ट्रिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच जाएगा. टेक्‍नोलॉजी, कंजम्पशन के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसमें वे क्या खरीदते हैं और कैसे खरीदते हैं, सब कुछ शामिल है. 

4 · एनर्जी ट्रांजीशन : यह एक ग्‍लोबल थीम है और भारत में एनर्जी के परिवेश को भी बदलने के लिए तैयार है. जीवाश्म ईंधन (कोयला और कच्चा तेल) के पारंपरिक सोर्स से रिन्यूएबल सोर्स (सोलर, विंड और इलेक्ट्रिक वाहन) में परिवर्तन पहले से ही पूरे वैल्यू चेन में महत्वपूर्ण निवेश के अवसर खोल रहा है.

2025 : इन ग्लोबल फैक्‍टर पर रहेगी नजर

वैश्विक स्‍तर पर बात करें तो सभी की निगाहें ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ निर्णयों पर टिकी हैं. टैरिफ वार से भारत सबसे कम प्रभावित है. फिर भी, टैरिफ से अमेरिका में महंगाई का दबाव बढ़ेगा. इसका मतलब यह होगा कि ब्याज दरें बहुत कम नहीं होंगी. यह अमेरिका के 10-ईयर यील्‍ड में भी दिखता है, जो इस साल ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कमी के बावजूद, इस साल की शुरुआत के स्तरों से अधिक है. 

ऊंचे टैरिफ और ऊंची अमेरिकी दरों के संयोजन का मतलब होगा कि अमेरिकी डॉलर में मजबूती का ट्रेंड जारी रहेगा. हम उभरते बाजारों की करेंसी (मुद्राओं) में गिरावट के संकेतों की तलाश करेंगे. करेंसी के मोर्चे पर चीन का कदम महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त पड़ रही घरेलू मांग के कारण निर्यात संबंधी झटकों के प्रति संवेदनशील है.

एक और उम्मीद यह है कि दुनिया भर में जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी. इसके साथ ही डॉलर के मजबूत होने का मतलब यह होगा कि कच्चे तेल की कीमतों सहित कमोडिटी की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी. भारत के दृष्टिकोण से यह निश्चित रूप से अच्छी खबर है.

भारत का अमृत काल

भारत की बात करें तो पिछली दो तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के कम आंकड़ों को देखते हुए ग्रोथ स्टोरी पर कुछ संदेह हैं. हालांकि, पहली तिमाही में राष्ट्रीय चुनाव और दूसरी तिमाही में मानसून के कारण सरकारी खर्च प्रभावित हुआ था. हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही से खर्च में धीरे-धीरे सुधार होगा और इसलिए जीडीपी ग्रोथ बेहतर होगी. हमारा मानना है कि 6-7 फीसदी वास्तविक जीडीपी ग्रोथ और 4-5 फीसदी महंगाई, जो 10-12 फीसदी नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में तब्दील हो, भारत के लिए एक बेहतर स्थिति है.

भारतीय बाजार के लिए कुल वैल्‍युएशन 10 साल के औसत के अनुरूप है. हालांकि कुछ जगहों पर वैल्‍युएशन अधिक है, लेकिन हम बाजार में कई तरह के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं. कुल मिलाकर, हम 2025 में हम उम्मीदों के साथ प्रवेश करने जा रहे हैं, जहां हमारा मानना है कि भारत एक बार फिर एक ऐसी अर्थव्यवस्था और बाजार के रूप में उभरेगा, जिस पर वैश्विक अनिश्चितताओं का कम से कम प्रभाव पड़ेगा और वास्तव में यह मजबूती से आगे बढ़ेगा.

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