/financial-express-hindi/media/media_files/2024/11/04/FNoHG29d4llvcCS0G269.jpg)
SIP Tips : म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो जब निवेशकों को नुकसान कराने लगता है तो कई बार खासतौर से नए निवेशक घबरा जाते हैं. (Freepik)
Mutual Funds Low Return : शेयर बाजार में हाल के दिनों में जो करेक्शन देखने को मिला है, उसने इक्विटी म्यूचुअल फंड मार्केट पर भी असर डाला है. बीते 1 महीने, 3 महीने और 6 महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन पर असर पड़ा ही है, बीते 1 साल में कई फंडों का रिटर्न घट गया है. बीते 1 साल में रिटर्न चार्ट देखें तो कम से कम ऐसे 10 इक्विटी फंड हैं, जिनमें रिटर्न एफडी जैसा या उससे भी कम रहा है. ओवरआल इन इक्विटी स्कीम ने 1 साल में 4 से 8 फीसदी ही रिटर्न दिया है. इनमें से कई स्कीम अपने बेंचमार्क से पीछे रह गई हैं.
1 साल में सबसे कम रिटर्न देने वाले 10 इक्विटी फंड
DSP Global Clean Energy Fund of Fund : 4.54%
ICICI Pru FMCG : 5.92%
HDFC NIFTY Private Bank ETF : 6.11%
SBI Nifty Private Bank ETF : 6.11%
ICICI Pru Nifty Private Bank ETF : 6.13%
DSP Nifty Private Bank ETF : 6.15%
Tata Nifty Private Bank ETF : 6.19%
ICICI Pru Nifty FMCG ETF : 6.95%
Kotak International REIT FOF : 7.51%
Franklin India Feeder Templeton European Opp : 8%
LIC की सुपरहिट स्कीम, 1 लाख को बना दिया 16 लाख, 5000 रुपये महीना जमा करने पर मिले 1.28 करोड़
घबराने की बजाय समझदारी दिखाएं
म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो जब निवेशकों को नुकसान कराने लगता है तो कई बार खासतौर से नए निवेशक घबरा जाते हैं और वे अपनी यूनिट बेचने लगते हैं या अपना पूरा निवेश ही निकाल लेते हैं. लेकिन ये कदम उन निवेशकों के फाइनेंशियल प्लानिंग को बिगाड़ सकता है और वे अपने लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं. एक्सपर्ट घबराकर यूनिट सेल करने या गलत निर्णय लेने की बजाए, धैर्य रखने की सलाह देते हैं, साथ ही कुछ उपाय भी करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि बाजार में गिरावट कोई नई बात नहीं है. बाजार नीचे आने के बाद फिर चढ़ता है.
निवेश में धैर्य रखना जरूरी
सफल निवेश के लिए यह पहला कदम है कि चुनौतियों में भी मन को शांत रखते हुए धैर्य बनाए रखें. शेयर बाजार में उतार चढ़ाव एक आम घटना है, जो समय समय पर देखने को मिलता है. लेकिन लंबी अवधि की हिस्ट्री देखें तो बाजार अच्छा प्रदर्शन करते हैं. शॉर्ट टर्म में, अस्थिरता के कारण कीमत ऊपर और नीचे जाती है. जहां शॉर्ट टर्म में अस्थिरता के चलते म्यूचुअल फंड में नुकसान होता है, वहीं अगर आप लंबी अवधि पर नजर डालें तो 3-4 साल की होल्डिंग के बाद पॉजिटिव रिटर्न ही देखने को मिलता है.
जल्दबाजी में यूनिट न सेल करें
आप गिर रहे बाजार में म्यूचुअल फंड में छोटी अवधि के दौरान नुकसान उठा सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह है कि आपको अपना निवेश भुना लेना चाहिए. निवेश से एक साल पहले भुनाए जाने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड पर ज्यादातर मामलों में 1 फीसदी का एक्जिट लोड लगता है.
कुछ निवेशकों का मानना है कि जब म्यूचुअल फंड की वैल्यू नीचे जाए तो वे अपना पैसा इससे निकाल सकते हैं, लेकिन इसका रिजल्ट ठीक नहीं होता है. SIP आपको बाजार के टाइमिंग से मुक्त कर देता है. जब बाजार नीचे होता है तो यह आपके लिए अधिक यूनिट खरीदने के लिए रुपये की औसत लागत का भी लाभ उठाता है.
कब स्विच करना चाहिए
लो रिटर्न आने पर अपने म्यूचुअल फंड स्कीम की उसी कैटेगरी में और अन्य कैटेगरी में दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम के साथ तुलना करें. अगर आप देखते हैं कि बेस्ट रेटिंग वाले फंडों की तुलना में आपके म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन थोड़ा ही खराब है, तो स्विच करना आवश्यक नहीं होगा. अगर प्रदर्शन में बहुत ज्यादा अंतर है तो स्विच करने के पहले एडवाइजर की सलाह लें.
उतार-चढ़ाव बाजार का सामान्य ट्रेंड
अगर इक्विटी की बात करें तो स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव बाजार के सामान्य ट्रेंड के कारण होते हैं. जब आप ट्रेंड के सही पक्ष में होते हैं, तो आपके लिए कंपाउंडिंग काम करती है, चाहे वह चढ़ रहा बाजार हो या गिर रहा बाजार. इसलिए, पहला कदम बाजार के सही ट्रेंड का आकलन करना है, आपको पहचानना होगा कि बाजार में बुल ट्रेंड में या बियर ट्रेंड में. फिर उसी ट्रेंड के साथ निवेश करें.
(Source: Value Research, Financial Websites Blog)