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Investment Tips : जब दूसरे डर रहे हों तो आप लालची बन जाएं, क्‍या मार्केट गुरू का ये मंत्र है निवेश में सफलता का राज

Success Mantra for Investors : दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट का एक पॉपुलर कोट है कि "बाजार में जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची बनो और जब दूसरे लालची हों तो डरो".  घबराहट में अपना निवेश भुना लेने से सिर्फ घाटा ही बढ़ता है.

Success Mantra for Investors : दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट का एक पॉपुलर कोट है कि "बाजार में जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची बनो और जब दूसरे लालची हों तो डरो".  घबराहट में अपना निवेश भुना लेने से सिर्फ घाटा ही बढ़ता है.

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Sushil Tripathi
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Investment : बाजार में उतार-चढ़ाव टेंशन बढ़ाने वाला हो सकता है, लेकिन यह लॉन्‍ग टर्म निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो का फिर से मूल्यांकन करने का एक अवसर है. (Image : Pixabay)

SIP Investment Strategy : दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट का एक पॉपुलर कोट है कि "बाजार में जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची बनो और जब दूसरे लालची हों तो डरो".  घबराहट में अपना निवेश भुना लेने से सिर्फ घाटा ही बढ़ता है, जबकि निवेश बनाए रहने से टाइम और कंपाउंडिंग निवेशक के फेवर में काम करते हैं. उनका कहना है कि जब बाजार में घबराहट होती है तो हम अपनी दौलत नहीं गंवाते हैं, बल्कि जब हम घबराते हैं तो हम अपने पैसों का नुकसान कर लेते हैं. तो क्‍या मौजूदा बाजार की गिरावट में भी दिग्‍ग्‍ज निवेशक का ये मंत्र लंबी अवधि में सफलता का राज बन सकता है. अगर हम बाजार की हिस्‍ट्री में बड़ी गिरावट और उसके बाद रिकवरी के आंकड़े देखें तो यह बात समझ में आ सकती है. 

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निवेश बनाए रखना क्यों जरूरी है?

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बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड  के सीईओ सुरेश सोनी का कहना है कि फंड हाउस की एक स्‍टडी के अनुसार पिछले 2 दशक में, ऐसे 13 मौके आए, जब एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स ने 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की. इनमें से 11 मौकों पर, इंडेक्स ने एक साल बाद पॉजिटिव रिटर्न दिया. इनमें से 9 मौकों पर रिटर्न डबल डिजिट में था, जबकि एवरेज रिटर्न 21 फीसदी रहा. अगर आप 10 फीसदी की गिरावट के बाद भी निवेश के लिए 3 साल तक समय-सीमा बढ़ाते हैं, तो निगेटिव रिटर्न का एक भी उदाहरण नहीं है. 

रिसर्च के अनुसार 18 अप्रैल 2005 से 18 अप्रैल 2006 के बीच बाजार में 80 फीसदी से ज्‍यादा बढ़त रही. 15 सितंबर 2008 से 15 सितंबर 2009 तक बाजार में 20 फीसदी तेजी आई. 8 मई 2012 से 8 मई 2013 के बीच बाजार में 21 फीसदी तेजी रही. 17 नवंबर 2016 से 17 नवंबर 2017 के बीच बाजार में 27 फीसदी तेजी रही. 23 मार्च 2018 से 23 मार्च 2019 के बीच 15 फीसदी तेजी रही. जबकि इन सभी साल के पहले तक बाजार में करेक्‍शन का दौर चला था. तो यह डाटा तो वॉरेन बफेट के प्रसिद्ध कोट को सही साबित करता है. 

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SIP बनाए रखने का फायदा

घबराहट की स्थिति में कई बार निवेशक घबराकर जल्दबाजी में फैसले लेने लगते हैं. जैसे पहले से चल रहे SIP को बंद कर देना या टारगेट पूरा हुए बिना निवेश को भुना लेना. लेकिन वास्तव में ये कदम फाइनेंशियल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है. SIP के पीछे मूल उद्देश्‍य रुपी कास्‍ट एवरेजिंग है. जब आप लोअर मार्केट लेवल पर एसआईपी जारी रखते हैं, तो आप अपने समान मंथली निवेश की राशि से अधिक यूनिट खरीद सकते हैं, क्योंकि नेट एसेट वैल्यू (NAV) कम होती है. यह रणनीति सुनिश्चित करती है कि जब बाजार में रिकवरी आती है, तो इन बढ़ी हुई यूनिट पर आपको ज्यादा लाभ होता है. 

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बाजार में उतार-चढ़ाव से कैसे निपटें?

सुरेश सोनी का कहना है कि  हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव टेंशन बढ़ाने वाला हो सकता है, लेकिन यह लॉन्‍ग टर्म निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो का फिर से मूल्यांकन करने का एक सुनहरा अवसर पेश करता है. इस डर का उपयोग प्रोडक्टिवली यह मूल्यांकन करने के लिए करें कि आपका वर्तमान एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुरूप है या नहीं. अक्सर, बुल मार्केट यानी तेजी वाले बाजारों में निवेशक दूसरों को फॉलो करते हुए या हाल ही में टॉप प्रदर्शन करने वाली कैटेगरी को देखकर निवेश करते है.

लेकिन हर निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता, लिक्विडिटी की जरूरतें और टाइम लिमिट अलग-अलग होती है. बाजार में करेक्शन एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी का पोर्टफोलियो उसके अपने लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता और लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सही तरीके से तैयार किया गया है. 

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एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी

लार्ज और मिडकैप फंड / मल्टीकैप फंड / फ्लेक्सीकैप फंड : उन निवेशकों के लिए जो लंबी अवधि में अपनी दौलत में इजाफा करना चाहते हैं और इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव को झेलने की क्षमता रखते हैं, ये फंड कैटेगरी अच्‍छे विकल्प होंगे। क्योंकि इनमें मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से पोर्टफोलियो मिक्स होता है, जो मार्केट के किसी खास सेगमेंट में तेज उतार-चढ़ाव के असर को कम करता है.

हाइब्रिड इक्विटी स्कीम / बैलेंस्ड एडवांटेज फंड : ये योजनाएं निश्चित रूप से ऐसे निवेशकों के लिए सावधानी से विचार करने योग्य हैं, जिन्हें हाल ही में 10 फीसदी की गिरावट ने यह अहसास जगा दिया है कि इक्विटी निवेश में अप-डाउन हो सकता है, लेकिन जो अभी भी भारत में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले लॉन्‍ग टर्म एसेट क्लास के रूप में अपने स्टेटस के लिए इक्विटी होल्डिंग चाहते हैं.

मल्टी-एलोकेशन फंड : जो निवेशक इसमें विश्वास करते हैं कि इक्विटी की एक ही कैटेगरी में निवेश करना समझदारी नहीं है, उनके लिए एक दूसरे से लो को-रिलेशन वाले मल्‍टी एसेट क्लास का मिक्स एक पसंदीदा विकल्प हो सकता है.

(Disclaimer: हमने यहां एक्सपर्ट से बात चीत और डेटा के हवाले से जानकारी दी है. इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी प्रदान करना है और यह किसी भी तरह से निवेश की सलाह नहीं है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी के निजी विचार भी नहीं हैं. बाजार में जोखिम होता है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि निवेश का कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने स्तर पर फाइनेंशियल एडवाइजस से परामर्श करें.)

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