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Interest Rate reduction: होम लोन चुका रहे लोग ऊंची ब्याज दरों से परेशान हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ महीनों में उनकी परेशानी कुछ कम हो सकती है. (Image : Pixabay)
Why your Home loan EMI may fall this year: होम लोन भरने वाले ज्यादातर लोग पिछले ढाई-तीन साल में अपनी ईएमआई बढ़ने से परेशान रहे हैं. वजह ये है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने महंगाई दर को काबू में लाने के लिए मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट यानी नीतिगत ब्याज दरों में 2.5% का इजाफा कर दिया. पिछले कुछ अरसे के दौरान महंगाई दर काबू में आई तो उम्मीद की जाने लगी कि आरबीआई अब शायद रेपो रेट में कटौती शुरू करेगा. लेकिन रिजर्व बैंक ने मॉनेटरी पॉलिसी के लेटेस्ट रिव्यू में ऐसा नहीं करके इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. ऐसे में सवाल होम लोन चुका रहे लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर उनकी ईएमआई कब घटेगी? इसके लिए उन्हें और कितना इंतज़ार करना पड़ेगा? अच्छी बात ये है कि रेपो रेट में कटौती नहीं किए जाने के बावजूद इस कैलेंडर वर्ष के दौरान आपके होम लोन की ब्याज दरें (Home Loan Interest Rates) और ईएमआई घटने की संभावना खत्म नहीं हुई है. आइए जानते हैं कि क्या है इसकी वजह.
खुदरा महंगाई दर में नरमी
आरबीआई ने सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर में इंफ्लेशन बढ़ने की वजह से ब्याज दरों में लगातार इजाफा किया था. लेकिन अब हालात बदले हुए हैं और महंगाई दर आरबीआई के इंफ्लेशन टॉलरेंस जोन की 6% की ऊपरी सीमा के दायरे में है. दिसंबर 2023 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर 5.7% पर थी. कीमतों के काबू में बने रहने पर रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरें घटाने पर विचार कर सकता है. इस बात की काफी संभावना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा किया जाए, क्योंकि चुनाव से पहले सरकार कीमतों में बढ़ोतरी का कोई रिस्क लेना नहीं चाहेगी.
कोर इंफ्लेशन 2 साल के निचले स्तर पर
कोर इंफ्लेशन के मामले में हालात खुदरा महंगाई दर से भी बेहतर हैं. दिसंबर 2023 में कोर इंफ्लेशन 3.9% पर आ गया, जो दो साल का सबसे निचला स्तर है. जानकारों का मानना है कि मार्च तिमाही के दौरान खुदरा महंगाई दर भी 5 से 5.2% के दायरे में रहेगी, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह 5.4% के आसपास रह सकती है. वहीं वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इसके 4.5% के दायरे में रहने की उम्मीद भी जाहिर की जा रही है. इन हालात में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान रिजर्व बैंक का स्टांस बदल सकता है और वो ब्याज दरों में कटौती का साइकल शुरू कर सकता है.
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काबू में है फिस्कल डेफिसिट
1 फरवरी 2024 को पेश बजट में सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को 5.8% तक सीमित रखने का भरोसा जताया है. जबकि लक्ष्य 5.9% का था. इसी तरह सरकार ने अगले वित्त वर्ष (2024-25) के लिए फिस्कल डेफिसिट को और भी घटाकर 5.1% पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सरकार ने नॉन-कैपिटल एक्सपेंडीचर को काबू में रखा है. सरकार का राजकोषीय घाटा और नॉन-कैपिटल एक्सपेंडीचर कम रहने के कारण कीमतों के नियंत्रण में बने रहने की संभावना बढ़ जाएगी. जिससे आरबीआई के पास ब्याज दरें घटाने का बेहतरीन मौका रहेगा.
ब्याज दरें अपने सबसे ऊंचे स्तर पर हैं
मौजूदा हालात में यह मानने की तमाम वजहें मौजूद हैं कि ब्याज दरें अपने सबसे ऊंचे स्तर (Peak) पर हैं. लिहाजा अब आगे इंटरेस्ट रेट साइकल के पलटने का दौर शुरू होने के पूरे आसार हैं. यह बदलाव मौजूदा साल की दूसरी छमाही से देखने को मिल सकता है. कुछ जानकार तो आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की अप्रैल 2024 में होने वाली अगली बैठक में भी रेट साइकिल के रिवर्स होने की उम्मीद कर रहे हैं. अगर वैसा नहीं भी हुआ, तो भी अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक ऐसा होने के पूरे आसार हैं.
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ब्याज दर घटने से कितना होगा फायदा?
अगर आपने 20 साल के लिए 50 लाख रुपये का होमलोन लिया है और उस पर ब्याज दर 8.50% से घटकर 8% हो जाए, तो आपके 0.5% की इस गिरावट से आप पूरे 3.83 लाख रुपये बचा सकते हैं. इससे पुराने होम लोन बॉरोअर्स यानी कर्ज लेने वालों को बहुत जरूरी राहत मिलेगी, जो पिछले 3 साल के दौरान अपनी ईएमआई में आए उछाल से बेहद परेशान रहे हैं.