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Investment Planning: निवेश की सही रणनीति बनाते समय टैक्स सेविंग के अलावा और किन बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है? (Image: Pixabay)
Why income tax saving should not be the only goal of a best investment plan: इनवेस्टमेंट प्लान बनाते समय आम तौर पर जिन बातों पर काफी ध्यान दिया जाता है, उनमें टैक्स सेविंग शामिल है. निवेश के दो या ज्यादा विकल्पों की तुलना करने के लिए भी उन पर मिलने वाले टैक्स लाभ को ध्यान में रखना जरूरी है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि निवेश का फैसला सिर्फ टैक्स सेविंग (Tax Saving) को ध्यान में रखकर ही किया जाए. बेस्ट इनवेस्टमेंट प्लानिंग (Investment Planning) वही हो सकती है, जिसमें टैक्स सेविंग के साथ ही साथ कई और अहम बातों पर भी अच्छी तरह से गौर किया जाए. ऐसी ही कुछ अहम बातों की चर्चा हम यहां करने जा रहे हैं.
रिस्क और रिटर्न की तुलना
निवेश के किसी भी ऑप्शन को चुनने से पहले यह देखना जरूरी है कि उसमें रिटर्न के साथ ही साथ रिस्क कितना है. हो सकता है निवेश के किसी विकल्प में टैक्स-बेनिफिट जोड़ने के बाद नजर आ रहा रिटर्न काफी ऊंचा हो. लेकिन बेहतर रिटर्न की संभावना अगर ज्यादा रिस्क के साथ जुड़ी है, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है. मिसाल के तौर पर कुछ इक्विटी फंड्स ऊंचे रिटर्न की संभावना और टैक्स सेविंग के लिए लिहाज से काफी आकर्षक लग सकते हैं,. लेकिन उनमें निवेश करने से पहले आपको यह भी ध्यान में रखना होगा कि शेयर बाजार में निवेश रिस्की होता है और रिटर्न की गारंटी नहीं होती.
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अपने पोर्टफोलियो का बैलेंस न बिगाड़ें
अगर आपने अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर यह तय किया है कि पोर्टफोलियो का कितना हिस्सा, किस एसेट क्लास में निवेश करना है, तो उस अनुपात को सिर्फ टैक्स-सेविंग के चक्कर में बिगाड़ना सही नहीं है. मिसाल के तौर पर अगर आपने अपनी उम्र, आर्थिक हालात, निवेश के लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर तय किया है कि पोर्टफोलियो का 30 फीसदी हिस्सा ही इक्विटी में निवेश करना है, तो सिर्फ टैक्स सेविंग के मकसद से इस लिमिट को पार न करें. बल्कि इस बात पर गौर करें कि अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड और बैलेंस्ड बनाए रखते हुए बेहतर रिटर्न कैसे हासिल किया जा सकता है.
शॉर्ट टर्म टारगेट के लिए दीर्घकालीन लक्ष्य से नजर न हटाएं
अगर आपने अपने निवेश के लिए कोई लॉन्ग टर्म गोल यानी लक्ष्य तय कर लिया है, तो सिर्फ टैक्स सेविंग के लिए उससे नज़र हटाना सही नहीं है. लगातार नियमित निवेश से वेल्थ क्रिएशन के लिए यह भी जरूरी है कि आपकी निवेश की गई रकम लंबे समय तक सुरक्षित रहे. अगर आपने तात्कालिक तौर पर टैक्स बचाने के लिए अपने पैसे गलत जगह फंसा दिए तो आपका यह मकसद अधूरा रह जाएगा. इसलिए टैक्स सेविंग से जुड़े निवेश का फैसला करते समय यह जरूर देख लें कि वह आपके लॉन्ग टर्म गोल की दिशा में आगे बढ़ने वाला ही हो, उससे भटकाने वाला नहीं.
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क्या है आपके निवेश की फिलॉसफी?
निवेश की बेहतर योजना बनाने के लिए आपकी इनवेस्टमेंट फिलॉसफी भी सही होनी चाहिए. इनवेस्टमेंट का कोई भी फैसला करते समय अगर आपके मन में सिर्फ यही सवाल रहता है कि इससे आप “कितना टैक्स बचा पाएंगे”, तो आपको अपनी इनवेस्टमेंट फिलॉसफी को दुरुस्त करने की जरूरत है. बेहतर होगा अगर निवेश करते समय आप सिर्फ टैक्स बचत की परवाह करने की बजाय ये सोचें कि “क्या यह इनवेस्टमेंट मुझे एक ऐसा मजबूत पोर्टफोलियो बनाने में मदद करेगा, जिससे मेरा लॉन्ग टर्म आर्थिक लक्ष्य पूरा हो?”
निवेश की रणनीति में लचीलापन लाएं
लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में मार्केट से जुड़े एसेट्स को शामिल करना बेहतर रहता है. लेकिन ऐसा करते समय किसी फिक्स स्ट्रैटेजी पर चलने की बजाय अपनी रणनीति में लचीलापन बनाए रखना बेहतर है. दरअसल किसी भी निवेश में रिस्क और रिटर्न का आकलन करते समय अपने रिस्क प्रोफाइल के साथ ही साथ व्यापक अर्थव्यवस्था, बाजार के हालात और उतार-चढ़ावों को ध्यान में रखना भी जरूरी होता है. लिहाजा, वक्त के साथ-साथ अपनी रणनीति में जरूरत के मुताबिक बदलाव करते रहें, तभी आप निवेश के सही मौकों का फायदा उठा पाएंगे और समय के साथ कदम मिलाकर चल सकेंगे.
जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल की मदद लें
निवेश की रणनीति बनाते समय या पहले से तय रणनीति में कोई बदलाव करते समय अगर आप खुद को कनफ्यूजन यानी असमंजस में फंसा पाते हैं, तो अंदाज से या सिर्फ इंट्यूशन (intuition) के आधार पर कोई आर्थिक फैसला करने की जगह प्रोफेशनल की मदद लें. एक क्वालिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर निवेश (investing) का सही फैसला करने में आपकी काफी मदद कर सकता है.