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CGHS New Rules : अगर नए नियमों का सही ढंग से पालन नहीं हुआ, तो हॉस्पिटल का क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है. (Image: AI Generated)
CGHS New Rules: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राहत की खबर है, लेकिन साथ ही एक जरूरी सावधानी भी. सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) से जुड़ी नई गाइडलाइंस सामने आई हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने CGHS हॉस्पिटल क्लेम्स के लिए जियो-टैग्ड फोटो से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है. अगर इन नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया, तो हॉस्पिटल क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. इसलिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए इन नए नियमों को ध्यान से समझना और उन पर अमल करना जरूरी है.
अब हर दिन नहीं करना होगा फोटो अपलोड
पहले दिसंबर 2024 में यह निर्देश जारी किया गया था कि इन-पेशेंट (IPD) मामलों में हर दिन मरीज की जियो-टैग्ड फोटो CGHS पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी होगा. इसी तरह, ओपीडी मामलों में भी उसी दिन की फोटो अपलोड करनी होगी. यह कदम फर्जी क्लेम्स को रोकने के लिए उठाया गया था. लेकिन अब मंत्रालय ने इसमें राहत देते हुए नियमों को कुछ हद तक आसान कर दिया है.
पुराने मामलों के लिए छूट
अब CGHS ने एक बार के लिए अस्पतालों को इस नियम से छूट दी है. जिन मरीजों का एडमिशन पहले के आदेश के लागू होने से लेकर अब तक के समय में हुआ है, उनके लिए रोजाना फोटो अपलोड करने की जरूरत नहीं है. लेकिन ऐसे हर केस के साथ इस नए आदेश की कॉपी भी लगानी होगी और पोर्टल पर फिर से केस सबमिट करना होगा.
अब कब और कैसे अपलोड करनी होगी फोटो
संशोधित नियमों के अनुसार, अब नॉन-रेफरल IPD मामलों में मरीज के एडमिशन और डिस्चार्ज के समय जियो-टैग्ड फोटो अपलोड करना अनिवार्य होगा. अगर मरीज की हॉस्पिटल में भर्ती 7 दिन से ज्यादा होती है, तो हर 7 दिन के बाद एक जियो-टैग्ड फोटो अपलोड करनी होगी.
कैसे करें फोटो अपलोड और क्या रखें ध्यान
फोटो स्मार्टफोन या टैबलेट से ली जानी चाहिए और उसमें जियो-टैगिंग अपने आप होनी चाहिए. यह फोटो या तो उसी समय या 24 घंटे के भीतर CGHS पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. एक फोटो की फाइल साइज 1MB से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, ताकि नेटवर्क की दिक्कत न हो. अस्पतालों को ये सभी फोटो कम से कम 90 दिनों तक अपने पास सेव रखनी होंगी, ताकि जरूरत पड़ने पर जांच के लिए उपलब्ध हो सकें.
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नियमों की अनदेखी पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है
यह बदलाव अस्पतालों और CGHS लाभार्थियों के लिए जहां एक ओर राहत लेकर आए हैं, वहीं लापरवाही भी भारी पड़ सकती है. अगर फोटो अपलोडिंग के नियमों का सही पालन नहीं हुआ, तो हॉस्पिटल का क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है. इसलिए सभी संबंधित पक्षों के लिए नए दिशानिर्देशों का पालन करना बेहद जरूरी है.