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CGHS के नए नियम : स्वास्थ्य योजना सीजीएचएस में होने वाले हैं बड़े बदलाव, सरकारी कर्मचारियों के लिए जरूरी जानकारियां

CGHS New Rules : सेंटर गवर्नमेंट हेल्‍थ स्‍कीम (CGHS) के तहत कवर किए गए 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी है. जल्द ही इस स्‍वास्‍थ्‍य योजना में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे.

CGHS New Rules : सेंटर गवर्नमेंट हेल्‍थ स्‍कीम (CGHS) के तहत कवर किए गए 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी है. जल्द ही इस स्‍वास्‍थ्‍य योजना में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे.

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FE Hindi Desk
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CGHS New Changes : सीजीएचएस भारत सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना है. Photograph: (AI Generated)

Central Government Health Scheme : सेंटर गवर्नमेंट हेल्‍थ स्‍कीम (CGHS) के तहत कवर किए गए 1 करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी है. जल्द ही इस स्‍वास्‍थ्‍य योजना में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे, जिससे सुविधाएं बेहतर होंगी और नए वेलनेस सेंटर्स भी खोले जा सकते हैं. अगर आप इस सरकारी योजना का लाभ उठा रहे हें तो सयहां आपके लिए कुछ जरूरी जानकारियां दी गई हैं. 

प्रमुख रिफॉर्म और बदलाव में स्टाफ की कमी को दूर करना, दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, निजी अस्पतालों को सब्सिडी वाले इलाज के लिए जोड़ना जैसे कदम शामिल हैं. ये सभी कदम पेंशनभोगियों के लिए सेवाओं को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं.

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हालिया बैठक से आई जानकारी

यह मुद्दे हाल ही में हुई 34वीं SCOVA (स्‍टैंडिंग कमिटी ऑफ वॉलंटियरी एजेंसीज) बैठक में उठाए गए, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने की थी. इस बैठक में देशभर के पेंशनभोगी संघों ने अपनी मांगें और सुझाव रखे. इनमें सबसे अहम मुद्दा CGHS की वर्तमान स्थिति और इसमें सुधार की आवश्यकता का था. SCOVA एक सलाहकार मंच है, जिसे 1986 में पेंशनभोगियों की समस्याओं को सीधे सरकार तक पहुंचाने के लिए बनाया गया था. इसमें देशभर के पेंशनभोगी संगठनों और विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

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CGHS में क्या बदलाव हो सकते हैं?

नए वेलनेस सेंटर्स : पुणे, बेंगलुरु, बालासोर, नागपुर, चेन्नई, पुडुचेरी और जम्मू जैसे शहरों में नए CGHS वेलनेस सेंटर्स खोलने की मांग की गई है.

नया पॉलीक्लिनिक : जम्मू में एक आधुनिक पॉलीक्लिनिक खोलने की योजना पर विचार किया जा रहा है, जिसमें टेस्टिंग लैब की सुविधा भी होगी.

स्टाफ की कमी दूर होगी : वेलनेस सेंटर्स में स्टाफ की भारी कमी को दूर करने के लिए SSC (स्टाफ सेलेक्शन कमीशन) के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

दवाइयों की निरंतर सप्लाई : जीवन रक्षक दवाइयों की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अब मांग के आधार पर ही नहीं, बल्कि पुराने अनुभवों और ट्रेंड्स के आधार पर भी स्टॉक बनाए रखने का काम किया जाएगा.

निजी अस्पतालों को पैनल में जोड़ने पर विचार : जहां वेलनेस सेंटर्स नहीं हैं, वहां पेंशनभोगियों को राहत देने के लिए निजी अस्पतालों को CGHS के पैनल में जोड़ने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है.

पुराने वेलनेस सेंटर्स का ढांचा सुधरेगा : बेंगलुरु, नागपुर और चेन्नई जैसे शहरों में मौजूदा CGHS केंद्रों की बिल्डिंग और सुविधाओं को अपग्रेड किया जाएगा.

कम से कम समय में रिफंड : पेंशनभोगियों ने मेडिकल रिफंड क्लेम में देरी पर नाराजगी जताई. इस पर मंत्रालय ने समयसीमा में सुधार का आश्वासन दिया है.

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CGHS में सुधार क्यों जरूरी है?

सीजीएचएस भारत सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना है. लेकिन हाल के वर्षों में स्टाफ की कमी, दवाइयों की आपूर्ति में बाधा और रिफंड में देरी जैसी समस्याओं ने लाखों लोगों को परेशान किया है.

देशभर के पेंशनभोगी संगठनों ने सीजीएचएस की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि जैसे-जैसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है, इस स्‍वास्‍थ्‍य स्कीम को अधिक प्रभावी बनाना समय की आवश्यकता है. 

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विशेषज्ञों का क्‍या कहना है?

वरिष्ठ पेंशन विशेषज्ञों का मानना है कि CGHS के दायरे को बढ़ाना और इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. खासकर छोटे शहरों में, जहां सुविधाएं सीमित हैं, वहां निजी अस्पतालों को CGHS से जोड़ना एक बड़ा राहत कदम हो सकता है.

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