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Children's Day: अपने बच्चों को दें आर्थिक समझदारी की सीख, इस बाल दिवस से करें शुरुआत

Children's Day Special : 14 नवंबर बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. अगर इस दिन बच्चों को आर्थिक समझदारी की सीख दी जाए तो उनका भविष्य बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.

Children's Day Special : 14 नवंबर बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. अगर इस दिन बच्चों को आर्थिक समझदारी की सीख दी जाए तो उनका भविष्य बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.

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Viplav Rahi
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Children's Day Special : बाल दिवस पर बच्चों को निवेश और बचत की सीख दी जाए तो उनकी आगे की जिंदगी बेहतर बनेगी. (Image : Freepik)

Children's Day Special : 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती होती है, जिसे देश में बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. आम तौर पर बाल दिवस पर बच्चों को उपहार देने का रिवाज है, लेकिन इस दिन अपने बच्चों को आर्थिक समझदारी की सीख देना भी उतना ही अहम है. बदलते आर्थिक माहौल में भारतीय माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चों को फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस यानी वित्तीय स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के बारे में शिक्षित करें. बच्चों में अगर कम उम्र से ही बचत, निवेश और वेल्थ क्रिएशन की समझदारी विकसित की जाए तो न सिर्फ उनकी अपनी जिंदगी बेहतर बनेगी, बल्कि वे एक बेहतर और जिम्मेदार नागरिक भी बन पाएंगे. 

फाइनेंशियल एजुकेशन की कमी

ज्यादातर भारतीय स्कूलों और कॉलेजों में फाइनेंशियल लिटरेसी की शिक्षा नहीं दी जाती है. लिहाजा, बहुत से युवा कॉलेज से निकलकर जॉब तो ज्वाइन कर लेते हैं, लेकिन अपनी इनकम, सेविंग्स और इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट में माहिर नहीं हो पाते. यह एजुकेशन की एक बड़ी कमी है जो उन्हें जीवन में गंभीर आर्थिक मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार नहीं करती.

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आर्थिक समझदारी का महत्व

ज्यादातर भारतीय माता-पिता बच्चों को शिक्षित और सुरक्षित भविष्य देने की कोशिशों में लगे रहते हैं, लेकिन फाइनेंशियल लिटरेसी यानी वित्तीय साक्षरता पर ध्यान नहीं दे पाते. बच्चों की वित्तीय आदतें छोटी उम्र से ही बननी शुरू हो जाती हैं. इसीलिए आर्थिक स्वतंत्रता के बारे में उन्हें शिक्षित करना जरूरी है ताकि वे बड़े होकर अपने आर्थिक फैसले खुद ले सकें और जीवन में वित्तीय चुनौतियों का सामना कर सकें. 

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बच्चों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना जरूरी

भारतीय माता-पिता बच्चों की जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन कई बार बच्चों को पूरी तरह सुरक्षित माहौल देने की कोशिश उन्हें जरूरत से ज्यादा निर्भर और आलसी भी बना देती है. जब बच्चों को हर चीज बिना किसी कोशिश के मिल जाती है, तो वे आर्थिक आत्मनिर्भरता का महत्व नहीं समझ पाते. पैसों की अहमियत और जिम्मेदारी के बारे में बच्चों की समझदारी बचपन से ही विकसित करना जरूरी है ताकि वे अपनी जिंदगी से जुड़े आर्थिक फैसले स्वतंत्र रूप से ले सकें और अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने का रास्ता अपना सकें.

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कर्ज लेकर खर्च करने की आदत से बचना जरूरी 

क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन पोर्टल्स पर भी किस्तों पर सामान खरीदने की बढ़ती सुविधाओं की वजह से लोगों में कर्ज लेकर चीजें खरीदने की आदत बढ़ी है. कई बार माता-पिता खुद भी ऐसा करते हैं. बच्चों में भी ऐसी आदतें आ जाएं, तो वे कई बार बेवजह के कर्जों के जाल में फंस सकते हैं. उन्हें ऐसी आदतों से दूर रखना जरूरी है ताकि बच्चे बचत और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी के महत्व को समझ सकें.

पहली कमाई से करें बचत और निवेश की शुरुआत

आम तौर पर लोग बचत और निवेश के महत्व को समझने में देर कर देते हैं. जबकि यह एक ऐसी चीज है, जिसे जितनी जल्दी शुरू किया जाए, उतना अच्छा रहता है. इसलिए हमें अपने बच्चों को सिखाना होगा कि उन्हें अपनी पहली कमाई के साथ ही बचत की शुरूआत कर देनी चाहिए. अगर वे इस सीख पर अमल करेंगे तो उनके आगे की जिंदगी काफी आसान बन सकती है. 

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बच्चों को इमरजेंसी के लिए तैयार करें

किसी व्यक्ति को अपने जीवन में आर्थिक मंदी, नौकरी में कटौती या व्यापार में नुकसान जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों को पता होना चाहिए कि जीवन में ऐसे मुश्किल हालात आने पर उनका सामना कैसे किया जा सकता है. साथ ही उन्हें इमरजेंसी फंड तैयार करने की जरूरत के बारे में भी समझाना जरूरी है. जिससे वे भविष्य का बेहतर ढंग से सामना कर सकें.

माता-पिता की आर्थिक आदतों से सीखते हैं बच्चे

माता-पिता के लिए यह समझना भी जरूरी है कि बच्चे बहुत सारी बातों में आपकी आदतों को ही अपनाते हैं. अगर माता-पिता खर्च करने में बेपरवाह हैं या निवेश पर ध्यान नहीं देते हैं, तो बच्चों में भी यही आदतें विकसित होने का रिस्क रहता है. इसके उलट, अगर माता-पिता बजट बनाने, बचत करने और निवेश का उदाहरण पेश करते हैं, तो बच्चे इन्हें भी अपनाते हैं. ऐसी आदतें बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद करती हैं. माता-पिता अगर खुद फाइनेंशियल डिसिप्लिन यानी वित्तीय अनुशासन की मिसाल पेश करेंगे तो बच्चों में ऐसी समझदारी आसानी से विकसित हो सकती है, जो आगे चलकर उनके ही काम आएगी.

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