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RBI के ब्याज दरें नहीं बदलने के बाद क्या करें आम निवेशक? डेट फंड्स में इनवेस्ट करने वालों के लिए क्या होगी सही रणनीति

Debt Mutual Fund Strategy : RBI के ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के बाद डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

Debt Mutual Fund Strategy : RBI के ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के बाद डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

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Viplav Rahi
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Debt Mutual Fund Strategy : डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों को क्या करना चाहिए? (Image : Freepik)

Debt Mutual Fund Strategy After RBI Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है. ऐसे समय में जब कुछ निवेशक ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कर रहे थे, RBI के इस फैसले ने बाज़ार को थोड़ा निराश किया. हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्थिरता से भरे आर्थिक माहौल में यह एक समझदारी भरा कदम माना जा रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों को अब किस रणनीति पर अमल करना चाहिए?

क्यों बेहतर हैं शॉर्ट ड्यूरेशन फंड

अगर आपको अगले 1 से 3 साल के अंदर पैसों की जरूरत पड़ सकती है, तो शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में निवेश करना बेहतर रहेगा. ये फंड्स ब्याज दर में उतार-चढ़ाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होते. बाजार के मौजूदा माहौल में ये अच्छा ऑप्शन साबित हो सकते हैं. साथ ही, इमरजेंसी फंड को पार्क करने के लिए भी ये फंड्स बेहतर माने जाते हैं.

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हाई टैक्स ब्रैकेट वालों के लिए हाइब्रिड फंड

अगर आप 20% या उससे ऊपर के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आर्बिट्राज फंड जैसे हाइब्रिड फंड्स आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं. ये फंड कम जोखिम वाले होते हैं और टैक्स के मामले में भी फायदेमंद हैं क्योंकि इन्हें इक्विटी फंड की तरह टैक्स ट्रीटमेंट मिलता है.

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लॉन्ग टर्म के लिए क्या हो स्ट्रैटेजी

RBI के इस फैसले के बाद निवेशकों को बारबेल स्ट्रैटेजी (barbell strategy) अपनाने की सलाह दी जा रही है. इसका मतलब है कि अपने पोर्टफोलियो को दो हिस्सों में बांटें – एक हिस्सा शॉर्ट टर्म बॉन्ड्स में और दूसरा लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स में. इससे ब्याज दर में संभावित बदलाव के जोखिम को बैलेंस किया जा सकता है.

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3 साल से ज्यादा के लिए फेज़्ड इनवेस्टमेंट

अगर आप 3 साल या उससे लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो धीरे-धीरे निवेश करना समझदारी हो सकती है. हालांकि इस दौरान अपनी ओवरऑल एसेट एलोकेशन को ध्यान में रखना जरूरी है. अगर आपकी योजना 5 साल या उससे ज्यादा की है, तो इक्विटी या इक्विटी फोकस्ड हाइब्रिड फंड्स ज्यादा बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं.

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टारगेट मैच्योरिटी और कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स

बाजार के मौजूदा माहौल को देखते हुए कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स, बैंकिंग एंड PSU फंड्स, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स और टारगेट मैच्योरिटी फंड्स को प्राथमिकता दी जा सकती है. ये फंड्स हाई क्वॉलिटी वाले बॉन्ड्स में निवेश करते हैं और 2 से 4 साल की अवधि में स्टेबल रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं.

डायनैमिक बॉन्ड फंड्स हैं फ्लेक्सिबल ऑप्शन

अगर आप बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार पोर्टफोलियो में बदलाव करने की रणनीति अपनाना चाहते हैं, तो डायनैमिक बॉन्ड फंड्स एक स्मार्ट ऑप्शन हो सकते हैं. ये फंड बाजार की परिस्थितियों के हिसाब से अपनी ड्यूरेशन को एडजस्ट करते हैं, जिससे ब्याज दर में बदलाव से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है.

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सोच-समझकर करें निवेश का फैसला

RBI का रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला बताता है कि वह मौजूदा महंगाई दर और दुनिया में जारी उथल-पुथल को लेकर सतर्क है. ऐसे में निवेशकों को भी जल्दबाज़ी करने की बजाय सोच-समझकर और रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहिए. अपनी निवेश अवधि, जोखिम लेने की क्षमता और टैक्स ब्रैकेट को ध्यान में रखते हुए शॉर्ट ड्यूरेशन, हाइब्रिड, या डायनैमिक बॉन्ड फंड्स को अपनी योजना में शामिल करें – तभी मिलेगा स्थिर और बेहतर रिटर्न.

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