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Education Loan for Foreign Studies: विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लेना हो, तो उसकी तैयारी पहले से शुरू कर देनी चाहिए. (Image : Financial Express)
Education Loan for Foreign Studies: विदेश में पढ़ाई करने का सपना पूरा करना आसान नहीं है. इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए पहले से तैयारी करना जरूरी है. अगर सही ढंग से फाइनेंशियल प्लानिंग की जाए, तो विदेश में पढ़ाई का इंतजाम किया सकता है. एजुकेशन लोन एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से सिर्फ ट्यूशन फीस ही नहीं, विदेश में रहने के खर्च समेत तमाम ज़रूरी खर्चों को कवर करने की व्यवक्था हो सकती है. नीचे दिए गए स्टेप-बाई-स्टेप गाइड से आप विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.
कितने तरह के होते हैं एजुकेशन लोन
एजुकेशन लोन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं. पहला सिक्योर्ड लोन, जिसके लिए प्रॉपर्टी, फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य एसेट्स को कोलैटरल के रूप में रखना होता है. इसकी ब्याज दर कम होती है. दूसरे तरह के एजुकेशन लोन अनसिक्योर्ड होते हैं, जिसमें कोलैटरल की जरूरत नहीं होती, लेकिन ब्याज दर थोड़ी अधिक होती है. आपके लिए किस तरह का एजुकेशन लोन सही है, यह आपको अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर तय करना होगा.
स्कॉलरशिप, ग्रांट्स और सब्सिडी के बारे में पता करें
एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई करने से पहले यह पता कर लें कि आप जिस कोर्स के लिए विदेश जाना चाहते हैं, उसके लिए क्या कोई स्कॉलरशिप, ग्रांट या सब्सिडी मिल सकती है. अगर आप अपने खर्च का कुछ हिस्सा भी इनके जरिये जुटा लेंगे, तो आपकी लोन की जरूरत उतनी कम हो जाएगी. कुछ सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक या सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को ग्रांट या इंटरेस्ट सब्सिडी मिलती है. अगर आप इस तरह की किसी कैटेगरी में आते हैं, तो ऐसी स्कीम्स का लाभ ले सकते हैं. इसके अलावा कुछ बैंक एजुकेशनल लोन के लिए स्पेशल रेट्स या प्रीमियर कोर्स के लिए कम ब्याज दर भी ऑफर करते हैं. उनके बारे में भी जानकारी हासिल करें.
लोन का अमाउंट तय करें
लोन का अमाउंट तय करने से पहले विदेश में पढ़ाई, रहने और दूसरे खर्चों के बजट का अनुमान लगाएं. ऐसा करते समय यह बात भी ध्यान में रखें कि विदेशी शिक्षा पर होने वाले खर्चों पर फॉरेन करेंसी के एक्सचेंज रेट का भी असर पड़ता है. लोन की रकम तय करते समय इस बात को भी ध्यान में रखें. इसके अलावा लोन का अमाउंट तय करते समय अपनी रीपेमेंट कैपेसिटी यानी लोन चुकाने की क्षमता को भी ध्यान में रखें.
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया जांचें
एजुकेशन लोन देने वाले अलग-अलग बैंक या वित्तीय संस्थान में एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया अलग-अलग हो सकती है. आमतौर पर जिन बातों पर गौर किया जाता है, उनमें आपका शैक्षणिक रिकॉर्ड और टेस्ट स्कोर (GRE, GMAT, IELTS/TOEFL) महत्वपूर्ण है. इसके अलावा मान्यता प्राप्त विदेशी यूनिवर्सिटी से एडमिशन का कन्फर्मेशन, को-एप्लिकेंट (अभिभावक या गार्जियन) की आमदनी का प्रूफ भी जरूरी होता है. साथ ही जिस कोर्स के लिए आप लोन लेना चाहते हैं, उसे पूरा करने के बाद आपकी आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आने की संभावना है, इसे भी देखा जाता है.
लेंडर्स की तुलना करें
एजुकेशन लोन देने वाले अलग-अलग बैंकों, वित्तीय संस्थानों और NBFCs (Non-Banking Financial Companies) के ऑफर्स की तुलना करें. इसके लिए ऑनलाइन टूल्स की मदद ले सकते हैं. लोन ऑप्शन्स की तुलना करते समय जिन बातों पर खास तौर पर गौर करना चाहिए वे हैं :
ब्याज दरकितनी है और यह फिक्स्ड है या फ्लोटिंग.
क्या लोन के रीपेमेंट के लिए कोई मोरेटोरियम अवधि भी मौजूद है.
ट्यूशन फीस के अलावा रहने के खर्च समेत दूसरे खर्चों को कवर करने का प्रावधान है या नहीं.
लोन प्रोसेसिंग में कितना समय लगने वाला है.
जरूरी दस्तावेज तैयार करें
लोन एप्लीकेशन के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है, उन्हें तैयार करें. इनमें ये दस्तावेज अहम हैं:
यूनिवर्सिटी का एडमिशन लेटर.
एजुकेशनल रिकॉर्ड और टेस्ट स्कोर.
पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, पासपोर्ट).
एड्रेस प्रूफ.
इनकम प्रूफ, आईटी रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट.
कोलैटरल के दस्तावेज (अगर सिक्योर्ड लोन ले रहे हैं).
मोरेटोरियम पीरियड को समझें
मोरेटोरियम पीरियड उस समय को कहते हैं, जब आपको लोन का रीपेमेंट शुरू नहीं करना होता. यह आमतौर पर पढ़ाई पूरी होने के 6–12 महीने बाद तक होता है. यह देख लें कि लेंडर इस अवधि में फ्लेक्सिबल रीपेमेंट का ऑप्शन देता है या नहीं.
ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखते हुए एजुकेशन लोन का इंतजाम करने में देर न करें. बेहतर यही होगा कि आप एडमिशन का कन्फर्मेशन मिलते ही लोन के लिए अप्लाई करने की प्रॉसेस शुरू कर दें. जल्दी आवेदन करने पर आपके पास अलग-अलग बैंकों या वित्तीय संस्थानों के लोन ऑफर्स की तुलना करने का वक्त रहेगा, जिससे आप बेस्ट ऑप्शन का चुनाव कर पाएंगे.