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ELSS Lock in Period: टैक्स सेविंग ELSS में लॉक इन पीरियड कैसे करता है काम, क्या 3 साल बाद निकाल लेने चाहिए पैसे

ELSS Lock in Period: ELSS लॉक-इन पीरियड क्या है और यह कैसे काम करता है. क्या 3 साल बाद ELSS से पैसे निकाल लेना चाहिए, ऐसे तमाम जरूरी पहलुओं को यहां समझ सकते हैं.

ELSS Lock in Period: ELSS लॉक-इन पीरियड क्या है और यह कैसे काम करता है. क्या 3 साल बाद ELSS से पैसे निकाल लेना चाहिए, ऐसे तमाम जरूरी पहलुओं को यहां समझ सकते हैं.

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Mithilesh Kumar
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How Does a 3 Year Lock In Period Work: 3 साल के बाद फंड ओपन एंडेड हो जाते हैं और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड हमेशा निवेश और पैसे निकालने के लिए खुले रहते हैं. (Image: FE File)

ELSS, Equity Linked Savings Scheme:इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस (ELSS) एक लोकप्रिय म्यूचुअल फंड है. इसमें निवेश पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. यानी निवेशक हर वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं. यही वजह है कि ELSS को टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम (Tax Saving Scheme) भी कहा जाता है. ज्यादातर निवेशों की तरह, ईएलएसएस फंड भी लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं. ELSS लॉक-इन पीरियड क्या है और यह कैसे काम करता है. क्या 3 साल बाद ELSS से पैसे निकाल लेना चाहिए, आइए जानते हैं.

ELSS लॉक-इन पीरियड क्या है?

लॉक-इन पीरियड वह अवधि होती है जिसके दौरान सेबी के नियमों के तहत किसी निवेश को बेचा या लिक्विडेट या निकाला नहीं जा सकता; यह समय सीमा कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक हो सकती है. ईएलएसएस फंड के मामले में, लॉक-इन पीरियड आमतौर पर 3 साल की होती है.ध्यान देने वाली बात ये है कि ELSS लॉक-इन पीरियड बाकी टैक्स सेविंग (धारा 80C) विकल्पों की तुलना में कम है, नीचे निवेश विकल्पों के साथ लॉक इन पीरियड डिटेल दिए गए हैं.
ELSS - 3 साल
FD - 3 साल
PPF - 15 साल
NPS  - निवेशक की आयु 60 वर्ष होने तक
NSC: 5 साल
दरअसल, लॉक -इन पीरियड निवेशकों को लंबी अधिक के निवेश को बढ़ावा देती है. साथ ही फंड मैनेजर को बार-बार रिडंप्शन की चिंता किए बगैर फंड के पोर्टफोलियो को बेहतर ढ़ग से मैनेज करने में मदद करती है.

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ELSS लॉक-इन पीरियड कैसे करती है काम?

एक निवेशक के तौर पर आप ELSS फंड की यूनिट खरीदते हैं. लॉक-इन पीरियड ELSS फंड में आपके द्वारा खरीदी गई यूनिट पर लागू होती है, न कि पूरे फंड पर. तीन साल की लॉक-इन अवधि समाप्त होने के बाद, आपके पास निकासी या फिर से निवेश करने का विकल्प होता है.

ELSS फंड में निवेश करने के दो तरीके हैं - एकमुश्त निवेश यानी लमसम इनवेस्टमेंट और SIP. लमसम इनवेस्टमेंट में, आप ELSS फंड में एकमुश्त रकम जमा कर सकते हैं. ध्यान रहे ELSS की लॉक-इन पीरियड निवेश की तारीख से शुरू होती है. तीन वर्ष की लॉक-इन पीरियड के दौरान यूनिट रिडंप्शन या निवेश रकम की निकालने की अनुमति नहीं मिलती है. 3 साल लॉक-इन पीरियड पूरी होने के बाद निवेशक जमा रकम का कुछ हिस्सा या पूरा का पूरा निकाल सकते हैं.

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ELSS में एसआईपी के जरिए भी थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करने का भी विकल्प मिलता है. अगर आप एसआईपी के जरिए ELSS में निवेश करने का विकल्प चुनते हैं यहां लॉक पीरियड समझना बेहद जरूरी है. इसमें एसआईपी किस्त की अपनी लॉक-इन पीरियड होती है, जो संबंधित निवेश की तारीख से शुरू होती है. यहां भी लॉक-इन पीरियड के दौरान निकासी की अनुमति नहीं है. 3 साल की लॉक-इन पीरियड पूरी होने पर निवेशक उस यूनिट से जुड़े निवेश को निकाल सकते हैं.

क्या 3 साल बाद निकाल लेने चाहिए पैसे

ईएलएसएस फंड के लिए लॉक-इन अवधि आपके निवेश की तारीख से 3 साल तक रहती है. यह पता लगाने के लिए कि यह कब समाप्त होती है, बस निवेश की तारीख में 3 साल जोड़ दें. अगर आप एसआईपी के जरिए ELSS में निवेश करते हैं, तो यहां हर किस्त के लिए लॉक-इन पीरियड अलग-अलग होती है. ऐसे में किस्त जमा करने की तारीख से 3 साल की अवधि पूरी होने पर निकासी की जा सकती है.

हम जानते हैं कि लॉक-इन पीरियड लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देती है, जिससे निवेशकों को बाजार की वृद्धि से संभावित रूप से लाभ उठाने और टैक्स बेनिफिट की अनुमति मिलती है. लॉक-इन पीरियड पूरी होने के बाद, आपके पास कुछ विकल्प होते हैं. सबसे पहले, देखें कि ईएलएसएस फंड का परफार्मेंस कैसा है और रिटर्न अच्छा आ रहा है तो उसे जारी रखने में फायदे हैं. अगर रिटर्न बेहतर नहीं है तो फंड मैनेजर की सलाह पर ELSS से पैसे निकालने का विचार कर सकते हैं. 3 साल के बाद फंड ओपन एंडेड हो जाते हैं और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड हमेशा निवेश और पैसे निकालने के लिए खुले रहते हैं.

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(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. किसी भी निवेश से पहले अपने स्तर पर पड़ताल कर लें या अपने वित्तीय सलाहकार से अवश्य परामर्श कर लें.)

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