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Largecap Valuation : एमओपीडब्ल्यू ने लार्ज कैप और मल्टीकैप स्ट्रैटेजी के लिए 3-6 महीनों में फेजवाइज इन्वेस्टमेंट अप्रोच का सुझाव दिया है. (Pixabay)
Equity vs Mutual Fundsvs Fixed Income vs Gold : हाल फिलहाल में शेयर बाजार में अपने पीक से 12 फीसदी गिरावट आ चुकी है. यह गिरावट आगे कुछ और बढ़ सकती है. खासतौर से कॉरपोरेट अर्निंग कमजोर रहने के चलते घरेलू शेयर बाजार पर असर पड़ा है, जिससे हाल फिलहाल में निवेशेकों को खासा नुकसान हुआ है. निवेशकों के सामने यह सवाल है कि जब तक इक्विटी मार्केट स्थिर न हो, मौजूदा माहौल में निवेश की क्या सही स्ट्रैटेजी होनी चाहिए. इक्विटी म्यूचुअल फंड में कौन से विकल्प सही रहेंगे, फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो कैसा हो, गोल्ड व सिल्वर में निवेश से कितना फायदा होगा. इस पर मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) ने अपनी एक रिपोर्ट दी है.
अभी अर्निंग पर रहेगा दबाव
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) की अल्फा स्ट्रैटेजिस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-26 में अर्निंग ग्रोथ के कुछ इंटरिम लेकिन शॉर्ट टर्म मंदी के साथ 12-14% सीएजीआर तक मॉडरेट होने की उम्मीद है, जैसा कि वर्तमान में 2QFY25 में देखा गया है. अमेरिकी चुनाव को लेकर अनिश्चितता, जियो-पॉलिटिकल टेंशन, चीन द्वारा स्टिमुलस की घोषणा और अमेरिकी यील्ड में बढ़ोतरी के बीच अक्टूबर के दौरान अधिकांश उभरते बाजारों में एफआईआई आउटफ्लो देखने को मिला है. हालांकि, भारत के लिए, ये आउटफ्लो मौजूदा अर्निंग सीजन के चलते और बढ़ गया, जो वैल्युएशन को उचित ठहराने में विफल रहा. करेक्शन उन सेक्टर में अधिक स्पष्ट था, जिनमें पिछले एक साल में तेज ग्रोथ देखी गई थी. और विशेष रूप से उन कंपनियों में जो अर्निंग के मामले में बाजार की उम्मीदों को पूरा करने में फेल रहीं.
गिरने के बाद बाजार में आता है बाउंस बैक
एमओपीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, इक्विटी मार्केट का रिटर्न लीनियर नहीं है. पिछले 25 साल में 22 साल में बाजार में 10 फीसदी या उससे अधिक की इंट्रा-ईयर गिरावट देखी गई है और निवेशकों को अस्थिरता के ऐसे फेज के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. गिरावट के बाद बाजार में रिकवरी और तेज बाउंस बैक भी देखने को मिलता है. इसलिए, एमओपीडब्ल्यू ने "फ्लेवर से अधिक फंडामेंटल्स" पर फोकस करने की स्ट्रैटेजी पर जोर दिया है. यानी बाजार के ट्रेंड का पीछा करने की बजाय उन मजबूत बिजनेस वाली कंपनियों पर फोकस करना चाहिए, जो स्टेबल ग्रोथ दिखा रही हैं.
इक्विटी मार्केट का कैसा है आउटलुक
लंबी अवधि में, कॉर्पोरेट डिलीवरेजिंग और अगले 2 साल में अच्छी अर्निंग की उम्मीद के कारण इक्विटी मार्केट का आउटलुक पॉजिटिव है. हालांकि, जियो-पॉलिटिकल इश्यू, केंद्रीय बैंक की पॉलिसी और वैल्युएशन जैसी ग्लोबल अनिश्चितताओं के कारण शॉर्ट टर्म अस्थिरता का अनुमान है. निवेशकों को सलाह है कि वे बैलेंस स्ट्रैटेजी के साथ सावधानी से आगे बढ़ें. जिनके पास पर्याप्त इक्विटी एलोकेशन है, उन्हें अपना निवेश बनाए रहना चाहिए, जबकि कम एलोकेशन वाले निवेशक धीरे-धीरे अपना निवेश बढ़ा सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में कैसे करना चाहिए निवेश
एमओपीडब्ल्यू का कहना है कि बाजार में हालिया गिरावट के बाद लार्ज कैप का वैल्युएशन लगभग लॉन्ग टर्म एवरेज के बराबर उचित दायरे में आ गया है, जबकि कुल मिलाकर मिड और स्मॉल कैप अपेक्षाकृत महंगे बने हुए हैं. पिछले 2 साल में मार्केट कैप में मजबूत रैली के बाद, भविष्य में रिटर्न की उम्मीदों को अर्निंग ट्रैजेक्टरी के अनुरूप कंट्रोल किया जाना चाहिए. इसलिए, मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ ने लार्ज कैप और मल्टीकैप स्ट्रैटेजी के लिए 3-6 महीनों में फेजवाइज इन्वेस्टमेंट अप्रोच अपनाने का सुझाव दिया है. जबकि चुनिंदा मिड और स्मॉल कैप स्ट्रैटेजी के लिए, निवेश को अगले 6-12 महीनों में फेजवाइज किया जाना चाहिए. एकमुश्त निवेश के लिए इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड स्ट्रैटेजी पर विचार किया जा सकता है.
फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी
30% पोर्टफोलियो एलोकेशन : उभर रहे फिक्स्ड इनकम सिनैरियो को भुनाने के लिए एक्टिवली मैनेज्ड ड्यूरेशन फंड में एलोकेशन. पैसिव ड्यूरेशन एलोकेशन के लिए, कोई निवेशक एक्रुअल इनकम और संभावित एमटीएम गेंस से लाभ पाने के लिए 15-30 साल की एवरेज मैच्योरिटी वाले लॉन्ग टर्म मैच्योरिटी वाले G-sec पेपर/फंड में निवेश कर सकता है.
पोर्टफोलियो का 30% - 35% एलोकेशन : मल्टी एसेट एलोकेशन फंड और इक्विटी सेविंग फंड में. इन फंडों का लक्ष्य घरेलू इक्विटी, आर्बिट्रेज, फिक्स्ड इनकम, इंटरनेशनल इक्विटी, गोल्ड और अन्य कमोडिटीज के संयोजन के माध्यम से मॉडरेट वोलेटिलिटी के साथ ट्रेडिशनल फिक्स्ड इनकम की तुलना में बेहतर रिटर्न उत्पन्न करना है.
पोर्टफोलियो का 30% - 35% एलोकेशन : ओवरआल पोर्टफोलियो यील्ड में सुधार करने के लिए, कुल फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो का 30% - 35% प्राइवेट क्रेडिट स्ट्रैटेजी, इनविट्स और चुनिंदा हाई यील्ड वाले एनसीडी को एलोकेट किया जा सकता है. वहीं, लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए, फ्लोटिंग रेट (9 से 12 महीने) और आर्बिट्रेज फंड (न्यूनतम 3 से 6 महीने) में निवेश किया जा सकता है.
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गोल्ड (Gold) आउटलुक
आगे गोल्ड मार्केट कई तरह के प्रभावों से गुजरने के लिए तैयार है. जियो-पॉलिटिकल टेंशन और व्यापक इकोनॉमिक इंडीकेटर्स के चलते अस्थिरता पैदा होने की संभावनाएं बनी रहेंगी. जोखिम कम करने की चाहत रखने वाले निवेशकों के लिए गोल्ड एक आकर्षक विकल्प के रूप में काम करेगा. वहीं इंडस्ट्रियल डिमांड, चीन में मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने और ग्रीन टेक में तेजी की संभावनाओं के चलते चांदी भी एक आकर्षक विकल्प है.
(नोट : हमने यहां निवेश की स्ट्रैटेजी के बारे में ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट के आधार पर जानकारी दी है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)