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अगर आप ITR में जरूरत से ज़्यादा या असामान्य रूप से बड़ा रिफंड मांगते हैं, तो आयकर विभाग आपके रिटर्न को संदेह के घेरे में ले सकता है और उसकी गहराई से जांच हो सकती है. (AI Image)
असेसमेंट ईयर 2025–26 के लिए अब तक 1.16 करोड़ से ज्यादा इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल किए जा चुके हैं. इनमें से 1.09 करोड़ रिटर्न्स की पुष्टि यानी वेरिफिकेशन भी हो चुकी है. ये जानकारी आयकर विभाग ने दी है. लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि अगर विभाग ने हर साल की तरह इस बार भी अप्रैल की शुरुआत में ही फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी होती, तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता था. दरअसल, इस साल आयकर विभाग ने ITR-1 और ITR-4 फॉर्म्स की एक्सेल यूटिलिटी करीब दो महीने की देरी से यानी मई के आखिर में जारी की थीं, जिससे लोगों को रिटर्न भरने में देरी हुई.
इस बीच टैक्सपेयर्स के बीच रिफंड को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है. चाहे वो लोग जिन्होंने पहले ही रिटर्न भर दिया है और अब रिफंड का इंतजार कर रहे हैं, या फिर वो लोग जो अभी तक रिटर्न फाइल नहीं कर पाए हैं. सभी में यह सवाल है कि इस बार रिफंड समय पर मिलेगा या नहीं. मौजूदा हालात और टैक्स एक्सपर्ट्स की राय के मुताबिक, इस बार आयकर विभाग रिटर्न्स की जांच यानी स्क्रूटनी) ज्यादा सख्ती से कर रहा है. ये सख्ती सिर्फ इस साल के रिटर्न्स पर नहीं, बल्कि पिछले सालों के रिटर्न्स पर भी देखने को मिल रही है.
इस वजह से बहुत से टैक्सपेयर्स बेचैनी में हैं कि क्या उन्हें उनका रिफंड सही समय पर मिलेगा या पहले जांच होगी और उसके बाद ही पैसा आएगा. हमने टैक्स से जुड़े एक जानकार से बात की ताकि यह समझ सकें कि आखिर विभाग इस बार रिफंड रोक क्यों रहा है और रिटर्न की जांच में इतनी सख्ती क्यों बढ़ा दी गई है.
टैक्स रिफंड में देरी के बड़े कारण
सीए डॉ सुरेश सुराणा (CA Dr Suresh Surana) बताते हैं कि इस बार टैक्स रिफंड में देरी के पीछे कई कारण हैं - कुछ तकनीकी हैं और कुछ प्रक्रियागत. उन्होंने कहा - इस बार ITR फाइलिंग की शुरुआत ही देर से हुई क्योंकि ITR की एक्सेल यूटिलिटी यानी फॉर्म भरने के सॉफ्टवेयर देर से जारी की गई. ITR-1 और ITR-4 की एक्सेल यूटिलिटी 30 मई को आई, जबकि ITR-2 और ITR-3 की यूटिलिटी 11 जुलाई को जारी हुई. इसी कारण टैक्सपेयर्स ने रिटर्न देर से भरे और प्रोसेसिंग यानी जांच और रिफंड की प्रक्रिया भी देर से शुरू हुई.
नियमों में बड़े बदलावों से प्रक्रिया भी जटिल हो गई
पिछले एक साल में इनकम टैक्स से जुड़े कई बड़े ऐलान और बदलाव किए गए हैं, जिनका असर इस बार की रिटर्न फाइलिंग पर साफ दिखाई दे रहा है. जुलाई 2023 के बजट में नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट बना दिया गया था. इसके बाद जुलाई 2024 और फरवरी 2025 के बजट में भी कुछ तकनीकी बदलाव किए गए. इसके अलावा पूरे साल भर वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी (CBDT) ने इनकम टैक्स नियमों में कई अहम संशोधन किए - जैसे ITR फॉर्म में नई जानकारियां मांगी गईं, AIS और 26AS रिपोर्ट को और विस्तृत किया गया, और टैक्स क्रेडिट को मिलाने की प्रक्रिया को और सख्त बनाया गया. इन सभी चीजों का सीधा असर इस साल की रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया पर पड़ा है, जिससे यह प्रक्रिया पहले से ज्यादा पेचीदा और समय लेने वाली हो गई है.
अब तक सिर्फ 4 ITR फॉर्म्स की यूटिलिटी जारी हुई है
हर साल अप्रैल-मई में सभी ITR फॉर्म्स और उनकी यूटिलिटी उपलब्ध हो जाती थीं, लेकिन इस साल अब तक सिर्फ ITR-1, ITR-2, ITR-3 और ITR-4 की यूटिलिटी ही जारी की गई है. ITR-5, ITR-6 और ITR-7 की यूटिलिटी अभी तक जारी नहीं हुई है, जिसकी वजह से इन कैटेगरी के टैक्सपेयर्स अब भी इन फार्म्स और उनकी एक्सेल यूटिलिटी का इंतजार कर रहे हैं. इसी कारण सरकार को ITR फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 करनी पड़ी.
AIS और फॉर्म 26AS से डेटा मिलान में देरी हो रही है
सीए सुराणा के मुताबिक इस साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न में दी गई जानकारी को थर्ड पार्टी सोर्सेज - जैसे AIS (Annual Information Statement) और फॉर्म 26AS - से बहुत बारीकी से मिलाकर देख रहा है. अगर किसी रिटर्न में कोई गड़बड़ी या सामान्य से ज्यादा टैक्स रिफंड क्लेम किया गया है, तो सिस्टम उसे ‘फ्लैग’ कर देता है. उनका कहना है, “ऐसे मामलों में रिफंड तब तक नहीं दिया जाता, जब तक सारी जानकारी दोबारा जांची नहीं जाती.” अगर पिछले सालों की असेसमेंट पेंडिंग है, तो रिफंड भी रोका जा सकता है
एक और बड़ी वजह पुराने टैक्स मामलों का लंबित होना है. सीए सुराणा बताते हैं - अगर किसी टैक्सपेयर्स के पिछले सालों का असेसमेंट या टैक्स डिमांड अभी तक बाकी है, तो आयकर विभाग को यह अधिकार है कि वह मौजूदा साल का रिफंड रोक सके या उसमें एडजस्ट कर सके. आगे उन्होंने कहा - अगर किसी रिटर्न में डेटा का मिलान नहीं बैठ रहा हो या रिफंड बहुत ज्यादा क्लेम किया गया हो, तो ऐसे मामलों में भी रिफंड आगे की जांच तक रोका जा सकता है. इसका सबसे ज्यादा असर उन टैक्सपेयर्स पर पड़ रहा है जिनके पुराने टैक्स केस अब तक सुलझे नहीं हैं.
रिफंड स्टेटस कैसे चेक करें और शिकायत कैसे दर्ज करें?
अगर आपने अपना ITR फाइल कर दिया है और ई-वेरिफिकेशन भी पूरा कर लिया है, लेकिन 4–5 हफ्ते बीत जाने के बाद भी रिफंड नहीं आया है, तो आप इन तरीकों से अपना स्टेटस जान सकते हैं. पोर्टल पर “View Filed Returns” या “Refund/Demand Status” सेक्शन में जाकर रिफंड की स्थिति चेक करें. ध्यान रखें कि आपका बैंक खाता ई-फाइलिंग पोर्टल से लिंक और प्री-वैलिडेटेड होना चाहिए. अगर फिर भी रिफंड में देरी हो रही है, तो आप “e-Nivaran” सुविधा के ज़रिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं. अगर समस्या का समाधान फिर भी नहीं होता, तो आप यह मामला CPC (Centralized Processing Centre) या अपने क्षेत्र के असेसिंग ऑफिसर को भेज सकते हैं.
रिफंड में देरी हो तो ब्याज भी मिलेगा
भले ही टैक्सपेयर्स को इस प्रक्रिया में थोड़ी असुविधा हो रही है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 244A के तहत यदि तय समय सीमा के बाद रिफंड दिया जाता है, तो उस पर ब्याज देने का भी प्रावधान है.
इस साल कुछ टैक्सपेयर्स को रिफंड मिलने में देरी हो सकती है, लेकिन इसके पीछे कई तकनीकी और प्रक्रियागत कारण हैं. इनकम टैक्स के नियमों में हुए बदलाव, ITR यूटिलिटी में देरी, और पुराने मामलों की लंबित जांच ने इस प्रक्रिया को थोड़ा चुनौतीपूर्ण बना दिया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो टैक्सपेयर्स को थोड़ा धैर्य रखने की ज़रूरत है और समय-समय पर अपने रिफंड का स्टेटस चेक करते रहना चाहिए.